ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Wednesday, December 28, 2011
कुहासे की चादर
कुहासे की इस चादर को...
पर्दा बना लें ,क्या?
जी भर के इन गुलाबी सर्दियों का
मज़ा ले लें,क्या ?
देखो,न
ईश्वर ने भी तुम्हारी सुन ली
तुम्हारी इस हिचकिचाहट
कि कहीं कोई देख न ले ..
..से तुम्हें मुक्ति दे दी
आओ,ना मेरे आगोश में
सच...इस कोहरे को काटने की कैंची
किसी के पास नहीं है ..
जब तक सूरज नहीं आता
भगवान ने ,हमें,
प्यार करने का वक्त दे रखा है
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बहुत सुंदर..!!!
ReplyDelete...
"कैसे तुम हाल-ए-दिल बयां करते हो..
यूँ लगता है..तुम मुझमें ही बसते हो..!!"
...
शुक्रिया..प्रियंका.बस ये जोर ए कलम बना रहे कि तुम्हें यूँ लगता रहे...मुझे पढ़ कर कि मैं तुम में बसती हूँ .
ReplyDeleteकाश सूरज कभी ना आये...इस चादर को काटने....
ReplyDeleteकुमार...काश!!
ReplyDelete:):) अब क्या लिखूं इन एहसास पर ..
ReplyDeleteसंगीता जी...आपने कुछ न कह कर भी बहुत कुछ कह दिया...शुक्रिया!!
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया एहसास!
ReplyDeleteसादर
तो बस प्यार करो... कुहासे में छुप जाओ
ReplyDeleteयशवंत ....हार्दिक धन्यवाद!
ReplyDeleteरश्मि जी...आपकी सलाह मानने को दिल चाह रहा है
ReplyDeleteसुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteवंदना ...तहे दिल से शुक्रिया !!
ReplyDeleteआओ,ना मेरे आगोश में
ReplyDeleteसच...इस कोहरे को काटने की कैंची
किसी के पास नहीं है ..
जब तक सूरज नहीं आता
भगवान ने ,हमें,
प्यार करने का वक्त दे रखा है
Vah bahut sundar prastuti ...sadar abhar.
कुहासे होते किसलिए हैं....!!
ReplyDeleteसुन्दर भाव...
सादर...
नवीन जी...आपको रचना के भाव पसंद आये...थैंक्स!!
ReplyDeleteसंजय जी...कारण इस कविता में बता तो दिया है .
ReplyDeleteबहुत गहरी और संवेदनशील रचना
ReplyDeleteबेहतरीन........आपको नववर्ष की शुभकामनायें
ReplyDeleteसंजय जी....आभार!!
ReplyDeleteसुषमा....आपके एवं आपके परिवार के लिए नव वर्ष मंगलमाय हो !!
ReplyDeleteजब तक सूरज नहीं आता
ReplyDeleteभगवान ने ,हमें,
प्यार करने का वक्त दे रखा है....
....
वाह ! क्या बात कही है निधि ..झूम गया मन !!
सच...इस कोहरे को काटने की कैंची
ReplyDeleteकिसी के पास नहीं है ..bahut hi khubsurat
आनंद जी........... झूमिए !!
ReplyDeletebolo bindasssssss.............:-)))))))))
ReplyDeleteनिधि, हमारे पास ही इस कोहरे को बुनने का हुनर है....इस कोहरे को काटने की कैंची भी हमारे ही पास है.....फिर तो जब तक प्रेम है .....कोहरा कायम है
ReplyDeleteमन तो यही चाहता है तूलिका कि ..प्रेम कायम रहे..हमेशा...यूँ ही .यह जो हुनर है हम सबके पास...उससे प्रेम की उम्र यूँ ही बढ़ती रहे ...
ReplyDeletebahut khoobsurati se dil ki baat kahi hai aapne...आओ,ना मेरे आगोश में
ReplyDeleteसच...इस कोहरे को काटने की कैंची
किसी के पास नहीं है ..
जब तक सूरज नहीं आता
भगवान ने ,हमें,
प्यार करने का वक्त दे रखा है
गज़ब निधि....।
ReplyDeleteकमाल है! मुझे तो कोहरे का ख़ौफ़ सताता है और कोई ऐसी ख़ूबसूरती से भी ओढ़ता है कोहरा!
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