ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Thursday, December 29, 2011
रोशनी ही रोशनी
तुम....अलग
मैं....अलग.
अलग-अलग होने के बाद भी
कायदे से हम अगर मिल जाएँ...
तो,
विपरीत ध्रुव होने के बाद भी
सही कनेक्शन जुड़ने से
जैसे....
सर्किट पूरा हो जाता है,
बिजली दौडने लगती है.
वैसे ही ..
सब सही हो जता है ...
हमारे बीच.
रोशनी ही रोशनी
मन के अंदर भी ...
और बाहर भी .
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
वाह... सच में
ReplyDeleteतुम....अलग
ReplyDeleteमैं....अलग.
अलग-अलग होने के बाद भी
कायदे से हम अगर मिल जाएँ...
तो,
निधि जी
कविता बार बार पढने को मजबूर करती है
रश्मि जी...हाँ,सच में.
ReplyDeleteवाह...बहुत बढ़िया..
ReplyDeletenice chemistry..or nice physics:-) ???
मिलन की रौशनी होना तो लाज़मी है....
ReplyDeleteसंजय जी...फिर,बहुत दिनों बाद ,आपका कमेन्ट पढ़ने को मिला ..थैंक्स!
ReplyDeleteविद्या...दोनों ही हैं...फिजिक्स भी और केमिस्ट्री भी.
ReplyDeleteकुमार...सच,लाजमी तो है
ReplyDeleteबेहतरीन........आपको नववर्ष की शुभकामनायें
ReplyDeleteसुषमा...शुक्रिया...नव वर्ष आपके लिए भी मंगलमय हो!!
ReplyDeleteबेहतरीन अभिवयक्ति.....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.....
ReplyDeleteसागर...थैंक्स!!
ReplyDeleteरोशनी ही रोशनी
ReplyDeleteमन के अंदर भी ...
और बाहर भी .....
....
दिल को बहलाने को ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है
आनंद जी...दिल किसी भी ख्याल से बहले...बहल जाए ,बस.
ReplyDelete.. बहुत ही electrifying नज़्म है ..निधि .. आप बहुत मौलिक लिखती है ...
ReplyDeleteजलाकर ‘दिल’ भी ... ‘रोशनी’ न हुई
‘कनेक्शन’ में कोई ‘शार्ट सर्किट’ तो नहीं
आप के करेंट के जैसे कमेन्ट के लिए शुक्रिया!!,अमित.जांच के लिए किसी इलेक्ट्रीशियन को बुलाईये,वो बताएगा शोर्ट सर्किट के बारे में ...
Deleteबस मिलने की देर है ...
ReplyDeleteइसीलिए तो इतना अंधेर है......मगर जान...
मिलन का कायदा अगर आता
रोशन अपना जहान हो जाता
तूलिका.....यह कायदा ही तो जान ले लेता है....सारी उम्र इसी कायदे में ही तो तमाम हुई जाती है.
Deleteतूलिका...चलो न ...साथ मिल कर कायदा ढूँढते हैं...रोशन अपना भी जहां कर लेते हैं