ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Tuesday, September 4, 2012
सड़क
सड़क : खत्म हो जाती हैं यकीनन वहाँ
तुम मेरा हाथ छोडोगे जहां ..
मेरे हमसफ़र !!
सड़क : सब पहुँच जाते हैं उससे होकर
कहीं न कहीं
कभी न कभी
वो रह जाती है ,बस
वहीं की वहीं .
सड़क : थक जाती है सारा दिन
लोगों के कोलाहल से
सन्नाटा पसरता है
चाहती है ये भी
कमर सीधी कर के
आराम करना .
सड़क : बाँट क्यूँ देते हो मुझे
डिवाइडर बना कर
एक मैं ...
दो हिस्से
एक ले जाने वाला कहीं
एक ले आने वाला वहीं
सड़क : पत्थर ,गिट्टी
कोलतार ,मिट्टी
रोड रोलर से दबा दिए
तब भी उभर उभर आती है
गिट्टियां ..
संग चली आती हैं
चप्पल में चिपक कर
तेरी याद सी ढीठ है
ये गिट्टियां भी .
सड़क : हादसों को रोज़ देखती हैं
खून और आंसू समेटती हैं
जब भीड़ तमाशबीन होती है
चाहती है...काश
मोबाइल जो वहाँ गिरा है
उसे उठा मरने वाले के
किसी दोस्त को फोन लगा दे.
सड़क : रेगिस्तान की
सारे समय
रेत से ढकी
अपने किनारों को ढूँढती सी
जो खो गए रेत में .
पर ,वो खुश है रेत में यूँ गुम होकर .
सड़क:मानचित्र में
कहाँ है वो सड़क
जो तुम्हें मुझ तक लाएंगी .
उसके बाद मानचित्र की सारी सडकें
गायब हो जाएँ ,बस .
सड़क: तुम इनसे ही गए हो दूर
मेरे लिए ये हाथ की
वो काली रेखा है
जो मेरी पत्री से
ज़मीन पे उतरी है .
(प्रकाशित)
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तूलिका जी ने पढवाई थी....उनकी एक कविता के साथ....
ReplyDeleteबेहतरीन कविता निधि जी.
अनु
अनु ...इस साझा प्रयास को पसंद करने के लिए ,शुक्रिया!
ReplyDelete
ReplyDeleteसड़क:मानचित्र में
कहाँ है वो सड़क
जो तुम्हें मुझ तक लाएंगी .
उसके बाद मानचित्र की सारी सडकें
गायब हो जाएँ ,बस ... बिल्कुल
जी....
Deleteशानदार...
ReplyDelete:-)
शुक्रिया:-))
Deleteबहुत खूबसूरत उम्दा प्रस्तुती!....आभार निधि जी
ReplyDeleteनवाजिश !
Deleteबहुत बेहतरीन उम्दा प्रस्तुति,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,
थैंक्स!
Deleteतेरी याद सी ढीठ है
ReplyDeleteये गिट्टियां भी ...
तुझको यादों में आना हो या फिर आँख छलकना हो
मेरे साथ हमेशा सब की चल जाती मनमानी है
यह मनमानियां बड़ी जानलेवा होती हैं....अक्सर.
ReplyDeleteसड़क के कितने सारे चित्र खींच दिए हैं आप ने ...
ReplyDeleteएक कोशिश.....
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