Thursday, March 29, 2012

प्रेम की दुनिया


कहीं.....
कोई तो रास्ता होगा....
जहां हमारी मजबूरियाँ बीच में न आयें.
तुम और मैं ... चल सकें ..साथ-साथ....
शुरू से आखिर तक .
कोई मोड ऐसा न आये
जहां बिछडना पड़े,हमें .
अपनी मसरूफियत की दुहाई देके
तुम देर से न पहुँचो ,जहां ..

प्रेम की दुनिया क्यूँ इसी उम्मीद पे ...
इस काश पे टिकी रहती है,हमेशा?

21 comments:

  1. सुंदर रचना,क्या बात है,बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति,

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,

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  2. मजबूरियों में जीना एक आनंद देता है , मजबूरियों के नाम पर वह क्या नहीं कर लेता

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    1. आपका कहना भी सही है

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  3. यह मजबूरियन ही तो नए रास्ते तलाश करती हैं ... सुंदर अभिव्यक्ति

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    1. जी...मजबूरियाँ कई बार ..नए रास्तों से परिचय करवा देती हैं

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  4. प्रेम सब मजबूरियों से ऊपर है ...!!
    सुंदर रचना ..
    शुभकामनायें ..!

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    1. हार्दिक धन्यवाद सराहने एवं आपकी शुभकामनाओं हेतु.

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  5. वाह ...बहुत खूब।

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  6. बहुत ही उम्‍दा प्रस्‍तुति ...दिल खुश हो गया पढ़कर..... निधि जी

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    1. बहुत-बहुत शुक्रिया!!

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  7. प्रेम की दुनिया क्यूँ इसी उम्मीद पे ...
    इस काश पे टिकी रहती है,हमेशा?

    काश कि इच्छा पूरी हो..........!

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  8. बहुत सुनदर....
    सादर।

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  9. सुन्दर परिकल्पना .. मनभावन प्रस्तुति.

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  10. काश...यह एक शब्द हमारी कितनी भावनाओं को शांति दे देता है। बेहतरीन ख्याल को बेहतरीन शब्दों से बांधा है आपने...

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    1. काश...हमारे जीने कि वजह बन जाता है...अक्सर .

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  11. बहुत -बहुत सुन्दर...दिलको छू लेनेवाली रचना.
    शानदार...

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