Wednesday, September 5, 2012

सुनो न ..




तुम ,
कुछ कहो न कहो..
कुछ लिखो न लिखो
मुझे वो सारे हुनर आते हैं
जिनसे
तुम्हारी आँखों से होकर
मैं मन तक पहुँच जाती हूँ
और सब अनकहा ...सुन आती हूँ.
सब अनलिखा ...पढ़ आती हूँ .

अब तो कभी नहीं कहोगे न ..
कि "कुछ नहीं हुआ "
"पता नहीं "कह कर नहीं टालोगे
या ...बस,"ऐसे ही "कह कर बहलाओगे नहीं .

13 comments:

  1. तुम्हारी आँखों से होकर
    मैं मन तक पहुँच जाती हूँ
    और सब अनकहा ...सुन आती हूँ.
    सब अनलिखा ...पढ़ आती हूँ .

    बहुत बढ़िया बेहतरीन प्रस्तुति,,,,
    RECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,

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  2. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद!

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  3. बहुत ही बढ़िया।


    सादर

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  4. Replies
    1. तहे दिल से शुक्रिया !!

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  5. आप रुलाते बहुत हो निधि !

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    1. लीजिए मुस्कुराईये:-))))))

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  6. This comment has been removed by a blog administrator.

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