Saturday, December 3, 2011

इतना याद आना




किस बात पे याद आते हो?
कितना याद आते हो?
क्यूँ याद आते हो??????
बड़ा मुश्किल होता है
ये सब बही खाते ..
रख पाना .
इसलिए ,
जब भी याद आना
मेरी जान...
हर बात पे याद आना
बिना किसी कारण याद आना
बेहिसाब याद आना
मैं खुद को भूल जाऊं
बस,इतना याद आना.

30 comments:

  1. मेरी जान...
    हर बात पे याद आना
    बिना किसी कारण याद आना
    बेहिसाब याद आना
    मैं खुद को भूल जाऊं
    बस,इतना याद आना..
    ............
    वाह, वाह , वाह
    शब्दों की जादूगरनी हैं आप! क्या खूब लिखती हैं आप ! आपकी पोस्ट का बेसब्री से इंतजार रहता है !

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  2. SCORLEO...आपका बहुत बहुत शुक्रिया रचना को पसंद करने हेतु.अच्छा लगा यह जान कर कि मेरा लिखा आप को पढ़ना अच्छा लगता है.

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  3. .....मैं खुद को भूल जाऊं
    बस,इतना याद आना.

    वाह ....यह है पराकाष्ठा

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  4. फिर भूलने की बात ही न होगी ...बहुत सुंदर ...!!

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  5. बहुत सुन्दर ... भाव और प्रवाह पूर्ण रचना

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  6. वाह ………क्या इल्तिज़ा है…………बहुत खूब्।

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  7. प्रेम जी ...शुक्रिया.आपकी पोस्ट पढ़ने अवश्य,आउंगी.

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  8. वंदना...हाँ, बस इतनी ही चाहत है.

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  9. अनुपमा...और क्या..भूलने की बात ही न होगी .

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  10. संगीता जी...हार्दिक धन्यवाद !!

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  11. वंदना.....इल्तिजा कुबूल हो जाए ,बस.

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  12. मैं खुद को भूल जाऊं
    बस,इतना याद आना.... बहुत खुबसूरत इल्तजा है..... कुबूल जरुर होगी.....

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  13. सुषमा.......आमीन!!

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  14. बहुत सुन्दर....मुझे बहुत पसंद आई आपकी कविता..
    शुभकामनाएं.

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  15. बिना किसी कारण याद आना
    बेहिसाब याद आना
    मैं खुद को भूल जाऊं
    बस,इतना याद आना.
    कुछ शब्दों में गहन अभिव्यक्ति। बहुत उत्क्रष्ट प्रस्तुति...निधि जी
    .... व्यस्त होने के कारण काफी दिनों से ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ ...!

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  16. खूबसूरत बयान-ए-अंदाज़..


    ...

    "याद आते नहीं..
    रहते हैं वो..
    रूह में जो..!!!"


    ...

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  17. विद्या जी.......आपका आभार

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  18. संजय जी...आपके कमेंट्स का मुझे इंतज़ार रहता है क्यूंकि आप काफी समय से साथ बने हुए हैं...आपकी टिपण्णी काफी वक्त बाद पढ़ना ,अच्छा लगा...शुक्रिया!!

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  19. हाँ सच ही तो है...प्रियंका ,जो रूह में बस जाते हैं वो भला क्यूँकर याद आयेंगे ...खुद में जो समा जाए वो भी कोई भला याद आता है

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  20. वाह ... याद बनी रहनी चाहिए ,.... चाहे खुद को भूल जाओ पर उन्हें नहीं ... कुआ बात है ...

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  21. दिगंबर जी...अपने को भूल कर ...संपूर्ण समर्पण ही तो प्रेम की पहली शर्त है

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  22. निधि जी ,याद हमारे मन मस्तिष्क में ईश्वर के द्वारा स्थापित एक ऐसा सोफ्टवेयर है जो कभी हमको मुस्कान के पल दे जाता है तो कभी आंसुओं की सौगात| आपने अपनी कविता में उसी याद को एक अलग तरीके से जिया है और जीने की आकांशा की है,,,एक सुंदर हृदयग्राही रचना के लिए बधाई ......!!!!

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  23. बहुत खूब...........wo jab yaad aaye ....bahut yaad aaye........

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  24. just too gud!!!!!!!!!yaad aane ki koi wajah n ,koi shart n ho bas yaad aate raho.bahut sahi nidhiji.

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  25. भावना ....हाँ..बेहिसाब और बेशुमार याद आये .

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  26. शंकर जी ...इतनी विस्तृत टिप्पणी हेतु धन्यवाद!!यादें..अच्छे पलों की हों या खराब...जिससे जुडी हों उसके करीब पहुंचा देती हैं.

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  27. जान कुछ ना कुछ लिखवा ही लेती हो ......अजीब ज़बरदस्ती है

    "वक़्त मौसमों के पैराहन बदलता है
    तुम्हारी याद का मौसम नही ढलता "

    तुम्हारे लेखन मे खुद को महसूस किया है मैने ......पता नहीं क्यों?...पर ऐसा ही है ...

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  28. ... बहुत उम्दा .. ‘नज़्म’ है ‘निधि’ ....

    किये थे साथ मिलकर कुछ वादे
    दिलाकर याद वो खुद भूल गया है

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  29. अमित....बेहतरीन शेर!!
    तहे दिल से शुक्रिया,पसंद करने के लिए .

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  30. तूलिका ...देखो न..इसी बहाने तुम कुछ लिखती रहती हो...अब जोर कहो या ज़बरदस्ती ...ऐसा ही है जी ...
    कुछ लोगों की यादों का मौसम कभी नहीं ढलता ...सच में.

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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