ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Tuesday, January 10, 2012
चलो न...
चलो न..
हाथ थामो मेरा
कुछ रचते हैं ..
दोनों को पता है
मिलना नहीं बदा है
इसलिए बिना एक दूसरे के
आगे की ज़िंदगी के कटने का
कुछ इंतजाम करें
चलो,जन्म देते हैं
कुछ ऐसे लम्हों को ...
जो यादगार बनें
जिनके सहारे
सारी उम्र कटे .
रोये आँखें तो भी ख्वाब बुने
होठों पे मुस्कान से सजे
तेरे-मेरे साथ के
बेशुमार प्यार के .
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बहुत सुन्दर जज़्बात...
ReplyDeleteवाह..
बेहद ख़ूबसूरत रचना
ReplyDeleteबहुत ही सरल शब्दों में दिल की गहराईयों को छु लेती हैं आप की रचनाएँ
खुबसूरत एहसास को शब्दों में पिरोया है आपने.....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत एहसास ..
ReplyDeleteखुबसूरत एहसास
ReplyDeleteसुन्दर...
ReplyDeleteकुछ लम्हें तो हैं जीने के लिए
ReplyDeleteकुछ और की ख्वाहिश में
सब खोने की क्या ज़रूरत !
विद्या....बहुत -बहुत आभार!!
ReplyDeleteसंजय जी...धन्यवाद,मेरे सरल भावों और सरल भाषा को पसंद करने के लिए .
ReplyDeleteसुषमा...थैंक्स!!
ReplyDeleteसंगीता जी...हार्दिक धन्यवाद!!
ReplyDeleteकुरुवंश जी....:-)))
ReplyDeleteपद्म सिंह जी....सराहने के लिए धन्यवाद!!
ReplyDeleteरश्मिप्रभा जी....वो लम्हें भरपूर जियेंगे तभी तो आगे के लिए कुछ यादें रचेंगे...खूबसूरत सी
ReplyDeleteऐसे लम्हें हमेशा जनमते हैं बस तलाश जरूरी है उन्हें खोजने की ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना ....
...बोइये कुछ खूबसूरत लम्हे...कुछ खाब.......ये पल भी खूबसूरत बने रहे और....आने वाले भी...
ReplyDeleteसादर !!
ऐसे भी बुने जाते हैं कुछ ख्वाब... बिखेरे जाते हैं कुछ तबस्सुम..जब साथ-साथ चलते हुए कोइ पास-पास रह जाता है!! संबंधों को तलाशती एक भावभीनी रचना!!
ReplyDeleteकुछ साथ ऐसे होते हैं...जिन्हें हम हमेशा के लिए स्वयं में समेट लेना चाहते हैं...लेकिन वो सिर्फ एक याद बन के रह जाते हैं...
ReplyDeleteक्या किया जा सकता है....कुछ चीज़ों पर आपका बस भी तो नहीं चलता .....मनोज जी.
Deleteचलो,जन्म देते हैं
ReplyDeleteकुछ ऐसे लम्हों को ...
जो यादगार बनें
जिनके सहारे
सारी उम्र कटे .
बेहतरीन रचना...बधाई...
नीरज
थैंक्स...रचना को पसंद करने के लिए.
Deleteदिगंबर जी...बिलकुल दुरुस्त फरमाया,आपने.तलाशते रहना ज़रूरी है.
ReplyDeleteकुमार.....हम सबको ऐसे खूबसूरत लम्हें बोते रहने चाहिए .
ReplyDeleteचला बिहारी ब्लॉगर बनने....आपको संबंधों को तलाशती रचना पसंद आई...थैंक्स!!
ReplyDeletesahaj maarmik rachna, shubhkaamnaayen.
ReplyDeleteजेन्नी शबनम जी....हार्दिक धन्यवाद!!
Deleteदोनों को पता है
ReplyDeleteमिलना नहीं बदा है
इसलिए बिना एक दूसरे के
आगे की ज़िंदगी के कटने का
कुछ इंतजाम करें.....
...
उसने कर लिया इंतजाम निधि जी ...अब बचे हम तो हमरे पास भी पर्याप्त यादें हैं चल जायेगा काम अभी एक-दो जनम और भी !
यही स्पिरिट होनी चाहिए....यादों के सहारे ...एक-दो जन्म तो आसानी से निकाले ही जा सकते हैं
Deleteदोनों को पता है
ReplyDeleteमिलना नहीं बदा है
फिर भी
हाथ थामने की उम्मीद ..कुछ रचते के लिए
कुछ ऐसे लम्हों को .जन्म देने की खवाइश ..जिनके सहारे सारी उम्र कटे ....जो यादगार बनें
रोये आँखें.....क्यूँ ? फिर भी ख्वाब बुने...........रोते हुवे दिल के साथ
सिर्फ इसलिए की बिना एक दूसरे के आगे की ज़िंदगी के कटने का कुछ इंतजाम कर सके ??????? लेकिन आज का क्या ? आज के लम्हों और जिंदगी का क्या ? ऐसी उम्मीद क्यूँ ,आगे की जिंदगी एक दुसरे के बिना कटेगी ???????????
अच्छा ये लगा की आज हो या कल जिंदगी कुछ ऐसे कटे बस हमेशा ...होठों पे मुस्कान से सजे... तेरे-मेरे साथ के (साथ या साथ गुज़ारे हुवे लम्हों की यादों के साथ ) बेशुमार प्यार के ......फिर और नए लम्हें का जन्म जो यादगार बनेगा ..होठों पे मुस्कान सजाता रहेगा वोही बेसुमार प्यार के साथ ....बहोत ही उमदा कल्पना जिंदगी को किसी भी हाल में वोही बेसुमार प्यार के साथ गुज़ार ने के लिए .
नयंक जी...कई बार पता होता है कि प्यार ज़रूर किया है पर ज़िंदगी हमेशा साथ साथ नहीं गुजरेगी...तो,जिन पल में साथ नहीं होंगे .उन पलों को भी खुशी से जीने के लिए ...कुछ तो रचना चाहिए.
Deleteबड़े दिन बाद आपकी विस्त्रीर टिप्पणी पढ़ने को मिली .अच्छा लगा .
सुंदर प्रस्तुति ... खूबसूरत रचना ..एक बार फिर .. निधि :))
ReplyDeleteकुछ अश'आर याद आ गए ...
कहीं इफरात है तो कहीं कुछ कम है
पास सबके यहाँ कोई न कोई गम है
साथ किसी के गुज़ारे थे कुछ लम्हें
सोचने बैठ जाऊं तो ये ज़िंदगी कम है
वो है हमारा या हम है उसके
मेरी खुद से ये जिरह हरदम है
तहे दिल से आपका शुक्रिया...मेरा लिखा पसंद करने के लिए और इतने खूबसूरत शेर कहने के लिए,भी.
Deleteवाह बहुत खूब लिखा है
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद!!
Deleteसुंदर..
ReplyDelete...
"प्रगाढ़ता बढ़ती हर क्षण..
विस्मित रहता तन-मन..
चलते रहने को तत्पर..
सुकोमल सुचित्रित फन..!!"
...
हम्मम्मम .
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