ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Friday, March 30, 2012
कहाँ -कहाँ से चली आती हैं
कोई नहीं है आसपास
तुम्हारे ख्याल और मेरे सिवा
यादों की इस दस्तक से खुश थी ..
तुम्हारे साथ गुज़रे दिन और रात
न जाने कहाँ -कहाँ की बात
कौन -कौन सी मुलाक़ात
सब के सब याद आ रहे थे .
अचानक ...सब कुछ धुंधला सा गया
गला भी रुंध सा गया
आँखों में आंसू थे
गले में भी कुछ अटका सा था .
यादों में एक यह बहुत बड़ी खराबी है.
चीटियों की तरह आराम से
धीरे-धीरे कतार में नहीं आती .
बस,चली आती हैं ताबड तोड़ बिना किसी क्रम के .
तुम्हारे साथ बीते खुशनुमा पलों को
अभी जीना ही शुरू किया था
कि बीच में से ...
लाइन तोड़ के
चली आई उस एक शाम की याद ...
उसी जगह हाथ पकड़ के ले गयी मुझे
जहां खडी रह गयी थी,मैं
जब तुम्हारा हाथ छूटा था
राहें अलग-अलग हुई थीं हमारी.
आखिरी बार मिले थे हम.
मन की खुशियों को काफूर करना कोई इन यादों से सीखे.
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मन की खुशियों को काफूर करना कोई इन यादों से सीखे.
ReplyDeleteमन के भावो को बड़ी खूबसूरती से पिरोया है शब्दों की माला में ..
यादों को लेकर मैंने भी लिखा है ....आप मेरे ब्लॉग पर आएँगी तो
हर्ष होगा ...अच्छी रचना के लिए बधाई
शुक्रिया.आपके ब्लॉग पर जल्द ही आउंगी.
Deleteखूबसूरती से लबरेज़ हर इक लफ्ज़..
ReplyDelete...
"छोड़ पाना..
भूल पाना..
फितरत नहीं..
तनहा जी सकते नहीं..
जानते हो तुम..!!!"
...
तनहा जीना हर किसी के लिये कष्टकर होता है.
Deleteयादों में एक यह बहुत बड़ी खराबी है.
ReplyDeleteचीटियों की तरह आराम से
धीरे-धीरे कतार में नहीं आती .
बस,चली आती हैं ताबड तोड़ बिना किसी क्रम के .
बस यही तो मुश्किल है...!!
हाँ ..यही मुश्किल है और हल भी नहीं है,इसका कोई .
Deleteवाह ! ! ! ! ! बहुत खूब सुंदर रचना,बेहतरीन भाव प्रस्तुति,....
ReplyDeleteMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
थैंक्स!!
Deleteकुछ यादें ऐसी होती हैं जिनके आते ही ख़ुशी काफूर हो जाती है...
ReplyDeleteखूबसूरत भाव...
हार्दिक धन्यवाद!!
Deleteयादों में एक यह बहुत बड़ी खराबी है.
ReplyDeleteचीटियों की तरह आराम से
धीरे-धीरे कतार में नहीं आती .
बस,चली आती हैं ताबड तोड़ बिना किसी क्रम के .
खुशी के लम्हे काफ़ूर हो गए ... बड़ी ज्यादती है यादों की भी ... खूबसूरती से सहेजे हैं ये स्मृति के पल
स्मृतियों के पल हमेशा सहेज के ...संभाल के ...ही रखती हूँ
Deleteयादों का कांरवा,
ReplyDeleteधड़कनों के साथ
आगे बढ़ता रहता है
हर पल ...
यादें यह नहीं सोचतीं
तुमने कब सोचा
उसके बारे में
कब तुमने उसे पुकारा
मन तो बस
पल प्रतिपल क्षण प्रतिक्षण
जीता रहता है
उन यादों में खुद को ...बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ...
तहे दिल से शुक्रिया!!
Deleteभावो की बहुत नाजुक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteभाव विभोर करती बेहद सुन्दर रचना:-)
हार्दिक धन्यवाद!!
Delete.................बहुत सुंदर
ReplyDeleteपहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ
मैं ब्लॉगजगत में नया हूँ कृपया मेरा मार्ग दर्शन करे
http://rajkumarchuhan.blogspot.in
शुक्रिया...आपके ब्लॉग पर आउंगी,जल्द ही.
Deleteयादों के साथ यही झमेला तो है...सुन्दर :)
ReplyDeleteये झमेला भी बड़ा अलबेला है
Deleteयादों पर कोई नियंत्रण नहीं...हवा के झोंके की तरह कब पासा पलट जाए पता ही नहीं चलता...यादों को खुबसूरत शब्दों में बांधा है...उम्दा!!!
ReplyDeleteआपको रचना अच्छी लगी ...इस हेतु,आभार!!
Deleteयादें कहाँ कहाँ से चली आती हैं कभी रुलाती कभी हंसाती है. भावपूर्ण रचना के लिए बधाई.
ReplyDeleteबड़ी मुश्किल है..न इनके साथ गुज़ारा ..न इनके बिन चैन.
Deleteयादों में एक यह बहुत बड़ी खराबी है.
ReplyDeleteचीटियों की तरह आराम से
धीरे-धीरे कतार में नहीं आती . बहुत खूब निधि जी!
नवनीत जी....सराहने के लिए ,शुक्रिया!!
Deleteठीक कहा निधि जी ! यादें चींटियों की तरह कतार में नहीं आतीं |बहुत सुंदर बिम्ब है ,और दिल ने लिखी है कविता ,पढ़ते ही पता चला | सुंदर अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteआप जब भी कुछ कहते हैं...मेरा मन प्रसन्न हो जाता है...क्यूंकि आप की कही बात मायने रखती है.
Deletebahut hi sundar..............yaadein bas aisi hi hoti hain sach me
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