Monday, April 25, 2011

संबंधों के बंध .....

संबंधों के" बंध ".....
सम कहाँ होते हैं???????????
हरदम, यही देखा है...........
जाना,समझा है........
कोई भी,कैसा भी रिश्ता हो
दो लोगों के बीच;
दोनों,
एक दूसरे को बराबर का प्यार नहीं करते
एक कुछ ज़्यादा
दूजा थोड़ा कम.
होता यूँ हैं कि.......
जो शख्स कम प्यार करता है
रिश्ते पे उसकी पकड़ ज्यादा होती है
वो जैसे चाहे,जब चाहे
अपने मन की करवा  लेता है
प्यार कि दुहाई देकर,
क्यूँ  कि
कम चाहने वाला जानता है दूजे कि कमज़ोर नब्ज़ .

उसकी कम चाहत उसे मजबूती देती है
रिश्ते को तोड़ कर  दूर जाने की ....
कुछ नया तलाशने की ............
जबकि जो ज्यादा प्यार करता है
प्यार ही उसकी कमजोरी बन जाता है.
वो जानता है कि वो इस्तेमाल हो रहा है
फिर भी प्यार का एहसास उसे खुश रखता है.
इस सबके बाद भी
ता उम्र वो उसी रिश्ते से जुड़ा रहता है
वहीँ रुका रहता है
जहां,
दूसरा शख्स उसे पीछे छोड़
कब का आगे बढ़ चुका होता है
क्यूंकि ,जिसने कम चाहा वो आज भी ........
अपनी यादों ,बातों से उसपर अपना अधिकार रखता है
और जो चाहता है वो सब देकर भी
अकेला ही रह जाता है ......
यही तो तुमने भी किया
प्यार में,
हमेशा अपने अधिकार मांगे
कभी अपने कर्त्तव्य के बारे में नहीं सोचा.
ठीक ही तो है ............
संबंधों के बंध अक्सर विषम ही होते हैं.......
है ना??????/

24 comments:

  1. really nice nidhi .. xitija

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  2. बहुत ही मार्मिक लेख है, सच में ऐसा ही है...
    कभी प्यार बराबार नहीं होता...
    कभी कोई ज्यादा तो कभी कोई ज्यादा करता है...

    प्यार ही मजबूत बनाता है, प्यार ही कमजोर बनाता है,
    प्यार ही जीना सीखता है, प्यार ही मरना दीखाता है,
    प्यार ही एहसास दिलाता है, प्यार ही तडपना सीखाता है,
    प्यार ही जीवन बनता है, प्यार ही बोझ बन जाता है,
    प्यार ही प्यास होता है, प्यार ही पानी होता है,
    ...

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  3. क्षितिजा.................धन्यवाद कि तुमने वक्त निकाला ब्लॉग पर आने का ...........तुम्हें,ज्शाब्दों कि जादुगारी बहुत अच्छे से आती है,इस लिए उम्मीद थी कि तुम और कुछ भी लिखती.......हाँ,तब भी पसंद करने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया

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  4. आदित्य........मज़ा आ गया तुम्हारी टिप्पणी पढ़ कर.......ये जान कर भी अच्छा लगा कि तुम्हें अच्छा लगा ........थैंक्स!!

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  5. निधि जी, बहुत ही सुन्दर रचना आपकी, अंत तक आते आते पूरी तरह से दिल को छू जाने मैं कोई कसर बाकी न रही...
    बिलकुल सही कहा... संबंधों के बंध अक्सर विषम होते हैं...

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  6. @निधि .. बेहद संजीदा और सच्ची रचना है... जज्बातों और एहसासो के इतना सटीक, सुंदर और सच्चे चित्रण के लिए आपको साधुवाद....
    ...............
    मर्ज़ी के मुताबिक़ मुझे तोड़ता निचोड़ता रहा
    उसे ये मालूम था कि मै उससे प्यार करता हूँ

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  7. विनय जी..........आपके दिल को रचना छू गयी इससे ज्यादा प्रशंसा की मैं अपेक्षा भी नहीं करती क्यूंकि मेरा लिखा किसी के दिल को अपना सा लगे ये मेरे लिए बड़ी बात है.........आपका धन्यवाद

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  8. अमित...........आप मेरे लिखे हुए पे जब भी कोई शेर लिखते हैं....बिलकुल सटीक लिखते हैं......बधाई के पात्र तो आप भी हैं....आपकी तारीफ़ का तहे दिल से शुक्रिया...

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  9. शुक्रिया............वन्दना !आपके इस पहले कमेन्ट के लिए ......सच!

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  10. Nidhi Ji ... Bahut hi sahi likha hai aapne ...

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  11. सतीशजी ..........शुक्रिया कि आप ब्लॉग पर आये.आपको रचना पसंद आई .........आभार !

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  12. "sambandho ka bandh" bilkul nayee baat kahee aapne...achchha laga:)

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  13. मुकेश जी ...........आपको अच्छा लगा ,यह जान कर मुझे अच्छा लगा!!!!!!!शुक्रिया

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  14. बहुत गहन चिंतन ,मनन और विश्लेषण का परिणाम लगती है आपकी यह अभिव्यक्ति.इसीलिए आपने अपनी प्रोफाइल में लिखा कि'लिखने में प्रसव सी पीड़ा होती है.'
    आपकी शानदार प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.

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  15. निधि..आज ये कविता पढ़ कर कुछ तस्वीरे साफ़ हो रही है
    अद्भुत पकड़ है तुम्हारी शब्दों और भावनाओ पर.रैनी .

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  16. राकेशजी...............मैं आपका धनयवाद आक्रति हूँ कि आपने रचना को पढ़ा एवं सराहा .

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  17. रेनी..............अच्छा लगा कि तुम ब्लॉग पर आयी ....उम्मीद है ये आना अब यूँ ही बना रहेगा

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  18. bahut khub nidhi jee ,,,,,,,,,,,,,,,
    Bahut bejod rachna hain....
    Pyar kam ho ya jyada ho payar hain bas yahi kafi hain kyoki jiska vajood hain use majboot kiya ja sakta hain vajood hi na ho to phir kya bat
    Aapka:- Rajnish Singh

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  19. रजनीश जी......रचना आपको पसंद आई ....जान कर अच्छा लगा .आपने ब्लॉग पे रचना पढ़ने का उसपर टिप्पणी देने का वक्त निकाला मैं आभारी हूँ

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  20. एक सम्पूर्ण पोस्ट और रचना!
    यही विशे्षता तो आपकी अलग से पहचान बनाती है!

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  21. संजय जी............अलग पहचान तो आप से पाठक मिल जाएँ तो स्वयं ही बन जाती है.........थैंक्स ,कि आप इतनी शिद्दत से मेरा ब्लॉग फालो कर रहे हैं

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  22. सच कहा आपने..कुछ सम्बन्ध सम नहीं हो सकते कभी भी..!!!खास कर जो सबसे ख़ास होते हैं.. आप कितना ही प्यार करें, कोई आपको उससे भी ज्यादा ही प्यार करेगा..!!!

    अद्भुत..शानदार..संजीदा..!!!

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    Replies
    1. कोई भी सम्बन्ध हो उसके बंध...कभी सम नहीं होते

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