ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Wednesday, September 5, 2012
सुनो न ..
तुम ,
कुछ कहो न कहो..
कुछ लिखो न लिखो
मुझे वो सारे हुनर आते हैं
जिनसे
तुम्हारी आँखों से होकर
मैं मन तक पहुँच जाती हूँ
और सब अनकहा ...सुन आती हूँ.
सब अनलिखा ...पढ़ आती हूँ .
अब तो कभी नहीं कहोगे न ..
कि "कुछ नहीं हुआ "
"पता नहीं "कह कर नहीं टालोगे
या ...बस,"ऐसे ही "कह कर बहलाओगे नहीं .
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तुम्हारी आँखों से होकर
ReplyDeleteमैं मन तक पहुँच जाती हूँ
और सब अनकहा ...सुन आती हूँ.
सब अनलिखा ...पढ़ आती हूँ .
बहुत बढ़िया बेहतरीन प्रस्तुति,,,,
RECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,
शुक्रिया!!
Deleteखूबसूरती से लिखे एहसास
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद!
Deleteबहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
शुक्रिया!!
Deletekhoobsurat ehsas....
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया !!
Deletebeautiful emotions :)
ReplyDeleteथैंक्स!!
Deleteआप रुलाते बहुत हो निधि !
ReplyDeleteलीजिए मुस्कुराईये:-))))))
DeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
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