Wednesday, November 30, 2011

विस्मरण ही मुश्किल है ...




मेरी ज़िंदगी बदलने को
वो शख्स आया था .
जीना सिखाया...उसने .
देने का सुख ,
बेहतर है लेने से
मुझे बताया ...उसने.

आज,
जब वो गया कह कर
भूल जाना मुझे....
कोशिश करना दिल से,
कि भूल पाओ मुझे
तो.....
समझा गया
कि
सरल बहुत है..याद करना
विस्मरण ही मुश्किल है .

28 comments:

  1. समयानुसार ...अलफ़ाज़ ऐसे ही होते हैं

    ReplyDelete
  2. सरल बहुत है..याद करना
    विस्मरण ही मुश्किल है .

    ...बहुत सच कहा है...सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

    ReplyDelete
  3. सत्य कहा उसने भूलना बहुत मुश्किल है सार्थक सन्देश देती हुई रचना ...

    ReplyDelete
  4. सरल बहुत है..याद करना
    विस्मरण ही मुश्किल है .

    सहजता से कही गहन वेदना ...!!

    ReplyDelete
  5. वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति है,निधि जी.
    विस्मरण करना सरल नही होता.
    परन्तु,समय के साथ साथ और मृत्यु के
    पश्चात प्रकृति ने विस्मरण की व्यवस्था बनाई है शायद.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा निधि जी.
    महावीर हनुमान जी पर अपने विचार और
    अनुभव प्रस्तुत कर अनुग्रहित कीजियेगा.

    ReplyDelete
  6. कैलाश जी....आपका आभार !!

    ReplyDelete
  7. सुनील जी...आपको रचना अच्छी लगी...शुक्रिया !!

    ReplyDelete
  8. अनुपमा जी...हार्दिक धन्यवाद!!

    ReplyDelete
  9. राकेश जी...मैं अवश्य आउंगी,आपके ब्लॉग पर...जल्द ही .आपकी आभारी हूँ कि आपने पोस्ट पढ़ी एवं सराही

    ReplyDelete
  10. मेरी ज़िंदगी बदलने को
    वो शख्स आया था .
    जीना सिखाया...उसने .
    देने का सुख ,
    बेहतर है लेने से
    मुझे बताया ...उसने.

    आज,
    जब वो गया कह कर
    भूल जाना मुझे....
    कोशिश करना दिल से,
    कि भूल पाओ मुझे
    तो.....
    समझा गया
    कि
    सरल बहुत है..याद करना
    विस्मरण ही मुश्किल है .....hello mam...
    ek ek line itni achhi hai ki bata nhi skti....aap itna achha likhti hai.ki kya bolu main..kabhi kabhi nishab hoti hu padh ke ki koi itne gehre bhaw ko kaise samjh lete hai....mujhe hamesha aapke sidhhe saral magr dil ko chir dene bali lajaba rachna ka intzar rehta hai....umeed hai ki aap achhi hongi...sadar namste

    ReplyDelete
  11. सुषमा.....थैंक्स!!

    ReplyDelete
  12. रश्मिप्रभा जी...हार्दिक आभार!!

    ReplyDelete
  13. आरती...नमस्ते!!मैं ठीक हूँ और तुम्हारी कुशलता चाहती हूँ .तुमने इतना कुछ कह दिया कि मुझे समझ ही नहीं आ रहा है कि क्या कहूँ ,मेरा लिखा तुम्हे पसंद है इसके लिए तुम्हारा शुक्रिया

    ReplyDelete
  14. किसी अपने को भूलना सच मे बहुत मुश्किल होता है।

    -----

    कल 02/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  15. महेंद्र जी ...आपका आभार !!

    ReplyDelete
  16. हाँ ,याद करना अपेक्षाकृत सरल होता है .भूलना मुश्किल....यशवंत .
    शुक्रिया,पोस्ट को लिंक करने के लिए .

    ReplyDelete
  17. काश भूल पाना इतना ही आसान होता....जितना कि कहना होता है...

    ReplyDelete
  18. भूल पाना बहुत मुश्किल है,कुमार....जब अपने पे पड़ती है तब ये समझ आता है .

    ReplyDelete
  19. सचमुच.... मुश्किल है...
    सुन्दर रचना...
    सादर...

    ReplyDelete
  20. सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति........

    ReplyDelete
  21. संजय जी....मेरी बात से आप सहमत हैं...इसके लिए शुक्रिया!!

    ReplyDelete
  22. निवेदिता...नवाजिश है,आपकी .

    ReplyDelete
  23. सागर....बहुत आभार !!

    ReplyDelete
  24. Lajwab Nidhi ... difficult to describe my feelings in words ... but I know, you understand better, what I mean.

    ReplyDelete
  25. ब्रजेश ..आप कुछ न भी कहें,तो भी मैं समझ लूंगी कि आप क्या कहना चाह रहे हैं....इस पोस्ट के सन्दर्भ में.वैसे ,काफी दिनों बाद आपका कमेन्ट पढ़ना अच्छा लगा

    ReplyDelete

टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

Followers