Tuesday, February 28, 2012

केंद्रबिंदु



जब भी उसको याद करती हूँ..
दिल में एक खालीपन
साथ साथ महसूस करती हूँ .
रिक्त सा है ..मर सा गया है कुछ
उसके बगैर .
गले में कुछ अटका सा रहता है
आँखों में दरिया सा भरा रहता है
मुझमें ही ...मुझसे ही..
कोई हर वक्त खफा सा रहता है .
तुम्हारा नाम लिख कर
उसमें जब खो जाती हूँ
तब कहीं जाकर
खुद को खोज पाती हूँ .

कहाँ हो ?कैसे हो?
कब हुए खफा ...क्या हुई खता
मुझे सच कुछ नहीं पता .
कैसे जीती हूँ?क्यूँ जीती हूँ
हरेक आती जाती सांस से पूछती हूँ.


मेरी हर भावना ,हर संवेदना
तुम से शुरू हो तुम तक ही जा पाती है
तुम ही केंद्रबिंदु
तुम ही परिधि भी हो .

प्यार तो दोनों को हुआ था ...
पर मैं अकेली क्यों हूँ ,
सच कहना
तुम्हें भी ऐसा ही सा कुछ होता है क्या,कभी?

41 comments:

  1. प्यार तो दोनों को हुआ था ...
    पर मैं अकेली क्यों हूँ ,
    सच कहना
    तुम्हें भी ऐसा ही सा कुछ होता है क्या,कभी?....

    बहुत प्यारी अर्थपूर्ण पंक्तियाँ,...सुंदर अभिव्यक्ति के लिए बधाई ...

    NEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...

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    1. बहुत-बहुत शुक्रिया!!

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  2. मेरी हर भावना ,हर संवेदना
    तुम से शुरू हो तुम तक ही जा पाती है
    तुम ही केंद्रबिंदु
    तुम ही परिधि भी हो .

    प्यार तो दोनों को हुआ था ...
    पर मैं अकेली क्यों हूँ ,
    सच कहना
    तुम्हें भी ऐसा ही सा कुछ होता है क्या,कभी?.... इस सोच, इस प्रश्न में उलझा मन बहुत अनमना रहता है

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    1. इस तरह के प्रश्न सदैव ही अनमना कर देते हैं.

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  3. अनुपम भावाभिव्यक्ति.

    दिल को दिल से पुकारती.

    भावनाओं के ज्वार व उफान में डुबोती हुई.

    आपके प्रेममय हृदय को नमन.

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    1. तहे दिल से आपको धन्यवाद!!

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  4. बेहतरीन कविता।


    सादर

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  5. बहुत सुंदर रचना। ऐसी रचनाएं कभी कभी पढने को मिलती हैं....निधि जी

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    1. बस,आपकी नवाजिश है.

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  6. बेशक....उन्हें भी ऐसा ही कुछ होता होगा...प्यार में आग दोनों तरफ लगती है बराबर...

    बहुत सुन्दर..

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    1. आपकी बात सही हो..........आमीन

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  7. मेरी हर भावना ,हर संवेदना तुम से शुरू हो तुम तक ही जा पाती है तुम ही केंद्रबिंदु तुम ही परिधि भी हो...
    सच कहना फिर मैं अकेली क्यों हूँ? तुम साथ क्यों नहीं...
    प्रश्न बन गयी है जिंदगी... गहन भाव

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    1. कुछ प्रश्न ऐसे होते हैं कि ज़िंदगी को ही सवाल बना देते हैं

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  8. उलझे से मन ने विचारों को खूब बांधा है ... सुंदर अभिव्यक्ति

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    1. सराहने के लिए,धन्यवाद!!

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  9. दिल से निकली हुई आवाज, दिल को छूने में सक्षम।

    बधाई।

    ------
    ..की-बोर्ड वाली औरतें।

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    1. रजनीश जी....धन्यवाद!!

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  10. प्यार तो दोनों को हुआ था ...
    पर मैं अकेली क्यों हूँ ,
    सच कहना
    तुम्हें भी ऐसा ही सा कुछ होता है क्या,कभी?

    बहुत उम्दा ..... समय के साथ इतना कुछ बदल जाता है की ऐसे प्रश्न भी मन में दस्तक दे ही देते है.....

