बादलों में कौंधती बिजली
किसी बच्चे ने काली स्लेट पर
अपने नन्हे हाथों से पहली रेखा खींची है .
बादल हैं ये काले काले
या मेरी आँखों का काजल बिखरा है
इस सावन में तुझे याद करते-करते .
सारे रास्तों को पानी से बुहार दिया है
हरे भरे पेड़ -पौधों को पोंछ दिया है
तुम्हारे स्वागत में
अब तो आ जाओ ..
बारिश के इस मौसम में
दिल की इस चौखट पर
ये दरवाजा तेरी यादों का
नमी के कारण
अटक जाता है .
कार के विंडस्क्रीन पर पानी की बूँदें
चलता वाइपर बूंदों को पोंछते हुए
बार-बार हार जाता है
मेरे मन पर आकर जमती तुम्हारी यादों को
चलता दिमाग
पोछने की कोशिश में लगता है
पर,हार जाता है .हमेशा !!
स्याही फ़ैल गयी है ,कागज़ पर
मेरे आंसुओं के बहने से
स्याही ने बादलों को रंग दे दिया है
और आंसुओं ने बारिश को पानी
मेरे रंग में रंग गया है ये सावन भी ....
छोटे बच्चे खुश हो रहे हैं
बारिश से बने छोटे गड्ढे में कूद कर
तुम मुस्कुराते हो तो गाल में गड्ढे पड़ते हैं
मैं खुश होती हूँ इन गड्ढों को देखकर.
सावन की खास अदा
कहाँ -कहाँ छूटी,बीती,पुरानी बातें
सब बारिश से धोकर
सारे दर्द नए से करके
आपके सामने लाकर कर खड़ा कर देता है .
किसी बच्चे ने काली स्लेट पर
अपने नन्हे हाथों से पहली रेखा खींची है .
बादल हैं ये काले काले
या मेरी आँखों का काजल बिखरा है
इस सावन में तुझे याद करते-करते .
सारे रास्तों को पानी से बुहार दिया है
हरे भरे पेड़ -पौधों को पोंछ दिया है
तुम्हारे स्वागत में
अब तो आ जाओ ..
बारिश के इस मौसम में
दिल की इस चौखट पर
ये दरवाजा तेरी यादों का
नमी के कारण
अटक जाता है .
कार के विंडस्क्रीन पर पानी की बूँदें
चलता वाइपर बूंदों को पोंछते हुए
बार-बार हार जाता है
मेरे मन पर आकर जमती तुम्हारी यादों को
चलता दिमाग
पोछने की कोशिश में लगता है
पर,हार जाता है .हमेशा !!
स्याही फ़ैल गयी है ,कागज़ पर
मेरे आंसुओं के बहने से
स्याही ने बादलों को रंग दे दिया है
और आंसुओं ने बारिश को पानी
मेरे रंग में रंग गया है ये सावन भी ....
छोटे बच्चे खुश हो रहे हैं
बारिश से बने छोटे गड्ढे में कूद कर
तुम मुस्कुराते हो तो गाल में गड्ढे पड़ते हैं
मैं खुश होती हूँ इन गड्ढों को देखकर.
सावन की खास अदा
कहाँ -कहाँ छूटी,बीती,पुरानी बातें
सब बारिश से धोकर
सारे दर्द नए से करके
आपके सामने लाकर कर खड़ा कर देता है .
आदरणीय निधि जी
ReplyDeleteनमस्कार !
बेहतर शब्दों के चयन
बारिश के भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
..... सुन्दर रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!
बहुत खूब........बहुत सुन्दर सुन्दर पंक्तियाँ......आभार।
ReplyDeleteख़ूबसूरत पढ़कर अपने-आप ही मुस्कान आ गई होठों पर....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पंक्तियाँ
ReplyDelete..... ....एक-एक शब्द भावपूर्ण बहुत खूबसूरत लगी ये पोस्ट.......प्रशंसनीय|
बहुत सुंदर
ReplyDelete.......... कोई मुझको लौटा दे बचपन का सावन.. वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी...
संजय जी........आपने कुछ ज्यादा ही तारीफ़ कर दी है...शुक्रिया!!पोस्ट को पढ़ने के बाद आपके चेहरे पर मुस्कान आई ये ज्यादा महत्त्वपूर्ण है...
