Tuesday, June 28, 2011

नारी की स्वतंत्रता

मैं ,नारी की  स्वतंत्रता ..
..बराबरी के हक के लिए
लड़ती हूँ ....आंदोलन करती हूँ
चर्चाओं में शामिल होती हूँ
धरने ,मीटिंग में जोरदार भाषण देती हूँ
खूब तालियाँ बटोरती हूँ
सब को प्रेरित करती हूँ
कि औरतें  आगे बढे ...बराबरी पे आये .
पर ,
अपने घर से झूठ बोल कर निकलती हूँ
वक्त पे घर पहुँचने के लिए सारा वक्त घडी देखती हूँ
तालियाँ बटोरकर...घर पहुँच ,गालियाँ बटोरती हूँ
घर में हरेक शख्स का फूला हुआ मुंह देखती हूँ
पति का भाषण सुनती हूँ
करवट लेकर,रोते-रोते
बिना कुछ खाए सो जाती हूँ

अगले दिन ,सवेरे
इसी सब से प्रेरणा लेकर
लिखती हूँ एक भाषण 
औरत की बराबरी पर
औरत के हक पर
फिर निकल पड़ती हूँ
नारी की अस्मिता ,अस्तित्व
पर चर्चा करने
परिस्थितियाँ बदलने ...

(प्रकाशित)

Friday, June 24, 2011

बारिश का मौसम

तुम्हारी यादें...
सालों पहले लगी चोट सी
बारिश के मौसम में,हमेशा
ज्यादा परेशान करती हैं
तुम मिले नहीं मुझे
हो नहीं पाए मेरे
इस ज़ख्म पर
समय जो खुरंट लगाता है .....
ये मौसम ...
उसे भिगो कर
बेदर्दी से नोच कर ...
फिर हरा कर जाता है .

Saturday, June 18, 2011

बारिश के कुछ चित्र

बादलों में  कौंधती बिजली
किसी बच्चे ने काली स्लेट पर
अपने नन्हे हाथों से पहली रेखा खींची है .




बादल हैं ये काले काले
या मेरी आँखों का काजल बिखरा है
इस सावन में तुझे याद करते-करते .




सारे रास्तों को पानी से बुहार दिया है
हरे भरे पेड़ -पौधों को पोंछ दिया है
तुम्हारे स्वागत में
अब तो आ जाओ ..




बारिश के इस  मौसम में
दिल की इस चौखट पर
ये  दरवाजा तेरी यादों का
नमी के कारण
अटक जाता है .




कार के विंडस्क्रीन पर पानी की बूँदें
चलता वाइपर बूंदों को पोंछते हुए
बार-बार हार जाता है
मेरे मन पर आकर जमती तुम्हारी यादों को
चलता दिमाग
पोछने की कोशिश में लगता है
पर,हार जाता है .हमेशा !!



स्याही फ़ैल गयी है ,कागज़ पर
मेरे आंसुओं के बहने से
स्याही ने बादलों को रंग दे दिया है
और आंसुओं ने बारिश को पानी
मेरे रंग में रंग गया  है ये सावन भी ....





छोटे बच्चे खुश हो रहे हैं
बारिश से बने छोटे गड्ढे में कूद कर
तुम मुस्कुराते हो तो गाल में गड्ढे पड़ते हैं
मैं खुश होती हूँ इन गड्ढों को  देखकर.



सावन की  खास अदा
कहाँ -कहाँ  छूटी,बीती,पुरानी बातें
सब बारिश से धोकर
सारे दर्द नए से करके
आपके सामने लाकर कर खड़ा कर देता है .

Tuesday, June 14, 2011

रिश्तों के लिए ताबूत

कभी कभार.............
या सच कहूँ तो ..........
अब अक्सर ही
यूँ लगता है कि
दूरियां बढ़ रही है हमारे बीच.
कारण ढूंढो तो ढूंढें नहीं मिलता है.
क्या हो गया है????????
कहाँ से यह अजनबीपन??????
हमारे इस रिश्ते में अपनी पैठ बनाने लगा है.
जब भी कभी मिलते हैं
एक औपचारिकता की चादर ओढ़े रहते हैं
कुछ पल बोल कर, एक लंबी चुप्पी से घिर जाते हैं
घंटों बतियाना अब मुमकिन नहीं होता
मसरूफियत इतनी कि एक घर में रहते हुए भी...........
...........महीनों मिलना नहीं होता
फोन पर बात ज़रा लंबी हो जाए ....
तो , बेवकूफी लगने  लगती है .

जो चीज़ें साथ करते थे कभी
वो सब अपने 'स्पेस 'के लिए
और दूसरे को ' स्पेस ' देने के चक्कर में
.....भूल ही चुके हैं ....


शायद,रिश्तों को लगातार सींचना होता है
......जिंदा रखने के लिए
बातों का रस,मिलन की खाद और प्यार की धूप
सब ज़रूरी हैं
जबकि हम लोग करते उसका बिलकुल उल्टा हैं
उस अनकहे में
चुप्पी की कीलें लगा कर
रिश्तों के लिए ताबूत बनाते हैं
और अपने अहम की कुदाल से
रोज उसकी कब्र खोदते हुए
ज़िंदगी बिताते हैं

Thursday, June 2, 2011

नशा उन्मूलन केंद्र

सब बड़े परेशान हैं मुझसे
आजकल रोज ,सारा -सारा दिन
खोजते रहते हैं........
किसी कायदे के नशा उन्मूलन  केंद्र का पता .
कई जगह तो मना कर दिया भर्ती  करने को ,
वो कहते हैं की  मेरे इस नशे का कोई इलाज नहीं .
घर वाले चाहते हैं कि मुझे कहीं भर्ती करा दें,
जिससे मैं अपनी इस लत से छूट सकूँ .


मेरी हालत अजीबो गरीब है
 कुछ दिनों से अपना होश मुझे रहता नहीं
हर बात से हूँ बेखबर ,अपनी भी  फ़िक्र नहीं
सारा दिन .........
एक नीम बेहोशी सी है
सारे शरीर में एक टूटन सी है
उँगलियों के पोर तक मचलते हैं दर्द से
आँखें पथरा सी गयी हैं
ना भूख है ना प्यास
बस एक तुम्हारी आस
तुम ना मिलो तो जी घबराता है
तुम न दिखो तो टीसता है कुछ
होठों से ना लगो तो एक बैचैनी सी होती है
छु ना पाऊँ तुम्हें तो जान सी निकलती है


सब चाहते हैं तुम्हें छोड़ दूं ,हमेशा के लिए
मुझे  यदि जीना है तो तुम्हें छोड़ना होगा 
नहीं तो यह नशा बर्बाद कर देगा मुझे .
अच्छा सच बताओ................
किसी ऐसे केंद्र का पता जानते हो ????????
जहां प्यार की इस लत से छुटकारा मिल जाए
 प्यार........ एक नशा है
लत हो गयी है...तुम्हारी
मेरी आदत हो..ज़रूरत हो तुम!!

तुम मुझे छोड़ गए....
पर मैं ..
तुम्हें छोड़ नहीं  पा रही हूँ 
पता नहीं ..क्यूँ?
मेरी ये लत नहीं जाती
प्यार की यह जान लेवा आदत
अब जान के साथ ही जायेगी.......शायद !

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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