ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Thursday, December 22, 2011
गुलाबी सर्दियाँ
सर्दी में...
हमारे बीच यह दूरियां ........
मेरी इन गर्म साँसों का...
इन आहों का...
धुंआ ....
क्या पहुंचता है तुम तक
कोहरे के साथ ,
और छूता है तुम्हारे चेहरे को,
सहला देता है ....
गुलाबी हो जाते हैं ...
गाल,नाक ,चेहरा
ठण्ड के कारण ही ...है न ???
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जो भी कह लो, मुझे पता है इस गुलाब के खिलने का राज़
ReplyDeleteवाह क्या बात है। :)
ReplyDeleteमगर फिर भी ये सर्दियां सुन्दर हैं।
ReplyDeleteठण्ड में गर्म सासों का अर्थपूर्ण सुंदर चित्रण,....
ReplyDeleteमेरी नई रचना के लिए "महत्व" मे click करे
वाह! बहुत खूब...
ReplyDeleteसर्दियाँ मुबारक....
सुंदर अहसास।
ReplyDeletesundar ahsas sundar bhav...
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeleteवाह...खूबसूरत कविता.
ReplyDeleteखूबसूरत..
ReplyDelete...
"साँसों की छुअन..
बेकाबू अरमान..
अजीब खलिश..
इस गुलाबी सर्दी..!!"
...
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteरश्मि जी...राज़ को राज़ रहने दीजिए
ReplyDeleteयशवंत...थैंक्स!!
ReplyDeleteअनुजा दी..सर्दियों का अपना ही मज़ा है
ReplyDeleteधीरेन्द्र जी...धन्यवाद!!
ReplyDeleteसंजय जी...आपको भी सर्दियाँ मुबारक
ReplyDeleteरीना जी..आभार!!
ReplyDeleteअतुल जी...हार्दिक धन्यवाद!!
ReplyDeleteसदा:-)))
ReplyDeleteविद्या..तहे दिल से शुक्रिया!!
ReplyDeleteप्रियंका...सर्दियों में ..साँसों की छूअन से अरमान बेकाबू हों तो सर्दियों का आनंद दोगुना हो जाता है
ReplyDeleteखूबसूरत अहसास गर्म साँसों का.सर्दियाँ मुबारक...
ReplyDeleteअशोक जी ....आपको भी यह गुलाबी सर्दियां,मुबारक .
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