Tuesday, September 18, 2012

बस,आ जाओ




सीधी सी बात यही है कि..
बस,तुम आओ....
चले आओ...मेरे पास.
कोई मौसम हो...
उससे क्या फर्क पड़ता है ?
मेरे मन के सारे मौसमों पे
तो बरसों बाद भी
एक बस तेरा ही कब्जा है .
मौसम का आना जाना
उससे मुझे क्या लेना देना
तुम्हारा आना....मेरे लिए
है बसंत का आना .
और प्रतीक्षा मत कराओ
कबसे ठहरा है बसंत उस मोड पे,
जहां मुड गए थे तुम मुझे छोड़ के .

16 comments:

  1. Replies
    1. शुभकामनाओं की ज़रूरत है:-)

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  2. सीधी सी बात......सच्ची ,समझ आये उसे तब न !!!!
    प्यारा सा आग्रह निधि...

    अनु

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    1. समझ होती तो जाता ही यूँ...

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  3. याद तुम्हारी आ रही,मौसम देता झकझोर
    लौट आओ अब प्रिये,नही इश्क पर जोर,,,,

    RECENT P0ST फिर मिलने का

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  4. वाह..
    बस..अब आ भी जाओ...!!

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    1. ह्म्म्म...देखो,कब आते हैं

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  5. तुम्हारा आना....मेरे लिए
    है बसंत का आना .
    और प्रतीक्षा मत कराओ
    सचमुच जब वो आयें तभी बसंत है... आग्रह इतना प्यारा हो तो उन्हें आना ही है.... शुभकामनायें

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  6. इतने प्यार से बुलाएँगे तो
    जरुर आ जायेंगे..
    बहुत सुन्दर..
    प्यारी रचना..मनभावन..
    :-)

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    1. थैंक्स....आ जाना चाहिए,न?

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  7. वाह निधि वाह , सुबह-सुबह इतनी प्यारी रचना ....
    सच कहा तुमने वहीँ ठहरे हैं सारे ही मौसम जहाँ तुम......

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    1. इंदु..................थैंक्स ,दोस्त.

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  8. अन्तरमन के भाव मुखारित हुए।

    ऐसा लिखती हैं आप भाव हिलोरे लेने लगते है।

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    1. बहुत-बहुत शुक्रिया!बड़े दिन बाद ब्लॉग की ओर रुख किया .

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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