Monday, September 24, 2012

ओवर हेड




क्यूँ इतना उलझ जाती है ज़िंदगी
कोई सिरा नहीं मिलता कभी-कभी
ढूँढते रहो..
वो एक राह ...
जिस से तुम तक पहुंचा जा सके .
सारी दुश्वारियां....सारे स्पीड ब्रेकर
भगवान ने ....बस इसी राह पे
मेरे लिए बना छोड़े हैं .

यार...चलो न
अपना एक ओवर हेड बना ले
प्यार का पुल ...
जो सीधे ...
फुल स्पीड ....
मुझे तुम तक पहुंचा सके .

16 comments:

  1. बस तुमसे ही मनवा चैन पाए ...
    बहुत सुन्दर बात ...सुन्दर अभिव्यक्ति ...

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    1. हाँ जी बिलकुल...ऐसे ही चैन है

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  2. आपकी हर रचना की तरह यह रचना भी बेमिसाल है !

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  3. यार...चलो न
    अपना एक ओवर हेड बना ले
    प्यार का पुल ...
    जो सीधे ...
    फुल स्पीड ....
    मुझे तुम तक पहुंचा सके
    ...............लास्ट की चार लाईन्स जबरदस्त है....!

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    1. पसंद करने के लिए...थैंक्स!

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  4. यार...चलो न
    अपना एक ओवर हेड बना ले
    प्यार का पुल ...
    जो सीधे ...
    फुल स्पीड ....
    मुझे तुम तक पहुंचा सके,,,,, भावनात्मक पंक्तियाँ,,

    RECENT POST समय ठहर उस क्षण,है जाता

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  5. बहुत सुंदर
    क्या कहने
    अच्छी रचना

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  6. कहो ..इतने दूर न जाओ....
    इत्ता लंबा फ्लाई ओवर बन भी पायेगा...????

    अनु

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    1. बनेगा...बनाएंगे
      नहीं तो फासले कैसे मिटायेंगे

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  7. वाह बहुत बढिया हैं ...प्यार का ये पुल ..बिना रुके बस बढते जाओ

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  8. बहुत सुन्दर
    ये प्यार का पुल जरुर बनेगा..
    बनायेंगे..
    :-)

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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