ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Wednesday, November 30, 2011
विस्मरण ही मुश्किल है ...
मेरी ज़िंदगी बदलने को
वो शख्स आया था .
जीना सिखाया...उसने .
देने का सुख ,
बेहतर है लेने से
मुझे बताया ...उसने.
आज,
जब वो गया कह कर
भूल जाना मुझे....
कोशिश करना दिल से,
कि भूल पाओ मुझे
तो.....
समझा गया
कि
सरल बहुत है..याद करना
विस्मरण ही मुश्किल है .
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समयानुसार ...अलफ़ाज़ ऐसे ही होते हैं
ReplyDeleteसरल बहुत है..याद करना
ReplyDeleteविस्मरण ही मुश्किल है .
...बहुत सच कहा है...सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
सत्य कहा उसने भूलना बहुत मुश्किल है सार्थक सन्देश देती हुई रचना ...
ReplyDeleteसरल बहुत है..याद करना
ReplyDeleteविस्मरण ही मुश्किल है .
सहजता से कही गहन वेदना ...!!
वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति है,निधि जी.
ReplyDeleteविस्मरण करना सरल नही होता.
परन्तु,समय के साथ साथ और मृत्यु के
पश्चात प्रकृति ने विस्मरण की व्यवस्था बनाई है शायद.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा निधि जी.
महावीर हनुमान जी पर अपने विचार और
अनुभव प्रस्तुत कर अनुग्रहित कीजियेगा.
कैलाश जी....आपका आभार !!
ReplyDeleteसुनील जी...आपको रचना अच्छी लगी...शुक्रिया !!
ReplyDeleteअनुपमा जी...हार्दिक धन्यवाद!!
ReplyDeleteराकेश जी...मैं अवश्य आउंगी,आपके ब्लॉग पर...जल्द ही .आपकी आभारी हूँ कि आपने पोस्ट पढ़ी एवं सराही
ReplyDeleteमेरी ज़िंदगी बदलने को
ReplyDeleteवो शख्स आया था .
जीना सिखाया...उसने .
देने का सुख ,
बेहतर है लेने से
मुझे बताया ...उसने.
आज,
जब वो गया कह कर
भूल जाना मुझे....
कोशिश करना दिल से,
कि भूल पाओ मुझे
तो.....
समझा गया
कि
सरल बहुत है..याद करना
विस्मरण ही मुश्किल है .....hello mam...
ek ek line itni achhi hai ki bata nhi skti....aap itna achha likhti hai.ki kya bolu main..kabhi kabhi nishab hoti hu padh ke ki koi itne gehre bhaw ko kaise samjh lete hai....mujhe hamesha aapke sidhhe saral magr dil ko chir dene bali lajaba rachna ka intzar rehta hai....umeed hai ki aap achhi hongi...sadar namste
गहन वेदना.....
ReplyDeleteसुषमा.....थैंक्स!!
ReplyDeleteरश्मिप्रभा जी...हार्दिक आभार!!
ReplyDeleteआरती...नमस्ते!!मैं ठीक हूँ और तुम्हारी कुशलता चाहती हूँ .तुमने इतना कुछ कह दिया कि मुझे समझ ही नहीं आ रहा है कि क्या कहूँ ,मेरा लिखा तुम्हे पसंद है इसके लिए तुम्हारा शुक्रिया
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteकिसी अपने को भूलना सच मे बहुत मुश्किल होता है।
ReplyDelete-----
कल 02/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
महेंद्र जी ...आपका आभार !!
ReplyDeleteहाँ ,याद करना अपेक्षाकृत सरल होता है .भूलना मुश्किल....यशवंत .
ReplyDeleteशुक्रिया,पोस्ट को लिंक करने के लिए .
काश भूल पाना इतना ही आसान होता....जितना कि कहना होता है...
ReplyDeleteभूल पाना बहुत मुश्किल है,कुमार....जब अपने पे पड़ती है तब ये समझ आता है .
ReplyDeleteसचमुच.... मुश्किल है...
ReplyDeleteसुन्दर रचना...
सादर...
सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति........
ReplyDeleteसंजय जी....मेरी बात से आप सहमत हैं...इसके लिए शुक्रिया!!
ReplyDeleteनिवेदिता...नवाजिश है,आपकी .
ReplyDeletebehtreen rachna abhivaykti...
ReplyDeleteसागर....बहुत आभार !!
ReplyDeleteLajwab Nidhi ... difficult to describe my feelings in words ... but I know, you understand better, what I mean.
ReplyDeleteब्रजेश ..आप कुछ न भी कहें,तो भी मैं समझ लूंगी कि आप क्या कहना चाह रहे हैं....इस पोस्ट के सन्दर्भ में.वैसे ,काफी दिनों बाद आपका कमेन्ट पढ़ना अच्छा लगा
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