ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Thursday, September 27, 2012
सिगरेट
तुम इतने संजीदा क्यूँ हो जाते हो
जब भी मैं यह कहती हूँ
सिगरेट पीने से उम्र कम हो जाती है
छोड़ क्यूँ नहीं देते इसे पीना .
मर जाओगे तो पता है
सांसें भले लेती रहूँ
पर मैं जीते हुए भी
रो-रो मर जाउंगी.
पता है ,तुम मर गए अगर
तो तुम्हारी तस्वीर को नहीं टांगूंगी दीवार पे...
न उसपे कोई माला चढाऊंगी
न ही अगरबत्ती जलाऊँगी ,उसके आगे.
अपनी माला के लोकेट में
पहन लूंगी,तुम्हारी तस्वीर
आस पास रहोगे मेरे दिल के.
अगरबत्ती न जला के
मैं ही सिगरेट पीना शुरू कर दूंगी
जिससे तुम तक पहुँच सके
सिगरेट का धुंआ...
और मैं भी उस धुंए में रहते रहते
जल्दी मर जाऊं
आकर के तुमसे मिल पाऊं.
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बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति,,,,
ReplyDeleteमैं ही सिगरेट पीना शुरू कर दूंगी
जिससे तुम तक पहुँच सके
सिगरेट का धुंआ...
और मैं भी उस धुंए में रहते रहते
जल्दी मर जाऊं
आकर के तुमसे मिल पाऊं.,,,,
मगर सिगरेट पीना स्वास्थ के लिये हानिकारक है,,,,,
RECENT POST : गीत,
पता है हानिकारक है.पर,जानते बूझते भी हम कुछ काम करते ही हैं
Deleteमनुहार,तकरार- सबमें है प्यार
ReplyDeleteजी..बिलकुल.
Deleteकिसी तरह तो मानें और सिगरेट पीना छोड़ दें ... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteकोशिश हर तरह से
Deleteसमझाने से ना माने तो क्या कीजे ...आगे तक नजर डाली !
ReplyDeleteइन कल्पनाओं से भी ना छूटे सिगरेट तो क्या कीजे !
आदतें कहाँ छूटती हैं ..आसानी से.
Deleteबहुत सुंदरता से कही अपनी बात ,
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना ...!!
शुक्रिया!
Deleteक्या फायदा उस शख्स के लिए अपने आपको बर्बाद करने का सोचकर..?? गर सही मायने में वो आपको प्यार करता तो कब की आपकी बात मान कर ये सब छोड़ देता..पर ये सब महज़ दिखावा है..!! इसीलिये आप भी अपने लिए ही जीयें..!!
ReplyDeleteरचना का plot अच्छा लगा..!!
इत्ता आसां नहीं होताहै ...सिगरेट छोड़ना.विदड्राल सिम्टमस् होते हैं
Deleteशिगरेट छोडने वालों में आता हूँ मैं ....9 साल हो गये अब ...
ReplyDeleteकोई भी काम नामुमकिन नहीं होता ... बस इक्छा शक्ति .........
सादर
भरत
आप की इच्छा शक्ति को सलाम....!!मैं कई लोगों को जानती हूँ कि छोड़ देते हैं पर कुछ दिन बाद फिर शुरू कर देते हैं.
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