ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Thursday, February 9, 2012
कमबख्त इश्क
मुझे जब से इश्क हुआ है
मैं भी ढूंढ रही हूँ
एक ऐसी घडी
एक ऐसा कैलेंडर
जो मुझे सही वक्त .....तारीख ...महीना ...साल बता दे
सब कुछ उलट पुलट है
अस्त व्यस्त है
जब से ये कमबख्त इश्क आया है जीवन में....
तुम्हें कुछ पता चले...
तो मुझे भी बताना
दिन ,महीने, साल के बारे में ....
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वाह ...प्यार और इंतज़ार ..और उसकी बेसब्री ....बहुत खूब
ReplyDeleteसब उलट-पुलट कर के रख देता है...प्यार.
Deleteमैं अब निश्चिन्त हो गया हूँ निधि ....
ReplyDeleteकि समय का हिसाब किताब अब मेरी पहुँच से ज्यादा दूर नहीं है ...जैसे ही तुमको पता चलेगा मैं झट से पूछ लूँगा !
मैं तो खुद पूछ रही हूँ...आपको क्या बताउंगी.चलिए एक डील करते हैं...जिसे पहले हिसाब किताब पता चला वो दूसरे को बता देगा
Deleteजवाब तो मुझे भी चाहिए ......लाइन में लगी हूँ ...बताना पता चले तो
Deleteकल 10/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
यशवंत...थैंक्स!!
Deleteसच्ची इश्क उलट पुलट कर देता है जिंदगी..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ..
अगडम-बगडम ....कर देता है इश्क.
Deleteइश्क के साथ वक्त का पता ही नहीं चलता...सटीक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteइश्क के साथ किसी भी और चीज़ का पता नहीं चलता
Deleteकहाँ मिलेगा ऐसा केलेंडर...? :)
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति...
मैं तो खुद खोज रही हूँ....
Deleteइश्क कमबख्त! बहुत प्यारी लगी आपकी ये बातें!
ReplyDelete:-))))
Deleteकैसे याद रहेंगे दिन महीने और साल......कैलेण्डर में तो सिर्फ इतना ही समा सकता है .....और प्रेम तो सदियाँ गुज़ार देता है ......सदियों का कैलेण्डर बने तो बताना
ReplyDeleteजे बात.............तुमने की कुछ पते की बात.
Deleteइश्क है ही ऐसी चीज़ जब होता है तो
ReplyDeleteइश्क करने वाला अपने होश खोता ही है ...
बेहतरीन ,सुन्दर रचना....
इश्क है...होश भी...बात कुछ हजम नहीं होती..
Deleteइश्क होता ही ऐसा है उस पर जोर नहीं होता |और इंसान अपने होश खो देता है |अच्छी रचना |
ReplyDeleteआशा
सच में ,अपनी भी कोई खबर नहीं रहती ...
Deleteishk par jor nahee....bahut acchee rchnaa....
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया !!
Deleteइश्क में समय फुर्र हो जाता है,दिशाएं मिट जाती हैं और धुरी ठहर जाती है एक हिय पर...
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति!!!
वक्त का तो वाकई पता ही नहीं चलता ..
Deleteबेहतरीन!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद!!
Deleteusey bhi kahaan maaloom hoga, ishq usne bhi to kiya...bahut sundar rachna, badhai.
ReplyDeleteसच कहा आपने ..उसे भी कहाँ मालूम होगा
Deleteये इश्क हाय ....
ReplyDeleteमोहब्बत.......उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़
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