ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Wednesday, February 1, 2012
बेशकीमती
वो सारे पल ..जो तेरे साथ गुज़रे ...
बेशकीमती हैं ,मेरे लिए.
मेरे यह कहते ही ..तुम्हारा पूछना ...ऐसा क्यूँ ,भला ???
जान मेरी....
तुम्हें पता तो है
जब बिछडेंगे ..हम-तुम
तब,
ये ही तो ..
हमें जीने की ताकत देंगे
इनके ही सहारे
हम सारी ज़िंदगी काटेंगे
इन लम्हों की खुशनुमा यादें
ताउम्र...आँखों से मोती चुरा
लबों पे तबस्सुम सजाएंगी
कितने भी दूर हों हम
एक दूसरे के करीब ले आयेंगी
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सही कहा बेशकीमती होती हैं यादें... खूबसूरत अहसास...
ReplyDeleteअनमोल यादें..................
Deleteलबों पे तबस्सुम सजाएंगी
ReplyDeleteकितने भी दूर हों हम
एक दूसरे के करीब ले आयेंगी
.....बहुत ही खूबसूरत भावभूमि पर लिखी गयी एक बहुत ही कोमल रचना ! बधाई स्वीकार करें !
शुक्रिया...पसंद करने के लिए.
Deleteआपकी कवितायेँ पढ़ कर लगता है कि पढ़ते ही रहें शानदार प्रस्तुती....निधि जी
ReplyDeleteअगर ऐसा है, तो...धन्यवाद
Deleteउतनी ही बेशकीमती ये अभिवयक्ति है.........
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद!!
Deleteनिधि जी!!!जब प्रेम में बिछुड़ने का भाव आ जाए तो फिर वह प्रेम-प्रेम नहीं रहता...महज एक छलावा या धोखा ही होता है और आज आपकी कविता में कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है...प्रेमी या प्रेमिका यादों का जाल इस लिए बुन रहें हैं कि कल उन्हें बिछुड़ना है...यहां एक ओर निराशावादी दृष्टिकोण है,दूसरी ओर प्रेम की निश्चित नियति बिछोह स्वीकार कर लिया गया है। इसी कारण प्रेम बदनाम भी होता है।
ReplyDeleteआपसे कुछ बातों में सहमत हूँ...कुछ में नहीं.प्रेम में भाव भले न बिछड़े पर शरीर का विछोह होता है...दूरी होती है.कई बार परिस्थितियाँ ऎसी होती हैं कि पता होता है कि बिछडना है.एक सैनिक ..को अगर सीमाओं पर जाना है तो उसके जाने की तारीख तय है...पर,हाँ ...वो और उसकी प्रेमिका ...उन पलों को भरपूर जी लेना चाहते हैं जब वो साथ हैं....क्यूंकि यही ..उन्हें आगे मुस्कुराने की वजह देंगे .प्रेम के बदनाम होने की बात आपने क्यों कही ...मुझे समझ नहीं आया .यादों का जाल ...जिस कारण से आपने समझा उसी लिए बुना जा रहा है.
Deleteमेरी टिप्पणी पुन: स्पैम के हवाले...
ReplyDeleteमुक्त करती हूँ .......
Deleteयादें ही तो हमेशा साथ होती हैं तो ज़रूरी है इन बेशकीमती यादों को सहेजना !
ReplyDeleteयादें उन खास पलों की ..जो खास लोगों से ,जुडी होती हैं वो हमेशा करीने से ...दिल दिमाग में सहेज ली जाती है
Deleteवाह खूबसूरत यादो का सफर
ReplyDeleteयूँ ही चलता रहे...साँसों के सफर के साथ खत्म हो अब ये सफर
Deleteयादें सहारा देती हैं उदास पलों में..
ReplyDeleteसुन्दर भाव..
बहुत बड़ा सहारा होती हैं
Deleteइन लम्हों की खुशनुमा यादें
ReplyDeleteताउम्र...आँखों से मोती चुरा
लबों पे तबस्सुम सजाएंगी
wah ...bahut sunder abhivyakti ...
तहे दिल से शुक्रिया!!
Deleteबहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
थैंक्स!!
