ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Thursday, October 24, 2013
वक्त की रफ़्तार
बहुत शैतान है यह वक्त
याद है न
साथ ही तो था यह
जब हम मिले थे
नटखट बच्चे की तरह
भागता ही रहा
न दो पल रुका
न कुछ देर ठहरा
कितना कुछ कहना सुनना
बाक़ी रह गया
अब दूर हैं हम
मिलने की भी दूर तक
कोई सूरत नहीं
तो,वही वक्त
ठहर गया है
थम गया है
उस बुजुर्ग के
गठिये वाले पैर सा
जिससे चला नहीं जाता है.
(प्रकाशित )
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
उम्दा रचना
ReplyDeleteआभार!
Deleteसच कहा......वक्त अपनी रफ़्तार बदलता रहता है..
ReplyDeleteसुन्दर रचना..
अनु
शुक्रिया!
Deleteबहुत सुंदर उम्दा अभिव्यक्ति ,,,!
ReplyDeleteRECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.
पसंद करने के लिए...शुक्रिया!
Deleteवक्त नटखट इतना
ReplyDeleteकाम करू तो वो भागता रहता
इन्तेजार करू तो रुक जाता
नई पोस्ट मैं
हार्दिक आभार!
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
ReplyDeleteथैंक्स!
Deleteधन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद!
ReplyDeletePainful reality!
ReplyDelete:)
Delete