ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Tuesday, February 7, 2012
परेशान ...
तुम जब भी बात करते हो मुझसे
एक खनक सी होती है..
एक खुशी सी होती है ...
आवाज़ में तुम्हारी ,
उन पलों में...
मुझसे बात करने की
बस,मेरे साथ होने की
आज,वो नहीं थी...
कई बार पूछा तुमसे
कि,आखिर बात क्या है?
तुम्हारा हर बार वही जवाब
कुछ भी नहीं ...सब ठीक है .
पर,
मैं जानती हूँ
कुछ है.. जो ठीक नहीं है .
तुम्हारे न बताने से..
हम दोनों परेशान हैं .
तुम परेशान हो किसी बात को लेकर
और
मैं परेशान हूँ ,तुम्हें लेकर.
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खुश नसीब है आप निधि जिसे कम से कम ये तो पता है कि वो परेशान है
ReplyDeleteह्म्म्म ..इतनी ही खुशनसीब हूँ क्यूंकि उसकी परेशानी जान सकती हूँ दूर नहीं कर सकती.
Deleteमैं इतना भी नहीं हूँ ...इसीलिये आपको खुशनसीब बोला मैंने !
Deletebahut sundar rachna.
ReplyDeleteशुक्रिया!!
Deleteतुम्हारे न बताने से..
ReplyDeleteहम दोनों परेशान हैं .
तुम परेशान हो किसी बात को लेकर
और
मैं परेशान हूँ ,तुम्हें लेकर ....ये महसूस तो कई बार करते है.... पर उसे शब्दों में इस तरह उतार नही पाते..... जो की आपने लिख दिया है......
हार्दिक धन्यवाद!!
Deleteमोहब्ब्त इसी को कहते हैं...बिना कहे जो सब समझ जाये..
ReplyDeleteसुन्दर रचना..
जी हाँ...विद्या.सही कहा,आपने.
Deleteवाह बहुत खूब
ReplyDeleteथैंक्स!!
Deleteहम दोनों परेशान हैं . तुम परेशान हो किसी बात को लेकर और मैं परेशान हूँ ,तुम्हें ...
ReplyDeleteइसे ही कहते हैं अहसास... उनकी परेशानी से भी परेशां हो जाना... वाह
उसकी खुशी में खुश...उसकी परेशानी से परेशान
Deleteसच्चे रिश्ते की पहचान
आभार!!
ReplyDeleteतुम्हारे न बताने से..
ReplyDeleteहम दोनों परेशान हैं .
तुम परेशान हो किसी बात को लेकर
और
मैं परेशान हूँ ,तुम्हें लेकर .
wo jaanta hai ki aap jaante hai ki wo pareshaan hai.. par phir bhi aapko pareshaan na karne ki khaatir kuch na kehna hi behtar samajhta hai.. :)
bahut sundar rachna..
palchhin-aditya.blogspot.in
आदित्य ...यही तो प्यार है..वो इसलिए नहीं बताता कि अगला परेशान होगा,बेवजह..जबकि दूसरा उसकी आवाज़ से जान लेता है कि परेशानी है,कोई ...और इस तरह दोनों एक दूसरे को परेशान न करने की चाह रखते हुए भी परेशान हैं.
Deleteअकथ कहानी प्रेम की...
ReplyDeleteपीड़ा निज त्याग के
दूं मैं उसे हर खुशी
गम के आंसू छिपा के
भर दूं उसका आंचल खुशियों से ...
बेहतरीन अभिव्यक्ति!!!
बहुत सुन्दर कहा आपने....अकथ कहानी प्रेम की .
Deleteदर्द हो या परेशानी - बांटकर हल्का ही नहीं होता , कोई न कोई हल निकल आता है
ReplyDeleteआपने बिलकुल ठीक कहा...साझा करना ज़रूरी है.
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