Saturday, September 29, 2012

सांझ



ये सांझ ....
मेरी  तुम्हारी
बीतेगी कैसे...
तुम ही कहो न.

उस शाम ,
तुम्हारे बिछड़ने के उस पल से
मेरी सुरमई आँखों में
तैरती लाली
तेरी आँखों में
ठहर गयी है
लाख जतन कर लो
मेरी ये कजरारी आँखें
अब कभी
तुम्हारा पीछा नहीं छोडेंगी .

14 comments:

  1. बहुत सुंदर ...कोमल अभिव्यक्ती ...
    शुभकामनायें ...

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  2. कल 30/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  3. लाख जतन कर लो
    मेरी ये कजरारी आँखें
    तुम्हारा पीछा नहीं छोडेंगी ...ये हुई न बात

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    1. तहे दिल से शुक्रिया!

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  4. :):) छोडना भी मत ... सुंदर अभिव्यक्ति

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  5. वाह,क्या बात है

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  6. बढ़िया प्रस्तुति |
    इस समूहिक ब्लॉग में पधारें और हुमसे जुड़ें |
    काव्य का संसार

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    Replies
    1. शुक्रिया!!
      जी ज़रूर .

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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