Thursday, December 22, 2011

गुलाबी सर्दियाँ



सर्दी में...
हमारे बीच यह दूरियां ........

मेरी इन गर्म साँसों का...
इन आहों का...
धुंआ ....
क्या पहुंचता है तुम तक
कोहरे के साथ ,
और छूता है तुम्हारे चेहरे को,
सहला देता है ....

गुलाबी हो जाते हैं ...
गाल,नाक ,चेहरा
ठण्ड के कारण ही ...है न ???

23 comments:

  1. जो भी कह लो, मुझे पता है इस गुलाब के खिलने का राज़

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  2. वाह क्या बात है। :)

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  3. मगर फिर भी ये सर्दियां सुन्‍दर हैं।

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  4. ठण्ड में गर्म सासों का अर्थपूर्ण सुंदर चित्रण,....
    मेरी नई रचना के लिए "महत्व" मे click करे

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  5. वाह! बहुत खूब...
    सर्दियाँ मुबारक....

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  6. वाह ...बहुत खूब ।

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  7. वाह...खूबसूरत कविता.

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  8. खूबसूरत..
    ...

    "साँसों की छुअन..
    बेकाबू अरमान..
    अजीब खलिश..
    इस गुलाबी सर्दी..!!"


    ...

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  9. This comment has been removed by the author.

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  10. रश्मि जी...राज़ को राज़ रहने दीजिए

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  11. यशवंत...थैंक्स!!

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  12. अनुजा दी..सर्दियों का अपना ही मज़ा है

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  13. धीरेन्द्र जी...धन्यवाद!!

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  14. संजय जी...आपको भी सर्दियाँ मुबारक

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  15. रीना जी..आभार!!

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  16. अतुल जी...हार्दिक धन्यवाद!!

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  17. विद्या..तहे दिल से शुक्रिया!!

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  18. प्रियंका...सर्दियों में ..साँसों की छूअन से अरमान बेकाबू हों तो सर्दियों का आनंद दोगुना हो जाता है

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  19. खूबसूरत अहसास गर्म साँसों का.सर्दियाँ मुबारक...

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  20. अशोक जी ....आपको भी यह गुलाबी सर्दियां,मुबारक .

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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