Tuesday, December 27, 2011

जंगल



जंगल....
बिलकुल तुम्हारी आँखों जैसे हैं..
मुझे बुलाते हैं बड़ी शिद्दत से.....
ये अपने करीब.

इनमें जाने का भी मन करता है
डर भी लगता है
कि,
कहीं....
रास्ता ही न भूल जाऊं मैं
ताउम्र ,भटकती ही न रह जाऊं मैं .

32 comments:

  1. कल्पना अच्छी है, परंतु आँखों से जंगल की तुलना - ये थोड़ा अटपटा लगा। फिर भी सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाइयाँ।

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  2. वाह...
    बहुत प्यारी रचना...

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  3. अच्छी प्रस्तुति.
    झील सी गहरी आँखे सुना था
    अब जंगल की भूल भुलैय्या

    वाह!

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  4. सुंदर उपमा..!!!'




    ...

    "तेरी यादों के जंगले में खोये जाते हैं..
    रूह-से-रूह जुड़े कुछ ऐसे नाते हैं..!!"

    ...

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  5. वाह …………॥बहुत ही प्यारी रचना।

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  6. अद्भुत उपमा ..आँखें जंगल के समान ...अच्छी प्रस्तुति

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  7. उनकी आँखों ही जंगल होँ तो कौन निकलना चाहेगा .... सुन्दर भाव ...

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  8. अनुपमा...थैंक्स!!

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  9. नवीन जी..शुक्रिया कि आपने अपने मन का कहा ...यहाँ,जंगल से तुलना ...उनमें खो जाने भटक जाने के कारण की है.मैं,आशा करूंगी कि आप आगे भी ...जो अटपटा लगेगा ,ज़रूर बताएँगे .

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  10. सुषमा...आभार!!

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  11. अमृता...तहे दिल से शुक्रिया!!

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  12. विद्या....धन्यवाद!!

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  13. राकेश जी..जंगल की भूल भुलैया को पसंद करने हेतु,आभार!!

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  14. वन्दना ...प्यारी सी टिप्पणी के लिए प्यार भरा धन्यवाद !!

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  15. संगीता जी....हार्दिक धन्यवाद,नए बिम्ब को पसंद करने के लिए.

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  16. दिगंबर जी...सच,कोई बेवाकूफ ही होगा जो निकलना चाहेगा

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  17. कुमार...क्या उलझन है?

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  18. रूह से रूह का मिलना ...यादों के जंगल में खोना
    क्या बात है,प्रियंका.

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  19. बहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    ..इतना उम्दा लिखने के लिए शुक्रिया...निधि जी

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  20. संजय जी .....पढ़ने एवं सराहने के लिए आपका शुक्रिया!!

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  21. इनमें जाने का भी मन करता है
    डर भी लगता है
    कि,
    कहीं....
    रास्ता ही न भूल जाऊं मैं ...
    ....
    ये है निधि की कविता ...जब निधि अपने रंग में लिखे तो ...वाह !

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  22. आनंद जी.....नवाजिश!!

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  23. ऐसे जंगल मे घर बनाने को जी चाहता है मेरी जान .......की तेरी आँखों को चुना है मैने दुनिया देखकर ..........मगर किराया जुटाते जुटाते उम्र तमाम हुई जाती है........होम लोन तो ले लिया है.......दिल गिरवी रख के ...... अब मुहब्बत करके EMI चुका रहे हैं

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    1. तूलिका...ठीक है ना...मोहब्बत करके EMIचुकाना भी नसीब वालों को ही मिलता है.बहुत ही सुन्दर टिप्पणी ...शुक्रिया!!

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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