ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Monday, March 12, 2012
वक्त
आज, कुछ यूँ कर लेते हैं
तुम मिलने आना
तो यह घडी .
जो टंगी है न दीवार पे ...हटा दूंगी
तुम्हारे हाथ की घडी भी
.. छुपा के रख दूंगी कहीं .
हम लोगों के बीच
समय क्यूँ अपनी पैठ बनाए .
तुम्हारे आते ही...
यूँ भी...
वक्त की नब्ज़
बढ़ जाती है
मेरी धडकनों की तरह .
मुझे लगता है,
शताब्दियों से.........
प्रेम का सबसे बड़ा दुश्मन
यह मुआ वक्त ही है.
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तुम तो ऐसे गीत बने....
ReplyDeleteआज जाने की जिद्द ना करो............
सुन्दर रचना निधि जी.
साथ के पलों की यही दिक्कत है...बड़ी जल्दी भागते हैं.
Delete...
ReplyDelete"सच..
तुम रख लेना..
दो सुई वाला ये यंत्र..
ना खुद ठहरता है..
ना मुझे रुकने देता है..
आना चाहूँ जब पास..
निशाना साधने रहता तैयार..
चलो..
छुप जाते हैं..
आगोश में एक-दूसरे की..
और..
पलट देते हैं..
सारा हिसाब-किताब..!!"
...
Bahut khoobsurat.....
Deleteछुप जाते हैं..
आगोश में एक-दूसरे की..
और..
पलट देते हैं..
सारा हिसाब-किताब..!!
Jise ham pyaar karte hai, uske saath ghante bhi pal ban udh jaate hai. Vakt! bada beraham hai...
प्रियंका....बहुत सुन्दर टिप्पणी...पढ़ के मन आनंदित हो गया....बस एक चीज़ खाली....आगोश में एक दूसरे की...कि जगह "के "..होना चाहिए था
Deleteशैफाली....वक्त वाकई बड़ा बेरहम होता है...किसी की नहीं सुनता.
Deleteदी..
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत..!!!
थैंक्स.....प्रियंका.
Deleteमुझे लगता है,
ReplyDeleteशताब्दियों से.........
प्रेम का सबसे बड़ा दुश्मन
यह मुआ वक्त ही है. WAKT BAHUT BADA HAE,WOH KUCH BHI KARA SAKTA HAE
वक्त से बड़ा कुछ नहीं..............सच.
Deleteतुम्हारे आते ही,
ReplyDeleteयूँ भी-
वक्त की नब्ज़
बढ़ जाती है
मेरी धडकनों की तरह,...
बहुत सुंदर प्रस्तुति,भावपूर्ण खुबशुरत रचना,...
RESENT POST...काव्यान्जलि ...: बसंती रंग छा गया,...
तहे दिल से आपका शुक्रिया..पसंद करने के लिए.
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआदरणीय निधि जी
ReplyDeleteनमस्कार !
मुझे लगता है,
शताब्दियों से.........
प्रेम का सबसे बड़ा दुश्मन
यह मुआ वक्त ही है
......वाह सुन्दर शब्दों से रची खूबसूरत रचना !
होली की सादर बधाईयाँ...
जरूरी कार्यो के ब्लॉगजगत से दूर था
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ
आप कई दिन बाद दिखाई दिए....अच्छा लगा.आपको भी रंगोत्सव की बधाई.सराहना हेतु धन्यवाद!!
DeleteNidhi...ek aur awesome kavita!
ReplyDeleteLove is timeless yet the moments with the beloved fly like wind in a storm.
Beautifully expressed as always.
वस्ल की जो रातें पलों में गुजर जाती थीं
Deleteहिज्र में सदियों का फासला तय करती हैं .....
साथ के पल पंख लगा के ना जाने कहाँ गायब हो जाते हैं ....
आजकल ,तुम्हारी टिप्पणी का इंतज़ार रहता है...
शुक्रिया....हौसलाअफजाई का .
Nidhi....I wait for your new poems. I will always be here with your words :)...My pleasure.
Deleteवाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeleteसदा:-))
Deleteबहुत खूब ... सीधे दिल में उतर गयी ...
ReplyDeleteसच है ये वक़्त सबसे बड़ा दुश्मन है प्रेमियों का ... निःशब्द कर दिया इस रचना ने ...
तहे दिल से आपका शुक्रिया!!
Deleteबहुत सुन्दर रचना .. वक्त थाम लेने की बात बडी अच्छी कही.
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद!!
Deletebahut sundar rachna nidhi ji....aabhar
ReplyDeleteथैंक्स,डीयर .
Deleteजब यह घड़ी हटा दूंगी .... कुछ पल तो तुम मेरे रहोगे , सिर्फ मुझ तक
ReplyDeleteऎसी ही मंशा है............
Deleteबहुत सुन्दर, मैं तो इसीलिये घड़ी नहीं बान्धता। :)
ReplyDelete:-)))
Deleteकाश ऐसा हो कि मिलन की घड़ियों में घड़ियां न देखी जाएं...और वे घड़ियां बढ़ती जाएं जहां
ReplyDeleteमिलन है दो हृदयों का अनपेक्षित...
सुंदर भाव...
थैंक्स!!....आमीन ! !
Deleteएक गाना है ...तेरे पास आके मेरा वक्त गुजर जाता है ..दो घड़ी के लिए गम जाने कहाँ जाता है .......यहाँ भी कमबख्त वक्त ने गुज़रना नहीं छोड़ा .......निधि ! क्या ऐसा नहीं हो सकता कि जीवन भर समेटा हुआ लम्हा लम्हा वक्त ..उस एक घड़ी में सिमट आये ...कुछ लम्हे उधार के भी मिल जायें.....ख्वाब की ताबीर की वो सुनहरी घड़ी जब आये तो ?
ReplyDeleteतूलिका....तुमने जो कुछ भी कहा...काश,वो सब .....सच हो जाए !!
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