Wednesday, December 28, 2011

कुहासे की चादर



कुहासे की इस चादर को...
पर्दा बना लें ,क्या?
जी भर के इन गुलाबी सर्दियों का
मज़ा ले लें,क्या ?

देखो,न
ईश्वर ने भी तुम्हारी सुन ली
तुम्हारी इस हिचकिचाहट
कि कहीं कोई देख न ले ..
..से तुम्हें मुक्ति दे दी

आओ,ना मेरे आगोश में
सच...इस कोहरे को काटने की कैंची
किसी के पास नहीं है ..
जब तक सूरज नहीं आता
भगवान ने ,हमें,
प्यार करने का वक्त दे रखा है

29 comments:

  1. बहुत सुंदर..!!!


    ...


    "कैसे तुम हाल-ए-दिल बयां करते हो..
    यूँ लगता है..तुम मुझमें ही बसते हो..!!"


    ...

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  2. शुक्रिया..प्रियंका.बस ये जोर ए कलम बना रहे कि तुम्हें यूँ लगता रहे...मुझे पढ़ कर कि मैं तुम में बसती हूँ .

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  3. काश सूरज कभी ना आये...इस चादर को काटने....

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  4. :):) अब क्या लिखूं इन एहसास पर ..

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  5. संगीता जी...आपने कुछ न कह कर भी बहुत कुछ कह दिया...शुक्रिया!!

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  6. बहुत ही बढ़िया एहसास!



    सादर

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  7. तो बस प्यार करो... कुहासे में छुप जाओ

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  8. यशवंत ....हार्दिक धन्यवाद!

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  9. रश्मि जी...आपकी सलाह मानने को दिल चाह रहा है

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  10. सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  11. वंदना ...तहे दिल से शुक्रिया !!

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  12. आओ,ना मेरे आगोश में
    सच...इस कोहरे को काटने की कैंची
    किसी के पास नहीं है ..
    जब तक सूरज नहीं आता
    भगवान ने ,हमें,
    प्यार करने का वक्त दे रखा है

    Vah bahut sundar prastuti ...sadar abhar.

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  13. कुहासे होते किसलिए हैं....!!

    सुन्दर भाव...
    सादर...

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  14. नवीन जी...आपको रचना के भाव पसंद आये...थैंक्स!!

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  15. संजय जी...कारण इस कविता में बता तो दिया है .

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  16. बहुत गहरी और संवेदनशील रचना

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  17. बेहतरीन........आपको नववर्ष की शुभकामनायें

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  18. संजय जी....आभार!!

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  19. सुषमा....आपके एवं आपके परिवार के लिए नव वर्ष मंगलमाय हो !!

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  20. जब तक सूरज नहीं आता
    भगवान ने ,हमें,
    प्यार करने का वक्त दे रखा है....
    ....
    वाह ! क्या बात कही है निधि ..झूम गया मन !!

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  21. सच...इस कोहरे को काटने की कैंची
    किसी के पास नहीं है ..bahut hi khubsurat

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  22. आनंद जी........... झूमिए !!

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  23. bolo bindasssssss.............:-)))))))))

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  24. निधि, हमारे पास ही इस कोहरे को बुनने का हुनर है....इस कोहरे को काटने की कैंची भी हमारे ही पास है.....फिर तो जब तक प्रेम है .....कोहरा कायम है

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  25. मन तो यही चाहता है तूलिका कि ..प्रेम कायम रहे..हमेशा...यूँ ही .यह जो हुनर है हम सबके पास...उससे प्रेम की उम्र यूँ ही बढ़ती रहे ...

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  26. bahut khoobsurati se dil ki baat kahi hai aapne...आओ,ना मेरे आगोश में
    सच...इस कोहरे को काटने की कैंची
    किसी के पास नहीं है ..
    जब तक सूरज नहीं आता
    भगवान ने ,हमें,
    प्यार करने का वक्त दे रखा है

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  27. गज़ब निधि....।

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  28. कमाल है! मुझे तो कोहरे का ख़ौफ़ सताता है और कोई ऐसी ख़ूबसूरती से भी ओढ़ता है कोहरा!

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