ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Friday, October 25, 2013
इंतज़ार में हूँ
आजकल मेरा समय काटे नहीं कटता है
सारा दिन तुम्हारे ख्यालों में खोया रहता है
समस्त बातों का केंद्रबिंदु हो गए हो तुम.
सारे विचार तुम तक जाकर लौट आते हैं
मेरे सारे सपने तुम में ही ठौर पाते हैं
तुम और तुम्हारे एहसास से लिपटी रहती हूँ
अपने इस हाल पर विस्मित रहती हूँ .
यहाँ,मेरा यह हाल है ....
पर,
पता नहीं तुम वहाँ क्या करते हो ?
क्या कभी तुम्हें मेरा ख्याल आता है
क्या तुम मुझे अपने पास पाते हो
कभी मेरी कमी का एहसास होता है
इन सभी सवालों के जवाब पाने के लिए ..
मैं बहुत बेचैन रहती हूँ ..
पर,तुम तो फिर तुम हो न
मैं आँखों से जब कहती हूँ
तुम अनदेखा कर जाते हो
जो मैं तुमसे कुछ पूछूँ
तुम अनसुना कर जाते हो
किस तरह तुमसे सब जान लूँ
दिल का तुम्हारे हाल पा सकूँ
समझ नहीं पाती हूँ .
इंतज़ार में हूँ.....
तुम कुछ कहो
जिसे मैं समझ सकूँ .
Thursday, October 24, 2013
वक्त की रफ़्तार
बहुत शैतान है यह वक्त
याद है न
साथ ही तो था यह
जब हम मिले थे
नटखट बच्चे की तरह
भागता ही रहा
न दो पल रुका
न कुछ देर ठहरा
कितना कुछ कहना सुनना
बाक़ी रह गया
अब दूर हैं हम
मिलने की भी दूर तक
कोई सूरत नहीं
तो,वही वक्त
ठहर गया है
थम गया है
उस बुजुर्ग के
गठिये वाले पैर सा
जिससे चला नहीं जाता है.
(प्रकाशित )
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