वो लोग अभागे होते हैं
जिनके पास होते हैं
वो,जो...ओढ़े ही रहते हैं मुखौटे
ताउम्र.
ताउम्र.
उनके आवरणों के टाँके
कच्चे हो भले
पर,उनके मुखौटों के साथ
चेहरे की ,मन की खाल में जज़्ब हो जाते हैं.
नाटक करना ही शगल है जिनका
अंतस के भाव वो कहाँ से लायें ?
ऐसे लोगों का क्या करेगा
तुम्हारा विश्वास ...
तुम्हारा निस्स्वार्थ प्रेम .
वो विश्वास और वो प्रेम
रोयेंगे अपनी किस्मत पे
एक दिन इस्तेमाल करने के बाद
जब फेंक दिया जाएगा
उन्हें ...बेकार समझ
कतरनों के ढेर पर .
तुम अपने लिए सीखना सिलाई का हुनर ...
रखना पक्के धागे तैयार
क्यूंकि जब तुम्हारा यकीं होगा तार-तार
बखिया उखड़ेगी तुम्हारी
तो हो तुम्हारे खुद के पास
ज़ख्म सीने की सारी तैयारी .
दोबारा जीने के लिए
भरोसे को सिलने के लिए
ज़ख्मों को छिपाने के लिए
दर्द को सहने के लिए
माफी की लेस
बड़प्पन के बटन टांक देना
क्यूंकि जैसे तुम नहीं बदलोगे
वैसे ही वो भी नहीं बदलेंगे,कभी.
माफ़ी की लेस , बड़प्पन के बटन ...
ReplyDeleteसिलाई तो मजबूत पक्की ही होगी !
सुन्दर !
जी बिलकुल.
Deleteकुछ लोग अभागे होते हैं
ReplyDeleteवो जिनके पास होते हैं
या जो इनके पास होते हैं
वो सब के सब
ओढ़े ही रहते हैं मुखौटे
सही है, सच तो कभी न कभी सामने आ ही जाता है।
आजकल अधिकतर लोग ऐसे ही हैं...एक के ऊपर एक कितने ही चेहरे लगाए हुए.
Deleteसुंदर भाव, अच्छी रचना
ReplyDeleteदोबारा जीने के लिए
भरोसे को सिलने के लिए
ज़ख्मों को छिपाने के लिए
दर्द को सहने के लिए
बहुत सुंदर
(एक चेहरे पर कई चेहरा छिपा लेते हैं लोग)
जी यही चलन है आजकल
Deleteआज मुखौटे का सहारा लेकर बहुत जने जी रहे हैं,पर उन्हें कोई बताए कि एक ना एक दिन सच्चाई सामने आनी ही है |
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा भाव लिए लाजवाब रचना |
सादर |
तहे दिल से शुक्रिया,आपका.
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