ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Tuesday, January 3, 2012
मेरा जाड़ा..खूबसूरत हो चला है .
बड़ी लंबी थी वो रातें....
जो तेरे अबोले के साथ गुजारीं.
कितना कुछ जम गया था
हम दोनों के बीच .
सब कुछ सर्द..तनहा सा .
एकाएक ...
प्यार की इस गुनगुनी धूप ने
दिल पे से,
गलतबयानी के कुहासे को हटा दिया है..
तुम्हारे होठों की छुअन ने
जमे हुए बर्फ को पिघला दिया है .
हाथों के स्पर्श की वो गरमी-नरमी
सर्दी में चाय के कप सी
मेरे अंतस को सहला रही है ..
दिल का मौसम खुशगवार हो चला है
मेरा जाड़ा एक बार फिर....
खूबसूरत हो चला है .
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बड़ी लंबी थी वो रातें....
ReplyDeleteजो तेरे अबोले के साथ गुजारीं.
प्यार के कोमल अहसासों को शब्दों में ढालना हर किसी के बस बात नहीं होती......खूबसूरती से लिखा है आपने...निधि जी
दिल का मौसम खुशगवार हो चला है
ReplyDeleteमेरा जाड़ा एक बार फिर....
खूबसूरत हो चला है .....आपके दिए खुबसूरत शब्दों से ये रचना भी बहुत खुबसूरत हो चली है......
बहुत प्यारी अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteवाकई खुशगवार जाड़ा महसूस हुआ आपकी कविता में..
aapka jaada hamesha khushgwaar rahe
ReplyDeleteदिल का मौसम खुशगवार हो चला,...बेहद सुंदर पन्तियाँ,...
ReplyDelete"काव्यान्जलि":
संजय जी...थैंक्स. किसी की भी नाराजगी के साथ वक्त गुजारना बड़ा तकलीफदेह होता है.
ReplyDeleteसुषमा...आपकी खूबसरत सी टिप्पणी के लिए ...शुक्रिया!!
ReplyDeleteविद्या...सबके लिए यह जाड़ा यूँ ही खुशगवार रहे .
ReplyDeleteरश्मिप्रभा जी....आमीन!!
ReplyDeleteधीरेन्द्र जी....आभार!!
ReplyDeleteआपका लेखन बेजोड़ है
ReplyDeleteनीरज
हाथों के स्पर्श की वो गरमी-नरमी
ReplyDeleteसर्दी में चाय के कप सी
मेरे अंतस को सहला रही है ..
अहसासों को शब्दों के रूप में बड़ी खूबसूरती से पिरोया है आपने.
खूबसूरत एहसास ...
ReplyDeleteवास्तव मे आपको पढ़ कर यादों का मौसम खुशगवार हो गया है
ReplyDeleteनीरज जी.....प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करती हूँ.
ReplyDeleteविधा....आपको पसंद आये शब्दों में पिरोये हुए एहसास...धन्यवाद!!
ReplyDeleteसंगीता जी...थैंक्स!!
ReplyDeleteपद्म सिंह जी...यूँ ही खुशगवार रहे,बस.
ReplyDeleteदिल का मौसम खुशगवार हो चला है
ReplyDeleteमेरा जाड़ा एक बार फिर....
खूबसूरत हो चला है .
शुभकामनाएं ... हमेशा यूं ही खुशगवार रहे ... ये जाड़ा
दिल का मौसम खुशगवार हो चला है
ReplyDeleteमेरा जाड़ा एक बार फिर....
खूबसूरत हो चला है .
..yun hi khoobsurati bani rahi...
Jaade ke mausam mein sundar rachna..
aapko spariwar nav varsh kee haardik shubhkamna..
दिल का मौसम खुशगवार हो चला है
ReplyDeleteक्या बात है....खूबसूरत...
सदा...आपकी शुभकामनाओं हेतु शुक्रिया !
ReplyDeleteकविता....आपको एवं आपके परिवार को भी नववर्ष की शुभकामनायें!!
ReplyDeleteआपकी दुआ के लिए थैंक्स !
कुमार...हार्दिक धन्यवाद!!
ReplyDeleteऐसी गुनगुनी धूप जितनी जल्दी फैल जाए और ये जाड़ा खूबसूरत हो निखर जाए!! बस और क्या चाहिए!! सुन्दर!!
ReplyDeleteरस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट " जाके परदेशवा में भुलाई गईल राजा जी" पर आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । नव-वर्ष की मंगलमय एवं अशेष शुभकामनाओं के साथ ।
ReplyDeleteसलिल....वाकई और क्या चाहिए..
ReplyDeleteप्रेम सरोवर जी...आपको भी नववर्ष की शुभकामनायें.आपकी पोस्ट देखने अवश्य आउंगी.
ReplyDeleteदिल का मौसम खुशगवार हो चला है
ReplyDeleteमेरा जाड़ा एक बार फिर....
खूबसूरत हो चला है .
....
बधाई हो निधि !
आनंद जी ...स्वीकारती हूँ,आपकी बधाई.
ReplyDeleteसर्द मौसम मे जो भावनाएँ जमी थीं ना ......ऋतुराज आया है.....वो सब उन्मत्त हो जाएँगी ....फिर तो तुम्हारा वसंत और भी खूबसूरत हो जाएगा ......हर मौसम खूबसूरती से तुम्हे स्पर्श करे ...दुआ है
ReplyDeleteतूलिका....तुम अपनी दुआओं में यूँ ही शामिल रखना...बस,कोई मौसम आये -जाए क्या फर्क पड़ता है.भावनाएं तो ऋतुराज के आने की खबर से ही पिघलने लगी है.
Deleteबड़ी लंबी थी वो रातें....
ReplyDeleteजो तेरे अबोले के साथ गुजारीं.
कितना कुछ जम गया था
हम दोनों के बीच .
सब कुछ सर्द..तनहा सा ....................nice
बहुत -बहुत शुक्रिया !!
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