ReplyDeleteमहेंद्र जी..........आभार!सच में,सबको याद आता है वो बारिश में
ReplyDeleteभीगना,नाव चलाना,रेनी डे का इन्तेज़ार करना,माँ के हाथ के बने पकोडे खाना ...भुट्टा खाना ...ना जाने क्या क्या याद आ जाता है !!!
बारिश के चित्रों के साथ आपके मन के दृश्य भी दिख रहे हैं ..भीगे भीगे से .. सुन्दर क्षणिकाएँ
ReplyDeleteनिधि जी, बारिश के यह चित्र, सुन्दर शब्दों के साथ... यह आजकल की बारिश की लुकाछिपी के बीच एक सुखद एहसास जगा गए... बधाई...
ReplyDeleteशुक्रिया......संगीता जी
ReplyDeleteविनय जी.......तहे दिल से शुक्रिया मेरी इस कोशिश को पसंद करने और सराहने के लिए
ReplyDelete.
ReplyDeleteघाटा घटता गया छाई घटा के साथ
मुनाफा मानसून का बेहद मुफीद था
निधि ये "घटनाएं घटा की" एक अजीब रस घोलती हैं इसकी हर घूँट प्यास जगाती है ... आपके लेखन के इन नये प्रयोगों ने सचमुच सराबोर कर दिया. .... आपको भी "बरखा बहार" की ढेर सारी बधाई...
nidhiji har rachna bemisaal hai ,khoobsurat bhav darshati hai.jaise jaise padti gai sochti gai ye bahut achhi hai fir jab doosri padi to socha ye bahut achhi hai aisa karte karte saari rachnai pad dali aur har ek rachna apne aap me adbhut hai.dhanyawad
ReplyDeleteयह भीगा-भीगा मौसम,ये नमी ओढी हवाएं .....सब कितना सुहाना है...आजकल इतने बढ़िया मौसम में आप क्यूँ मुनाफे-घाटे,तराजू-पलड़े ,नापने और पैमाइश की बातों में लगे हुए हैं.
ReplyDeleteअमित....जो मैं लिखती हूँ उससे थोडा हट कर था ये पोस्ट...आपको अच्छा लगा...शुक्रिया
सुनीला जी....बहुत आभार ,आपका.दरअसल मेरी कुछ अलग करने की कोशिश थी यह...आपको अच्छी लगी ,जान कर मुझे भी खुशी हुई क्यूंकि कुछ अलग करो और लोग उसे पसंद करें तो मनोबल बढ़ता है .
ReplyDeletebahut sunder barish per likhi hui shaandaar rachanaa .badhaai aapko.
ReplyDeleteplease visit my blog.thanks.
bahut accha likha hai.dil ko chune wala
ReplyDeleteDEEPA
Sundar hai. :-)
ReplyDeletesabke man ki baate/yaade taza karti aise shabdo ki barish kar ke.
ReplyDeletebahut khoobsoorat rachna....
ReplyDeletekavita padhte padht mann baarish ki bundo me bheeg sa gaya....
प्रेरणा .....रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया...........आप मेरे ब्लॉग पर आई...धन्यवाद
ReplyDeleteदीपा...............आभार!!
ReplyDeleteबाबुषा....तहे दिल से शुक्रिया !
ReplyDeleteअनामिका....बारिश की खूबी यही है कि हरेक को कुछ ना कुछ याद दिला जाती है...
ReplyDeleteदेवेन्द्र...आप यूँ ही भीगते रहिये...
ReplyDeletepatali-the-village....आपको रचना अच्छी लगी..इसके लिए मैं आपको धन्यवाद ज्ञापित करती हूँ क्यूंकि आपने वक्त निकला पढ़ने ,टिप्पणी करने के लिए
ReplyDeleteसुन्दर है बारिश की छटा आपके ब्लॉग पर.
ReplyDeleteशिखा जी...........बारिश की छटा ने आपके मन को भी भिगोया........जान कर अच्छा लगा ........शुक्रिया,टिपण्णी करने के लिए
ReplyDeletenice post nidhi ji
ReplyDeleteराजीव जी................पसंद करने के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteबारिश की कवितायें तो मुझे बहुत खूबसूरत लगती हैं, हमेशा से...और यहाँ तो केवल वही है :)
ReplyDeleteथैंक्स...............अभि!
ReplyDeleteबहुत खूब,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
विवेक .....शुक्रिया!!
ReplyDeleteक्रिएटीविटी का अनुपन नमूना...अद्भुत
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