Sunday, August 19, 2012

खाप



क्लास लगी है

वहीं...बरगद के चबूतरे पर

गाँव के दद्दा सिखाएंगे

कि लड़का लड़की प्यार कैसे करेंगे .


मिलते ही...दिल के जुड़ने से पहले

पूछेंगे ...गोत्र,धर्म जाति

फिर अंदाज़ा कि

पैसे से मजबूत है की नाही .


उसके बाद प्यार करना बच्चो

वरना ,फिर सामू और कम्मो

कि तरह मरना बच्चो .

सिखा रहे हैं

पढ़ा रहे हैं पाठ ...

प्यार होना नहीं चाहिए

क्यूंकि

प्यार सब देख भाल कर ...कह सुन कर ...जांच-परख कर

करने वाली चीज़ है.

21 comments:

  1. ऊच-नीच नही लागता,प्यार ये ऐसा खेल
    बंधन जितना कसोगे , उतना बढ़ता मेल,,,,

    लाजबाब प्रस्तुति,,,निधि जी,,,,
    RECENT POST...: शहीदों की याद में,,

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    1. धीरेन्द्र जी ....सही कहा,आपने.

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  2. प्यार सब देख भाल कर ...
    कह सुन कर ...
    जांच-परख कर...
    करने वाली चीज़ है.
    .
    कुछ चीजें समाज को अपने सच्चे रूप में स्वीकार्य नहीं होती. प्यार उन्हीं में से एक है.

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    1. सच..प्यार सा खूबसूरत एहसास क्यूँ लोगों को असह्य है...समझ नहीं आता.

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  3. मेरी टिप्पणियों का प्रिय स्थान स्पैम है.

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    1. :-) अकसर मेरी भी....

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    2. आप दोनों की टिप्पणियों को निकाल कर लाना...मेरा प्रिय काम.

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  4. बहुत सुंदर रचना
    क्या कहने

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  5. बहुत बढ़िया.....
    तीर की तरह लगी रचना....मगर पंचायत बेअसर!!!!

    अनु

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  6. बहुत कम लफ्जों में बहुत गहरी बात कह दी आपने।

    ईद की दिली मुबारकबाद।
    ............
    हर अदा पर निसार हो जाएँ...

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    1. शुक्रिया!!
      ईद मुबारक हो...!

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  7. bauhat accha kataaksh....jo jaanch parakh liya...to pyaar kahan!!

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  8. बूंद-बूंद इतिहास पर नई कविता की प्रवृत्तियां इस विषय पर नई पोस्ट में आप सादर आमंत्रित हैं। -मनोज भारती

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  9. काश ये प्रेम पढ़ाने वाले अनपढ़ ही रह गये होते....बदनसीब दद्दा...

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  10. बेचारे पञ्च , दिल को कैसी जानेंगे !

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    1. प्यार समझने के लिए प्यार होना ज़रूरी है.

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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