Friday, March 2, 2012

एक सवाल



...एक शख्स
जिसे हर एक पल नज़रें ढूंढती है
जिसके इर्द-गिर्द दुनिया घूमती है
जिसकी एक मुस्कान पे जां न्यौछावर
जिसका एक आंसू बहे तो रो लूँ सागर
हर लम्हा मन में उसकी सलामती की चाह
मांगती हूँ दुआओं में उसकी आसान हो राह
हर पल बस जिसकी हँसी की है कामना
खत्म न हो उसकी खुशियों का खजाना.

पर,
वही ,शख्स
जब किसी और के साथ खुश है
तो,मैं खुश क्यूँ नहीं हो पाती हूँ?
खुद को धिक्कारती हूँ
कि ...
उसकी खुशी चाहने का दम भरती हूँ
तो उसकी खुशियों का क्यूँ गम करती हूँ??
जब तक वो मेरे साथ के साथ जुडी हों
उसकी खुशियों की इच्छा तब ही तक क्यूँ है???
मेरा आप भी समझाता है मुझे
कि प्यार है ....वो दिल में उसके रहेगा
किसी और के साथ होने से प्यार
थोड़े ही आखिरी सांसें लेने लगेगा.

पर,
पता नहीं क्यूँ वो साथ की चाह
वो काश ...
क्यूँ बार-बार उभर आता है?
क्या करूँ ...खुश नहीं हूँ................
पर,सच कहूँ तो खुश होना चाहती हूँ
न जाने क्या रोकता है,मुझे ...
कई दिनों से यह सवाल कौंध रहा है??
कोई उत्तर दिल-दिमाग को नहीं सूझ रहा है .
कोई तो बताए .....
खुश रहने का उपाय.

40 comments:

  1. पर,
    वही ,शख्स
    जब किसी और के साथ खुश है
    तो,मैं खुश क्यूँ नहीं हो पाती हूँ?
    खुद को धिक्कारती हूँ
    कि ...
    उसकी खुशी चाहने का दम भरती हूँ
    तो उसकी खुशियों का क्यूँ गम करती हूँ??
    जब तक वो मेरे साथ के साथ जुडी हों
    उसकी खुशियों की इच्छा तब ही तक क्यूँ है???
    मेरा आप भी समझाता है मुझे
    कि प्यार है ....वो दिल में उसके रहेगा
    किसी और के साथ होने से प्यार
    थोड़े ही आखिरी सांसें लेने लगेगा... पर मन की गति मन ही जाने

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    1. सच ही तो है..मन की गति मन ही जान सकता है ..समझ सकता है .

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  2. निधि जी,...
    मुसीबत पड़ने पर अपना कोई हमदम नही होता,
    यह दुनिया है,यहाँ को शरीके गम नही होता!!

    बहुत अच्छी प्रस्तुति,इस सुंदर रचना के लिए बधाई,...

    NEW POST ...काव्यान्जलि ...होली में...
    NEW POST ...फुहार....: फागुन लहराया...

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    1. उम्दा शेर......
      आभार,पसंद करने हेतु.

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  3. एक सवाल जिन्दगी में अक्सर उठा करते है,
    जिन्हें ढूडते पाने के लिए,वो मिला नही करते है,......

    भाव पुर्ण सुंदर रचना के लिए निधि जी बधाई,...

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    NEW POST ...फुहार....: फागुन लहराया...

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  4. यह एक धागा है...जो जुड़ा है अनंत की डोर से...

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    1. प्रेम तो सदैव ही अनंत ही है.

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  5. कुछ सवालों के जवाब देने मुश्किल होते हैं।

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    1. यह सवाल उन्हीं में से एक है...शायद.

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  6. सवाल में उलझा हुआ मन .. बेहतरीन......

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    1. तहे दिल से शुक्रिया! !

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  7. बहुत ही उलझन भरा सवाल है शायद इसका जवाब कोई भी न दे सके...

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    1. कुछ सवाल ....सवाल ही रह जाते हैं.

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  8. सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,..

    NEW POST...फिर से आई होली...

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    1. आपकी पोस्ट पे आती हूँ.

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  9. दी..

