Monday, March 12, 2012

वक्त



आज, कुछ यूँ कर लेते हैं
तुम मिलने आना
तो यह घडी .
जो टंगी है न दीवार पे ...हटा दूंगी
तुम्हारे हाथ की घडी भी
.. छुपा के रख दूंगी कहीं .
हम लोगों के बीच
समय क्यूँ अपनी पैठ बनाए .
तुम्हारे आते ही...
यूँ भी...
वक्त की नब्ज़
बढ़ जाती है
मेरी धडकनों की तरह .

मुझे लगता है,
शताब्दियों से.........
प्रेम का सबसे बड़ा दुश्मन
यह मुआ वक्त ही है.

34 comments:

  1. तुम तो ऐसे गीत बने....
    आज जाने की जिद्द ना करो............

    सुन्दर रचना निधि जी.

    ReplyDelete
    Replies
    1. साथ के पलों की यही दिक्कत है...बड़ी जल्दी भागते हैं.

      Delete
  2. ...

    "सच..
    तुम रख लेना..
    दो सुई वाला ये यंत्र..
    ना खुद ठहरता है..
    ना मुझे रुकने देता है..
    आना चाहूँ जब पास..
    निशाना साधने रहता तैयार..
    चलो..
    छुप जाते हैं..
    आगोश में एक-दूसरे की..
    और..
    पलट देते हैं..
    सारा हिसाब-किताब..!!"


    ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. Bahut khoobsurat.....

      छुप जाते हैं..
      आगोश में एक-दूसरे की..
      और..
      पलट देते हैं..
      सारा हिसाब-किताब..!!

      Jise ham pyaar karte hai, uske saath ghante bhi pal ban udh jaate hai. Vakt! bada beraham hai...

      Delete
    2. प्रियंका....बहुत सुन्दर टिप्पणी...पढ़ के मन आनंदित हो गया....बस एक चीज़ खाली....आगोश में एक दूसरे की...कि जगह "के "..होना चाहिए था

      Delete
    3. शैफाली....वक्त वाकई बड़ा बेरहम होता है...किसी की नहीं सुनता.

      Delete
  3. दी..

    बेहद खूबसूरत..!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. थैंक्स.....प्रियंका.

      Delete
  4. मुझे लगता है,
    शताब्दियों से.........
    प्रेम का सबसे बड़ा दुश्मन
    यह मुआ वक्त ही है. WAKT BAHUT BADA HAE,WOH KUCH BHI KARA SAKTA HAE

    ReplyDelete
    Replies
    1. वक्त से बड़ा कुछ नहीं..............सच.

      Delete
  5. तुम्हारे आते ही,
    यूँ भी-
    वक्त की नब्ज़
    बढ़ जाती है
    मेरी धडकनों की तरह,...
    बहुत सुंदर प्रस्तुति,भावपूर्ण खुबशुरत रचना,...

    RESENT POST...काव्यान्जलि ...: बसंती रंग छा गया,...

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहे दिल से आपका शुक्रिया..पसंद करने के लिए.

      Delete
  6. आदरणीय निधि जी
    नमस्कार !
    मुझे लगता है,
    शताब्दियों से.........
    प्रेम का सबसे बड़ा दुश्मन
    यह मुआ वक्त ही है
    ......वाह सुन्दर शब्दों से रची खूबसूरत रचना !
    होली की सादर बधाईयाँ...
    जरूरी कार्यो के ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ

    ReplyDelete
    Replies
    1. आप कई दिन बाद दिखाई दिए....अच्छा लगा.आपको भी रंगोत्सव की बधाई.सराहना हेतु धन्यवाद!!

      Delete
  7. Nidhi...ek aur awesome kavita!
    Love is timeless yet the moments with the beloved fly like wind in a storm.

    Beautifully expressed as always.

    ReplyDelete
    Replies
    1. वस्ल की जो रातें पलों में गुजर जाती थीं
      हिज्र में सदियों का फासला तय करती हैं .....
      साथ के पल पंख लगा के ना जाने कहाँ गायब हो जाते हैं ....
      आजकल ,तुम्हारी टिप्पणी का इंतज़ार रहता है...
      शुक्रिया....हौसलाअफजाई का .

      Delete
    2. Nidhi....I wait for your new poems. I will always be here with your words :)...My pleasure.

      Delete
  8. वाह ...बहुत खूब ।

    ReplyDelete
  9. बहुत खूब ... सीधे दिल में उतर गयी ...
    सच है ये वक़्त सबसे बड़ा दुश्मन है प्रेमियों का ... निःशब्द कर दिया इस रचना ने ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहे दिल से आपका शुक्रिया!!

      Delete
  10. बहुत सुन्दर रचना .. वक्त थाम लेने की बात बडी अच्छी कही.

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद!!

      Delete
  11. bahut sundar rachna nidhi ji....aabhar

    ReplyDelete
  12. जब यह घड़ी हटा दूंगी .... कुछ पल तो तुम मेरे रहोगे , सिर्फ मुझ तक

    ReplyDelete
    Replies
    1. ऎसी ही मंशा है............

      Delete
  13. बहुत सुन्दर, मैं तो इसीलिये घड़ी नहीं बान्धता। :)

    ReplyDelete
  14. काश ऐसा हो कि मिलन की घड़ियों में घड़ियां न देखी जाएं...और वे घड़ियां बढ़ती जाएं जहां
    मिलन है दो हृदयों का अनपेक्षित...

    सुंदर भाव...

    ReplyDelete
  15. एक गाना है ...तेरे पास आके मेरा वक्त गुजर जाता है ..दो घड़ी के लिए गम जाने कहाँ जाता है .......यहाँ भी कमबख्त वक्त ने गुज़रना नहीं छोड़ा .......निधि ! क्या ऐसा नहीं हो सकता कि जीवन भर समेटा हुआ लम्हा लम्हा वक्त ..उस एक घड़ी में सिमट आये ...कुछ लम्हे उधार के भी मिल जायें.....ख्वाब की ताबीर की वो सुनहरी घड़ी जब आये तो ?

    ReplyDelete
    Replies
    1. तूलिका....तुमने जो कुछ भी कहा...काश,वो सब .....सच हो जाए !!

      Delete

टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

Followers