बहुत शैतान है यह वक्त
याद है न
साथ ही तो था यह
जब हम मिले थे
नटखट बच्चे की तरह
भागता ही रहा
न दो पल रुका
न कुछ देर ठहरा
कितना कुछ कहना सुनना
बाक़ी रह गया
अब दूर हैं हम
मिलने की भी दूर तक
कोई सूरत नहीं
तो,वही वक्त
ठहर गया है
थम गया है
उस बुजुर्ग के
गठिये वाले पैर सा
जिससे चला नहीं जाता है.
(प्रकाशित )
उम्दा रचना
ReplyDeleteआभार!
Deleteसच कहा......वक्त अपनी रफ़्तार बदलता रहता है..
ReplyDeleteसुन्दर रचना..
अनु
शुक्रिया!
Deleteबहुत सुंदर उम्दा अभिव्यक्ति ,,,!
ReplyDeleteRECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.
पसंद करने के लिए...शुक्रिया!
Deleteवक्त नटखट इतना
ReplyDeleteकाम करू तो वो भागता रहता
इन्तेजार करू तो रुक जाता
नई पोस्ट मैं
हार्दिक आभार!
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
ReplyDeleteथैंक्स!
Deleteधन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद!
ReplyDeletePainful reality!
ReplyDelete:)
Delete