    हमे दिल में रख लीजिये..ना कोई प्रश्न..ना कोई तनाव..ना कोई उपाय की आवश्यकता होगी..!!!! वैसे, बहुत खूबसूरती से लिखा है..!!! :-)

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    1. अच्छा सुझाव है............गौर करूंगी,इसपे.

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  10. खुश रहने के उपाए तो हमें ही खोजने होते हैं निधि जी! दुविधा और अंतर्द्वद को बखूबी शब्दबद्ध किया है आपने। एक प्रभावी रचना।

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    1. हम्म ..उम्मीद पे दुनिया कायम है.

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  11. अपेक्षाएं रिश्तों को निस्वार्थ होने से रोकती हैं ......और पीड़ा का स्त्रोत बन जाती हैं ...मर्मस्पर्शी रचना!

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  12. निधि जी होली की शुभकामनायें |अच्छी कविता |

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    1. शुक्रिया!!आपको भी होली की शुभकामनायें !!

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  13. सुन्दर अभिव्यक्ति

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    1. राहुल जी...हार्दिक आभार!!

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  14. प्रेम के इंतज़ार में ऐसे कई सवाल मन में हर क्षण जन्म लेते है लेकिन निधि आप जानती ही है इनके जवाब मिलना नामुमकिन है. शायद अगले जन्म में सभी जवाब मिल जाये, बस यही इंतज़ार और चाहत की उम्मीद में खुश रहिये.
    होली के पर्व पर आशा है आप प्रेमपूर्ण रहे और खुशियों से भरे रंग अपने ब्लॉग पर बिखेरे.

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    1. शुभकामनाओं हेतु धन्यवाद!!इन सवालों का कोई जवाब नहीं है..शैफाली.सारा खेल बस दिल को समझाने तक सीमित है.अगला जन्म.....खुश रहने को ग़ालिब ख्याल अच्छा है..

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  15. जीवन में उतार चढाव आना लाज़मी हैं .......
    रंगोत्सव पर आपको सपरिवार बधाई !

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    1. सहमत हूँ ,आपसे.बधाई हेतु धन्यवाद!!

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  16. This comment has been removed by the author.

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  17. बाहर भीतर का द्वंद्व शाश्वत है। जब तक बाहर की अपेक्षाएं,लालसाएं भीतर से मेल न खाएं। खुशियां कहां?

    बस अपेक्षारहित प्रेम ही खुशी है।

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    1. इस द्वंद्व से मुक्ति कहाँ संभव हो पाती है?

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  18. निधि जी, आपकी इस रचना में सवालों के रूप में प्रेम और समर्पण झलक रहा है, और जिससे प्रेम हो, जिसके प्रति समर्पण हो तो उस पर अपना अधिकार समझ लेना इंसानी फितरत है... अब कौन और कैसे जवाब दे इन प्रश्नों का...

    एक सुन्दर और भावपूर्ण रचना के लिए स्वीकारें मेरी बधाई...

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    1. बड़े दिन बाद,आपको ब्लॉग पर देखा .कई सवालों के जवाब ..कभी नहीं मिलते और वो हमेशा सवाल ही बने रह जाते हैं

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  19. ... इतनी सुंदर और सच्ची रचना .. मैंने विगत दिनों में नहीं पढ़ी .. ‘निधि’ आपकी बेबाकी और ‘फ़िक्र-ओ-ख्याल’ को सलाम ...

    बड़ी अब इससे कोई मजबूरी नहीं होती
    पूरी होकर भी ख्वाहिश पूरी नहीं होती

    दुआए मांगी थी फक़त खातिर जिसके
    वो ‘खुश’ है और मुझे खुशी नहीं होती

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    1. अमित.....आभार!!
      वाह.....वो खुश है और मुझे खुशी नहीं होती

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  20. कुछ सवालों का कोई जवाब नहीं होता ....क्योंकि एक सवाल के साथ नत्थी होते हैं ,बहुत से सवाल | सुंदर कविता ....किसी कि कमी को इशारा करती है | बधाई नहीं कहा जा सकता ..और जवाब कोई मिलता नहीं |

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    1. दीपक जी.....कुछ प्रश्न हमेशा अनुत्तरित ही रह जाते हैं .

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

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