Monday, November 7, 2011

बातें जो खत्म नहीं होतीं



आओ ...
एक बार फिर....
सारी रात गुज़ारे ...साथ -साथ
वक्त गुजरने का पता न चले..

ओस की बूंदों से अंजुरी भरें
भोर की पहली किरण हँसे
और कहे...
अभी भी जाग रहे हो...तुम दोनों
सोना नहीं है क्या ?
ऐसी कौन सी बातें हैं
जो कभी खत्म ही नहीं होती .

22 comments:

  1. ऐसी रातें और ऐसी बातें कभी खत्म नहीं होतीं.......

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  2. आमीन .........प्रियंका !!

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  3. बहुत ही अच्छी एवं एक ख़ास एहसास से लैस रचना के लिए दिल से बधाई निधि जी !!!

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  4. बेहतरीन भावों को शब्दबद्ध किया है आपने !


    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है,कृपया अपने महत्त्वपूर्ण विचारों से अवगत कराएँ ।
    http://poetry-kavita.blogspot.com/2011/11/blog-post_06.html

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  5. चलो न एक बार फिर .............

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  6. रात अभी बाकी है. बेहतरीन अभिव्यक्ति और अत्यंत संवेदनशील प्रस्तुति.

    बधाई.

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  7. बड़ी ही प्यारी बातें..वो जो रातों में खत्म नहीं होती..
    बहुत सुन्दर.

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  8. वंदना............थैंक्स!!

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  9. संजय जी.....शुक्रिया....रचना को पसंद करने के लिए .

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  10. अनुपमा ....ब्लॉग पर आने और रचना को सराहने हेतु धन्यवाद!

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  11. रश्मिप्रभा जी ....यह सिलसिला यूँ ही चलता रहा ...

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  12. रचना...पढ़ने,सराहने ..टिप्पणी करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया !!

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  13. संतोष जी.....छोटी सी रातें..लंबी बातें...........

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  14. mam baten kabhi khatam nahi hoti....
    jai hind jai bharat

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  15. sajan...हाँ,यह तो सच है कि ...बातें कभी खतम नहीं होती

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  16. अब किसी को टोकते हुए खुद पर हंसी आती है कि इतनी बातें कहाँ से उपजती थी हमें भी!

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  17. वाणी जी....मत टोकिए...चलने दीजिए ये बातों के सिलसिले...यूँ ही...

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  18. भोर की पहली किरण हँसे
    और कहे...
    अभी भी जाग रहे हो...तुम दोनों
    सोना नहीं है क्या ?
    ऐसी कौन सी बातें हैं
    जो कभी खत्म ही नहीं होती . ....

    सबसे पहली प्रतिक्रिया वाह !
    निधि जी पहले मुस्कराहट आयी होंठो पर फिर आंसू आ ही गए ....
    सीधे अंदर उतरती हुई रचना !

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  19. तहे दिल से शुक्रिया...आनंद जी .

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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