आजकल मेरा समय काटे नहीं कटता है
सारा दिन तुम्हारे ख्यालों में खोया रहता है
समस्त बातों का केंद्रबिंदु हो गए हो तुम.
सारे विचार तुम तक जाकर लौट आते हैं
मेरे सारे सपने तुम में ही ठौर पाते हैं
तुम और तुम्हारे एहसास से लिपटी रहती हूँ
अपने इस हाल पर विस्मित रहती हूँ .
यहाँ,मेरा यह हाल है ....
पर,
पता नहीं तुम वहाँ क्या करते हो ?
क्या कभी तुम्हें मेरा ख्याल आता है
क्या तुम मुझे अपने पास पाते हो
कभी मेरी कमी का एहसास होता है
इन सभी सवालों के जवाब पाने के लिए ..
मैं बहुत बेचैन रहती हूँ ..
पर,तुम तो फिर तुम हो न
मैं आँखों से जब कहती हूँ
तुम अनदेखा कर जाते हो
जो मैं तुमसे कुछ पूछूँ
तुम अनसुना कर जाते हो
किस तरह तुमसे सब जान लूँ
दिल का तुम्हारे हाल पा सकूँ
समझ नहीं पाती हूँ .
इंतज़ार में हूँ.....
तुम कुछ कहो
जिसे मैं समझ सकूँ .
ये जिन्दगी का फ़लसफ़ा है .....इंतज़ार और अभी इंतज़ार और .......
ReplyDeleteशुभकामनायें!
वही करना है....अशोक जी
Deleteये इंतज़ार भी एक इम्तिहान होता है … बहुत सुन्दर रचना … शुभकामनायें
ReplyDeleteबिलकुल..होता है
Deletekhubsurat khayal :)
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया!
Deleteकोमल भावनाओं में लिप्त भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteथैंक्स!
Deleteबहुत सुंदर भावनाओं की उम्दा अभिव्यक्ति ,,,!
ReplyDeleteRECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.
आभार
Deleteप्रेम में अक्सर बिनकहे ही समझ आ जाता है ... अपने हाल से उनका हाल मिल जाता है ...
ReplyDeleteगहरा एहसास लिए भाव ...
जी...सहमत हूँ
Deleteहार्दिक धन्यवाद,मेरी रचना को शामिल करने के लिए
ReplyDeleteशुक्रिया!
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