Monday, August 6, 2012

इंतज़ार में....




अक्सर
अपने घर के अकेलेपन में
महसूस होते हो तुम .

मैंने देखे हैं तुम्हारे होंठों के निशाँ
अपनी चाय की प्याली पे .

गीला तौलिया बिस्तर पे पडा
मुझको चिढाता हुआ.

सुनाई देती हैं मुझे मेरी आवाज़
जब दिखती हैं ,तुम्हारी चप्पलें
सारे घर में मटरगश्ती करती हुई .

तुम्हारी महक से पता नहीं कैसे
महकती हूँ मैं ...दिन और रात

आजकल यूँ ही
मुस्कुराती हूँ मैं...बेमतलब ,बेबात

बताओगे...?

ऐसा ही होता है क्या
किसी के इंतज़ार में .

25 comments:

  1. इंतज़ार की अनोखी छटाएं...

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    1. उम्मीद है ...आपको पसंद आयीं

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  2. ये इंतज़ार नहीं ... बस प्रेम का पागलपन है ... जिसमें हर कोई डूबना चाहता है ...
    लाजवाब ...

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    1. प्रेम में पागलपन न हो तो वो प्रेम कहाँ...

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  3. तुम्हारे होठों के निशाँ चाय की प्याली पे ... इंतज़ार के खूबसूरत लम्हे. बहुत प्यारी रचना, बधाई.

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  4. शायद ऐसा ही होता है इंतज़ार में.. कभी करेंगे तो आपको ज़रूर बताएँगे :)

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    1. जब करना इंतज़ार तो बताना ज़रूर.

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  5. बिल्कुल जी यही होता है.....

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  6. आभारी हूँ,मेरी रचना को शामिल करने हेतु.

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  7. इस पागलपन को पढ़ना फिर से अच्छा लगा ...

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    1. यह पढ़ कर मन खुश हो गया

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  8. बहुत प्यारी रचना ...किसी के इंतज़ार में

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    1. हार्दिक धन्यवाद!!

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  9. आपने इंतज़ार की अनुभूतियों को बड़े सलीके से शब्दों में बांधा है. अच्छी लगी ये नज़्म..

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    1. आपने पसंद किया और सराहा...आभारी हूँ.

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  10. बेहतरीन कविता
    जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाये..!!

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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