Tuesday, January 10, 2012

चलो न...


चलो न..
हाथ थामो मेरा
कुछ रचते हैं ..


दोनों को पता है
मिलना नहीं बदा है
इसलिए बिना एक दूसरे के
आगे की ज़िंदगी के कटने का
कुछ इंतजाम करें

चलो,जन्म देते हैं
कुछ ऐसे लम्हों को ...
जो यादगार बनें
जिनके सहारे
सारी उम्र कटे .
रोये आँखें तो भी ख्वाब बुने
होठों पे मुस्कान से सजे
तेरे-मेरे साथ के
बेशुमार प्यार के .

36 comments:

  1. बहुत सुन्दर जज़्बात...
    वाह..

    ReplyDelete
  2. बेहद ख़ूबसूरत रचना
    बहुत ही सरल शब्दों में दिल की गहराईयों को छु लेती हैं आप की रचनाएँ

    ReplyDelete
  3. खुबसूरत एहसास को शब्दों में पिरोया है आपने.....

    ReplyDelete
  4. खुबसूरत एहसास

    ReplyDelete
  5. कुछ लम्हें तो हैं जीने के लिए
    कुछ और की ख्वाहिश में
    सब खोने की क्या ज़रूरत !

    ReplyDelete
  6. विद्या....बहुत -बहुत आभार!!

    ReplyDelete
  7. संजय जी...धन्यवाद,मेरे सरल भावों और सरल भाषा को पसंद करने के लिए .

    ReplyDelete
  8. सुषमा...थैंक्स!!

    ReplyDelete
  9. संगीता जी...हार्दिक धन्यवाद!!

    ReplyDelete
  10. कुरुवंश जी....:-)))

    ReplyDelete
  11. पद्म सिंह जी....सराहने के लिए धन्यवाद!!

    ReplyDelete
  12. रश्मिप्रभा जी....वो लम्हें भरपूर जियेंगे तभी तो आगे के लिए कुछ यादें रचेंगे...खूबसूरत सी

    ReplyDelete
  13. ऐसे लम्हें हमेशा जनमते हैं बस तलाश जरूरी है उन्हें खोजने की ...
    सुन्दर रचना ....

    ReplyDelete
  14. ...बोइये कुछ खूबसूरत लम्हे...कुछ खाब.......ये पल भी खूबसूरत बने रहे और....आने वाले भी...
    सादर !!

    ReplyDelete
  15. ऐसे भी बुने जाते हैं कुछ ख्वाब... बिखेरे जाते हैं कुछ तबस्सुम..जब साथ-साथ चलते हुए कोइ पास-पास रह जाता है!! संबंधों को तलाशती एक भावभीनी रचना!!

    ReplyDelete
  16. कुछ साथ ऐसे होते हैं...जिन्हें हम हमेशा के लिए स्वयं में समेट लेना चाहते हैं...लेकिन वो सिर्फ एक याद बन के रह जाते हैं...

    ReplyDelete
    Replies
    1. क्या किया जा सकता है....कुछ चीज़ों पर आपका बस भी तो नहीं चलता .....मनोज जी.

      Delete
  17. चलो,जन्म देते हैं
    कुछ ऐसे लम्हों को ...
    जो यादगार बनें
    जिनके सहारे
    सारी उम्र कटे .

    बेहतरीन रचना...बधाई...

    नीरज

    ReplyDelete
    Replies
    1. थैंक्स...रचना को पसंद करने के लिए.

      Delete
  18. दिगंबर जी...बिलकुल दुरुस्त फरमाया,आपने.तलाशते रहना ज़रूरी है.

    ReplyDelete
  19. कुमार.....हम सबको ऐसे खूबसूरत लम्हें बोते रहने चाहिए .

    ReplyDelete
  20. चला बिहारी ब्लॉगर बनने....आपको संबंधों को तलाशती रचना पसंद आई...थैंक्स!!

    ReplyDelete
  21. Replies
    1. जेन्नी शबनम जी....हार्दिक धन्यवाद!!

      Delete
  22. दोनों को पता है
    मिलना नहीं बदा है
    इसलिए बिना एक दूसरे के
    आगे की ज़िंदगी के कटने का
    कुछ इंतजाम करें.....
    ...
    उसने कर लिया इंतजाम निधि जी ...अब बचे हम तो हमरे पास भी पर्याप्त यादें हैं चल जायेगा काम अभी एक-दो जनम और भी !

    ReplyDelete
    Replies
    1. यही स्पिरिट होनी चाहिए....यादों के सहारे ...एक-दो जन्म तो आसानी से निकाले ही जा सकते हैं

      Delete
  23. नयंक पटेलFebruary 4, 2012 at 8:12 AM

    दोनों को पता है
    मिलना नहीं बदा है

    फिर भी


    हाथ थामने की उम्मीद ..कुछ रचते के लिए

    कुछ ऐसे लम्हों को .जन्म देने की खवाइश ..जिनके सहारे सारी उम्र कटे ....जो यादगार बनें

    रोये आँखें.....क्यूँ ? फिर भी ख्वाब बुने...........रोते हुवे दिल के साथ

    सिर्फ इसलिए की बिना एक दूसरे के आगे की ज़िंदगी के कटने का कुछ इंतजाम कर सके ??????? लेकिन आज का क्या ? आज के लम्हों और जिंदगी का क्या ? ऐसी उम्मीद क्यूँ ,आगे की जिंदगी एक दुसरे के बिना कटेगी ???????????
    अच्छा ये लगा की आज हो या कल जिंदगी कुछ ऐसे कटे बस हमेशा ...होठों पे मुस्कान से सजे... तेरे-मेरे साथ के (साथ या साथ गुज़ारे हुवे लम्हों की यादों के साथ ) बेशुमार प्यार के ......फिर और नए लम्हें का जन्म जो यादगार बनेगा ..होठों पे मुस्कान सजाता रहेगा वोही बेसुमार प्यार के साथ ....बहोत ही उमदा कल्पना जिंदगी को किसी भी हाल में वोही बेसुमार प्यार के साथ गुज़ार ने के लिए .

    ReplyDelete
    Replies
    1. नयंक जी...कई बार पता होता है कि प्यार ज़रूर किया है पर ज़िंदगी हमेशा साथ साथ नहीं गुजरेगी...तो,जिन पल में साथ नहीं होंगे .उन पलों को भी खुशी से जीने के लिए ...कुछ तो रचना चाहिए.
      बड़े दिन बाद आपकी विस्त्रीर टिप्पणी पढ़ने को मिली .अच्छा लगा .

      Delete
  24. सुंदर प्रस्तुति ... खूबसूरत रचना ..एक बार फिर .. निधि :))

    कुछ अश'आर याद आ गए ...

    कहीं इफरात है तो कहीं कुछ कम है
    पास सबके यहाँ कोई न कोई गम है

    साथ किसी के गुज़ारे थे कुछ लम्हें
    सोचने बैठ जाऊं तो ये ज़िंदगी कम है

    वो है हमारा या हम है उसके
    मेरी खुद से ये जिरह हरदम है

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहे दिल से आपका शुक्रिया...मेरा लिखा पसंद करने के लिए और इतने खूबसूरत शेर कहने के लिए,भी.

      Delete
  25. वाह बहुत खूब लिखा है

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद!!

      Delete
  26. सुंदर..

    ...

    "प्रगाढ़ता बढ़ती हर क्षण..
    विस्मित रहता तन-मन..
    चलते रहने को तत्पर..
    सुकोमल सुचित्रित फन..!!"

    ...

    ReplyDelete

टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

Followers