ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Saturday, September 8, 2012
आप्शन
विदा ही एकमात्र आप्शन है
उन सभी के प्रेम के लिए
जो मोहब्बत तो करते हैं ...
पर......
नैतिकता को छोड़ नहीं पाते .
वो भले दुखी हों ,पर
सारा समाज सुखी है..कि
जिनके मन मिले...थे
उनके शरीर को मिलने नहीं दिया.
वो खडा रहा
पहरेदार बन कर
जब भी कभी
मेरे हाथों ने ,होठों ने
तुम्हें छूना चाहा .
सारे संस्कारों की दुहाई दे दी गयी
कि वो चाहते रहे
एक दूसरे को ,हमेशा
पर...मिलन की कोई सूरत न हो.
प्यार ...बस तब तक प्यार है
जब तक ..अलग अलग बिस्तरों पे
हम एक दूसरे को याद करते -करते
अपनी शराफत ..अपने मूल्यों को
साथ लेकर सोते रहे,रोते रहे ....
सारी मर्यादाएं ,वर्जनाएं
साथ साथ चलती रहीं
मेरी तेरी उदासीनता के साथ
और कहती रहीं...
ज्यादा अच्छे लोगों को ..कुछ भी हो
प्रेम ना होने पाए कभी."
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speechless.....
ReplyDeletesuperb..
:-)
थैंक्स!!
Deleteलीक से अलग घुमड़ते विचारों पर केन्द्रित भाव
ReplyDeleteह्म्म्म...लीक से हटकर तो निस्संदेह है
Deleteबेहद खूबसूरत..!!
ReplyDeleteऐसा ही तो होता आया है और जब ये हमारे साथ हो जाता है, तब भी हम अपनी अगली पीढ़ी के साथ वैसा ही करते हैं..!!! आखिर क्यूँ..?? अगर ऐसा नहीं करते तो ये प्रथा कबकि समाप्त हो गयी होती..और आज ये प्रश्न ही नहीं आता..!!
क्यूंकि अधिकतर लोग बिना कोई सवाल किये सब मान लेने को तैयार हो जाते हैं
Deleteसच कहा...
ReplyDeleteसंस्कारों की जकडन हो तो बेहतर है के प्यार ही न हो...
सुन्दर रचना निधि जी.
अनु
शुक्रिया!
Deleteसारी मर्यादाएं ,वर्जनाएं
ReplyDeleteसाथ साथ चलती रहीं
मेरी तेरी उदासीनता के साथ
और कहती रहीं...
ज्यादा अच्छे लोगों को ..कुछ भी हो
प्रेम ना होने पाए कभी."
यह सिलसिला न जाने कब तक चलेगा ...
आखिर कब तक??????????
Deleteसचमुच सिर्फ यही ऑप्शन बचता है फिर "कुछ भी हो
ReplyDeleteप्रेम ना होने पाए कभी." सुन्दर रचना
प्रेम ना हो यही सबसे सही ऑप्शनहै
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसच्चाई से रूबरू कराती हुई
हार्दिक धन्यवाद!
Deletehttps://www.facebook.com/bharat.tiwari/posts/340980585996518
ReplyDeleteप्यार ...बस तब तक प्यार है
जब तक ..अलग अलग बिस्तरों पे
हम एक दूसरे को याद करते -करते
अपनी शराफत ..अपने मूल्यों को
साथ लेकर सोते रहे,रोते रहे ....
............................... बेहद उम्दा फेसबुक पर शेयर किया है आशा करता हूँ बुरा नहीं मानेंगी ...
सादर
साझा करने के लिए,आभार.
Deletetrue..
ReplyDeleteथैंक्स!
Deleteबेबाक लिखा सच.
ReplyDeleteसच हो तो बेबाकी आ ही जाती है
Deleteमन से रूह तक पंहुंचती बेहद स्पर्शी रचना....
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद!!
Deleteआपने तो शब्दों से जादू बिखेरा है.....बहुत ही सरलता से कहा आपने....गम्भीर बात को....बेमिसाल...रचना है।
ReplyDeleteपसंद करने और सराहने के लिए,शुक्रिया!
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