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    1. हाँ...वक्त का फेर ही होता है जो हमें ऐसे प्रश्न करने पे मजबूर करता है

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  11. शुक्रिया.....पोस्ट को हलचल में जगह देने के लिए.

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  12. मेरी हर भावना ,हर संवेदना
    तुम से शुरू हो तुम तक ही जा पाती है
    तुम ही केंद्रबिंदु
    तुम ही परिधि भी हो .
    अपने मनकी बात किसी और से सुनकर अच्छा लगता है ..पहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूँ...सिलसिला बना रहे !!!

    merehissekidhoop-saras.blogspot.in

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    1. उम्मीद करती हूँ कि आपको निराश नहीं किया होगा और यह सिलसिला आगे भी यूँ ही बना रहेगा .

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  13. अर्थ पूर्ण ... क्या सच में दोनों को प्यार हुवा होगा ... प्यार एकाकी तो नहीं होता ...

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    1. प्यार दोनों को हुआ था...पर उनमें से एक अकेला है तो यह सब सोच रहा है

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  14. प्यार तो दोनों को हुआ था ...
    पर मैं अकेली क्यों हूँ ,
    सच कहना
    तुम्हें भी ऐसा ही सा कुछ होता है क्या,कभी?यही प्रशन तो दिल को झकझोर कर रख देता है.....

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    1. जीवन में कुक प्रश्न ....मन करता है उनका जवाब अच्छा हो तो मिले वरना वो प्रश्न ..प्रश्न ही रह जाएँ

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  15. Dr. nidhi sach baat hai ye ki aap kuchh bhi kare...kahin bhi rahen....lekin jahan man pyar me dooba hai to kendr bindu apke man ka vahi hoga.....sunder prastuti.

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    1. हाँ...मन का केंद्र बिंदु वहीं ही होता है.

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  16. मेरी हर भावना ,हर संवेदना
    तुम से शुरू हो तुम तक ही जा पाती है
    तुम ही केंद्रबिंदु
    तुम ही परिधि भी हो .
    ...इसी का नाम प्यार है......
    तुम्हें भी ऐसा ही कुछ होता है क्या,कभी?
    ....प्यार में डूबे आशंकित मन की सतीक अभिव्यक्ति.,,

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    1. प्यार के साथ-साथ ये आशंकाएं चलती हैं....
      धन्यवाद...पसंद करने के लिए.

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  17. प्रेमी-प्रेमिका के लिए आकुल-व्याकुल-मन की करुण पुकार...

    जब कोई प्रिय हमसे दूर होता है तो मन की छटपटाहट कुछ यूं ही प्रेमी/प्रेमिका से सवाल करती है...आखिर दोनों ने एक ही आकाश में उड़ान भरी थी...फिर दूर होने पर मन की छटपटाहट भी तो दोनों हृदयों में एक सी अनुगूंजित होती होगी न...?

    संकेतों में बहुत कुछ कह गई आप।

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    1. संकेतों की भाषा समझने के लिए...आभार!!

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  18. प्यार तो दोनों को हुआ था ...
    पर मैं अकेली क्यों हूँ ,
    सच कहना
    तुम्हें भी ऐसा ही सा कुछ होता है क्या,कभी?.... ye sawaal ... hmmm ... iska jawaab ... ????

    humesha ki tarha behtareen rachna ... :)

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    1. शुक्रिया!!इसका जवाब मिल जाता तो बात ही क्या थी.

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  19. तुम ही केन्द्र बिंदु ..
    तुम ही परिधि भी हो ..
    और मैं त्रिज्या सी
    मिली हुई हूँ तुमसे
    परिधि के हर बिंदु पर ..
    सामान प्रेम भाव लिए ..
    ये तुम भी जान लो अब
    कि त्रिज्या का मान
    उसके प्रेम सा ही
    कभी नहीं बदलता ...

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    1. तूलिका.....शुक्रिया,कविता को इतना सुन्दर विस्तार देने हेतु.

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  20. Nidhi.....itna dard hai in shabdo mai! Kaise likh paati ho apne mann ki gehrayee, apne mann ki sachayee!

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    1. इतनी शिद्दत से कुछ चीज़ें महसूस कर लेती हूँ कि ..जब लिखने बैठती हूँ तो नीम बेहोशी सी हालत होती है और उसमें अंदर का सब बाहर कागज पे आ जाता है

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