ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Wednesday, August 29, 2012
बनी रहे ....
हसरत है कि मेरे शहर में ये शराफ़त बनी रहे
बहू -बेटी किसी की भी हों उनकी अस्मत बनी रहे
मैंने कुछ भी चाहा ही नहीं कभी बस इसके सिवा
हक़ में दुआएं करने वालों की बरक़त बनी रहे
कोई कसर तूने छोड़ी कहाँ सितम ढाने में ख़ुदा
तुम बता दो किसलिए तुझपे ये अक़ीदत बनी रहे
निगाहों को,दिलों को पढ़ने का फ़न किसे आता है
इन्हें बांचना सीख लूँ बस ये लियाक़त बनी रहे
अपने ही अपनों के ख़ून के प्यासे ना हो जाएँ
दूरी इस सूरते हाल से ताक़यामत बनी रहे
तरक्क़ी पसंद हूँ मैं इसमें कोई दो राय नहीं
देहलीज़ लांघ कर निकलूँ तो भी नज़ाकत बनी रहे
बिछड़ना जो पड़ जाए नसीब से हार कर कभी हमें
ज़रूरी है हम में रस्मे ख़तो क़िताबत बनी रहे
देखा सुना बहुत सीखा नहीं कुछ प्यार के सिवा
तमाम उम्र मुझ जाहिल की ये जहालत बनी रहे
कुछ भी ग़लत होता देखें तो आवाज़ बुलंद करें
मिजाज़ में सब लोगों के बस ये बग़ावत बनी रहे
(प्रकाशित)
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बहुत खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteशुक्रिया!
Deleteवाह बहुत खूब ....बस कुछ ना कुछ करते हुए ये लिखने के भाव बने रहने चाहिए
ReplyDeleteआमीन !
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ReplyDeleteमैंने कुछ भी चाहा ही नहीं कभी बस इसके सिवा
हक़ में दुआएं करने वालों की बरक़त बनी रहे... आमीन
:-)))
Deleteकुछ भी ग़लत होता देखें तो आवाज़ बुलंद करें
ReplyDeleteमिजाज़ में सब लोगों के बस ये बग़ावत बनी रहे
बेहतरीन।
सादर
थैंक्स!!
Deletesundar
ReplyDeleteआभार!
Deletebahut sundar likha hai ...
ReplyDeleteshubhkamnayen ..
थैंक्स!
Deleteसम्वेदनशील कविता
ReplyDeleteगज़ल है,जी.
Deleteकुछ भी ग़लत होता देखें तो आवाज़ बुलंद करें
ReplyDeleteमिजाज़ में सब लोगों के बस ये बग़ावत बनी रहे
..
बहुत बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति
बात तो तब है जब कोई प्रेरणा ले
Deleteबहुत खूबसूरत गजल ..... हर शेर उम्दा
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया!!
Deletesach me bahut sundar hai ye panktiyaan
ReplyDeleteथैंक्स ,डियर .
Deleteमैंने कुछ भी चाहा ही नहीं कभी बस इसके सिवा
ReplyDeleteहक़ में दुआएं करने वालों की बरक़त बनी रहे ..
आमीन ... आपकी दुआ कबूल हो ... आज के समय में ऐसी दुआओं की जरूरत है ...
सभी शेर बहुत ही लाजवाब हैं ... सादगी लिए ...
सारे शेरों को पसंद करने के लिए,आभार!
Deleteदेखा सुना बहुत सीखा नहीं कुछ प्यार के सिवा
ReplyDeleteतमाम उम्र मुझ जाहिल की ये जहालत बनी रहे...:))) मैं भी ऐसा ही हूँ निधि !
मैं भी....
Deleteनिधि जी,,,इस खूबशूरत गजल के लिए बधाई,,,,,
ReplyDeleteMY RECENT POST ...: जख्म,,,
थैंक्स !
Deleteबहुत खूब डॉ० निधि जी |उम्दा रचना |आभार
ReplyDeleteपसंद करने के लिए,धन्यवाद!
Deleteकुछ भी ग़लत होता देखें तो आवाज़ बुलंद करें
ReplyDeleteमिजाज़ में सब लोगों के बस ये बग़ावत बनी रहे
इस ग़ज़ल के लिए बधाई...
आप तो ग़ज़लों की भी अच्छी फ़नकार निकली...यूं ही लिखती रहें सदा!!!
सराहने के लिए...तहे दिल से शुक्रिया!
Deleteधन्यवाद!
ReplyDeleteप्रभावित करती पंक्तियाँ.... बहुत बढ़िया खूबसूरत गजल निधि जी
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद!!
DeleteA very different writing style...and different subject from you!
ReplyDeleteBut as always, touched the heart.
हाँ यार एक पत्रिका में भेजनी थी एक गज़ल ...उस कारण से यह लिखी गयी.चलो,तुम्हें अच्छा लगा पढ़ कर यह जान कर मुझे अच्छा लगा .
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