Friday, September 21, 2012

स्वीकारने के करीब



सामने जब तक वो रहा

लफ्ज़ भी न निकला मुंह से

वो बोलता रहा...

मैं सुनती रही.

खुली आँखों से

ख़्वाब बुनती रही .


जब सोचा

रात के ख़्वाबों की तामीर कर दूँ

आज अपने दिल कि सारी बातें कह दूँ .

बस कहने को लब हिले ही थे

मन में कुछ फूल खिले ही थे

कि उसने कहा

बातों बातों में वक्त का पता नहीं चला

साढ़े छह हो गए हैं

अँधेरा हो रहा है

मैं चलता हूँ

तुम भी अपने घर जाओ.


मेरे कहते ही कि कुछ कहना है

उसका हाथ हिला कर कहना

अभी चलता हूँ...

...कल फिर मिलते है

...तब सुनूँगा सब

जो भी तुम्हें कहना है .


बार-बार ऐसा ही होता है

मैं स्वीकारने के करीब होती हूँ

और तुम्हें ठीक उसी वक्त

कुछ काम याद आ जाता है .

15 comments:

  1. ऐसा ही होता है ... प्यार में वक़्त बीत जाता है , कहने को सब रह जाता है

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    1. जी...प्यार नहीं बीतता वक्त बीत जाता है.

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  2. अबके बस, मिलते ही......
    कोई भूमिका नहीं...
    एक दम फायर,नॉन स्टॉप :-) आग जो लगी है दिल में.

    अनु

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    1. आपकी सलाह याद रखूंगी.....

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  3. प्यार में ये प्रतीक्षा ...उफ़ बेदर्दी :)))

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    1. अब किया तो क्या किया जाए

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  4. :):) अबके मिलते ही शुरू हो जाना कहने को ... उसकी मत सुनना :) वक़्त अपने हाथ में रखना । सुंदर भावभिव्यक्ति

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    1. सच्ची...याद रखूंगी.

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  5. Suna hai pyar ka bandhan gahara hota hai.
    Shayad kuchh teli prati sa juda hota hai.
    Man ki baat pad lena kahan kisi ko aata hai.
    Wo to ishwar hi hai jo unhe hamse milata hai.

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    1. हम्म ..ईश्वर ही मिलाता है और वो ही जुदा भी कर देता है

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  6. Beautiful writing and beautiful presentation Nidhi ji

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  7. बहुत सुन्दर प्यार में ऐसा ही होता है..
    कहना बहुत कुछ होता है पर वक्त नहीं मिल पता..
    प्यार के हर पल को बखूबी शब्दों में पिरोती हैं आप
    एकदम सजीव सा लगता है सब कुछ...
    :-)
    love u mam:-)

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    1. शुक्रिया....
      वक्त के मारे....सब.

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  8. आने वाले कल का ..उस एक पल का ..सदियों तक इंतज़ार रहा ...ये वक्त कमबख्त ...बीच में न आता तो नसीब कुछ और होता

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    1. वक्त बड़ा बेवक्त आता है ...

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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