Deleteकल 03/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
शुक्रिया....लिंक कने के लिए.
Deletekabhi kabhi yaaden hi jeene ka sabab ban jaya karti hain.behtreen bhaav...atisundar.
ReplyDeleteजी हाँ...जब कोई और सहारा नहीं बचता तो यादें सबसे बड़ा सहारा बन जाती हैं .
Deleteयादें ही बिछुड़ने पर जीने का सहारा होतीं है
ReplyDeleteबेहतरीन,लाजबाब प्रस्तुतीकरण..
MY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
थैंक्स...मैं ज़रूर आपकी नयी पोस्ट देखूंगी .
Deleteवाह ...बहुत ही बढि़या।
ReplyDeleteनवाजिश.....
Deleteसच है बिछुडने पर यादें ही जीने का सहारा होती हैं...बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया!!
Delete//जब बिछडेंगे ..हम-तुम
ReplyDeleteतब,
ये ही तो ..
हमें जीने की ताकत देंगे
bas unhi yaado k sahaare hi to zinda hain..
bahut hi khoobsoorat rachna... :)
kabhi waqt mile to mere blog par bhi aaiyega..
palchhin-aditya.blogspot.com
आभार !!मैं ,अवश्य आऊंगी .
Deleteयादें ही जोड़ने का या जुड़े रहने का काम करती हैं .. सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार !!
Deleteयादें बेशकीमती होती हैं ...बढियाँ
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद !!
Deletewaah.... kya baat hai....
ReplyDeleteथैंक्स!!डीयर .
DeleteDear Nidhiji,
ReplyDeletePhir se aapke blog par aayee hu aur hamesha ki hi tarah ek ke baad ek kavita padti jaa rahi hu. You write awesome, lekin shayad yeh compliment nahi ho aapke liye kyunki samajh aata hai ki yeh beautiful poems kaha se aayee hai. They are born out of deep love which caused deep ever-lasting pain.
I liked this poem lekin mai agree nahi kar paa rahi hu. In fact, maine apne blog par latest poem jo likhi hai 'tumhari kami' , voh yeh soch kar likhi ki shayad kisi ke jaane ke baad mai kya choo paungi jise chookar lage maine usay choo liya ya usay hi apne paas paa liya hai! Aisa to nahi hota, yaadein kisi insaan ka substitute nahi ho sakti. Yaadein yaadein hi hai, voh kisi ki kami poori nahi kar sakti. Aajkal mujhe lagne laga hai ki kisi se bichadne ke baad mai toot jaungi, uski yaadein mujhe aur helpless kar dengi! Yaadon ki isi dar ke saath, itna comment kar diya maine (maaf kijiyega).
Meri kavita yaha padiyega-
http://guptashaifali.blogspot.com/2012/02/blog-post.html
Take care.
-Shaifali
http://guptashaifali.blogspot.com/2012/02/blog-post.html
यादें ...कभी भी किसी की कमी पूरी नहीं कर सकती.अक्सर ...तो यह होता है कि साथ गुज़रे हसीं पल भी जब याद आते हैं तो दुःख ही देते हैं.पर,शेफाली इतना ज़रूर कहूँगी कि जब पता हो कि किसी का साथ छूटने वाला है तो हम यही चाहते हैं कि उसके साथ को ..हर एक एहसास को समेट लें.आगे चल कर भले ही यादें और कुछ दे पाए या ना दे पाएं पर उसके करीब होने का एक एहसास ज़रूर देती हैं .
Deleteशेफाली....पता नहीं तुम्हें कितना समझा पायी हूँ...
हाँ...अगली बार से केवल निधि कहना ...चलेगा.
जाने क्या सोचकर ..कुछ पल उम्र भर नहीं गुजरते..उनकी रहगुज़र से गुजरते रहना ...बल्कि रहगुज़र में बने रहना ही अच्छा लगता है
ReplyDeleteहम ही नहीं चाहते कि वो गुजरें ...बाँध लेते हैं खुद को उनके साथ ...हमेशा के लिए .
Deleteबेशकीमती ख्याल
ReplyDeleteशुक्रिया.. ! !
Delete