Monday, August 24, 2015

चुनाव

सारे तरीके
सब हथकंडे
पता थे उसे
कब क्या करे
जो मुझे अच्छा लगे
किस बात को न करे
कि बुरी लगती है मुझे
कैसे मुझे प्यार करे
कब मुझसे नाराज़ रहे
कहाँ दर्द होगा
क्या कहाँ कितना छुपा होगा
किधर चोट लगेगी
कैसे आंसुओं की थमी नदी बहेगी
कब होठों पे हँसी खिलेगी
किस बात पे ख़ुशी छलकेगी

पर,आजकल
वो सिर्फ और सिर्फ
वही करता है जान के
जिससे मुझे खराब लगे।
उन बातों को कहता है
जिससे मेरा जी जले
एक पल चैन न पड़े
उसकी हर बात खले

उसके तरीके उसके से निराले
अजब ढंग हैं प्यार जताने के
अब हैं तो हैं
जो है जैसा है वो
चुनाव तो मेरा है

2 comments:

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सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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