दर्द की ये सारी लकीरें
कितनी भी गहराए.........
ग़मों के ये अँधेरे
कितने भी स्याह हो जाएँ ...
तकलीफों की ये आंधियां
चाहें ,सब उड़ा ले जाएँ ....
किस्मत की बेरुखी
कितना ही परेशां कर जाए ...
पर,
जहां,जब,जिस सूरत
मेरे करीब.
तेरा ख्याल चला आता है...
..
सच कहती हूँ ,मैं .....
मेरे चारों ओर
उत्सव सा माहौल हो जाता है
खुशियाँ की न जाने कहाँ से
जैसे झड़ी सी लग जाती है
आँखों के कटोरों में
धूप उतर आती है
और इस अनमने से मन में
इन्द्रधनुष सा छा जाता है.
बहुत सुन्दर............
ReplyDeleteतेरा ख़याल ही काफी है
मेरी रात को पूनम करने को.......
सही फरमाया,आपने.
Deleteबहुत सुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteMY RESENT POST...काव्यान्जलि... तुम्हारा चेहरा.
धीरेन्द्र जी....थैंक्स!!
Deletesatya vachan nidhi ji ....sundar rachana
ReplyDeleteभावना ...शुक्रिया!!
Deleteखुशियाँ की न जाने कहाँ से
ReplyDeleteजैसे झड़ी सी लग जाती है
आँखों के कटोरों में
धूप उतर आती है
....लाज़वाब कोमल अहसास...बहुत सुंदर
कैलाश जी..पसंद करने के लिए शुक्रिया
Deletevaah bahut sundar bhaavaavyakti
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद !!
Deleteमुझे नहीं मालूम मैं राधा हूँ या मीरा
ReplyDeleteकोई गोपी हूँ या कदम्ब
यमुना या बांसुरी ...
जो हूँ तुमसे ही हूँ
बहुत सुंदरता से आपने अपनी बात रखी....मन प्रसन्न हो गया पढ़ के
Deleteखुशियाँ की न जाने कहाँ से
ReplyDeleteजैसे झड़ी सी लग जाती है
आँखों के कटोरों में
धूप उतर आती है
और इस अनमने से मन में
इन्द्रधनुष सा छा जाता है....
बस यही भाव बना रहे सदा.......!
आमीन!!
Deleteवाह... बहुत सुंदर भाव रचना का ...
ReplyDeleteपसंद आया ...यह जान कर अच्छा लगा
Deleteमेरे चारों ओर
ReplyDeleteउत्सव सा माहौल हो जाता है
खुशियों की न जाने कहां से
जैसे झड़ी सी लग जाती है
आंखों के कटोरों में
धूप उतर आती है
और इस अनमने से मन में
इन्द्रधनुष सा छा जाता है.
ऐसा ही होता जब प्रिय का ख्याल मन में आता है...आंखों के कटोरों में...सुंदर उपमान का प्रयोग...दिल खुश होता है आपको पढ़ कर...
आप को खुशी मिलती है...अच्छा लगा पढ़ कर.शुक्रिया,सराहना हेतु.
Deleteबेहतरीन सृजन , अपने सन्देश में सफल .....बधाईयाँ जी
ReplyDeleteबहुत -बहुत शुक्रिया,जी.
Deleteजिंदगी से उम्मीद यूँ ही बरक़रार रहे ..
ReplyDeleteइसी उम्मीद पे जिंदगी कायम है.
Deleteबहुत खूब ... सुंदर भाव
ReplyDeleteथैंक्स!!
Deletebahut sunder
ReplyDeleteशुक्रिया....!!अपना नाम लिखते तो और अच्छा लगता
Deletelovely expression
ReplyDeleteसुनीला...थैंक्स!!
Deleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeleteथैंक्स!!
Deleteबारिशों के पानी पे जब धूप गिरा करती है ..इन्द्रधनुष होता है .....अश्कों पर जब यादों की धूप खिलती है...तो प्रीत के रंग खिलते है ...क्यूँ तुम मुझ सा सोचती हो ..हर बार मेरी बात खुद कह देती हो
ReplyDeleteमैं तेरी कहूँ ...तू मेरी सुने...सिलसिला यूँ ही चलता रहे
Delete