ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Tuesday, October 18, 2011
प्रेम का तावीज़
शर्त लगाई है....खुद से
जिद है...मेरी
बचपना ...भी कह सकते हो
यकीन है तुम मानोगे ...
...एक न एक दिन स्वीकारोगे..
कि प्यार करते थे,हो और करते रहोगे मुझसे.
अनजान बने रहते हो
अनदेखा भी कर देते हो
अबोला भी हो जाता है
अनसुना कुछ रह जाता है ..
अपने को कब तक यूँ परेशान करोगे,तुम ?
कह दो....
बोलो न....
तुम्हारी बेचैनी ,बेकरारी,घबराहटें,डर,झिझक
को मिटा देना सब ...है मेरे बस में
आओ न...आगे बढ़ो ..एक कदम
स्वीकारो कि मेरा प्रेम तुम्हारे लिए
और तुम्हारा प्रेम मेरे लिए
एक तावीज़ है ...............
इस प्रेम के तावीज़ ...के साथ
हम सारी परेशानियों से लड़ लेंगे
स्वीकार कर लो न!!!
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बहुत सुन्दर ... प्रेम का ताबीज कुछ तो असर करेगा
ReplyDeleteprem ras mei dubi rachna ........bahut khub
ReplyDeleteसंगीता जी....आमीन !!
ReplyDeleteअंजू ...शुक्रिया .
ReplyDeleteतुम्हारी बेचैनी ,बेकरारी,घबराहटें,डर,झिझक
ReplyDeleteको मिटा देना सब ...है मेरे बस में
आओ न...आगे बढ़ो ..एक कदम
स्वीकारो कि मेरा प्रेम तुम्हारे लिए
और तुम्हारा प्रेम मेरे लिए
एक तावीज़ है ...............
इस प्रेम के तावीज़ ...के साथ
हम सारी परेशानियों से लड़ लेंगे
स्वीकार कर लो न!!!... फिर देखो प्यार के पंख हमें कहाँ ले जायेंगे
रश्मिप्रभा जी....प्यार के पंखों के सहारे ....जैसे रचना को पूरा कर दिया आपने.शुक्रिया!!
ReplyDeleteवाह …………प्रेम के तावीज़ मे बंद होने के बाद तो सब प्रेममय ही हो जायेगा।
ReplyDeleteयह ताबीज है अनमोल....अनगिनत उम्मीदों को समेटे हुए....अनमोल....
ReplyDeleteवन्दना.....सब प्रेममय होने की प्रतीक्षा में ...मैं.
ReplyDeleteकुमार.......जब प्रेम अनमोल तो उसका तावीज़ तो खुद ब
ReplyDeleteखुद अनमोल हो ही जायेगा
शर्त लगाई है....खुद से
ReplyDeleteजिद है...मेरी
बचपना ...भी कह सकते हो
यकीन है तुम मानोगे ...
...एक न एक दिन स्वीकारोगे..
कि प्यार करते थे,हो और करते रहोगे मुझसे...ये विश्वास ही प्यार को ताबीज़ से बांध रखेगा....
प्रेम तो हमें और भी मज़बूत बनाता है..प्रेम के ताबीज़ की ज़रूरत तो कमज़ोर इंसान को होती है..!!!
ReplyDeleteसुंदर रचना..!!!
प्रियंका...शुक्रिया!!तुम्हारी बात से सहमत हूँ कि प्यार तो इंसान को मजबूत बनाता है ...यही बात मैंने यहाँ कही है कि प्रेम स्वयं ...तावीज़ सा ही होता है...जिस तरह तावीज़ बाँध लेते है ..वो खराब से बचाता है ..ठीक उसी तरह प्रेम भी जब जीवन में आता है..व्यक्ति स्वयं ही परेशानियों से लड़ने...दिक्कतों का सामना करने को तैयार हो जाता है .
ReplyDeleteविश्वास ही प्यार को ताबीज़ से बांध कर रखता है
ReplyDeleteगहरे जज्बातों को शब्द दे देती हैं आप निधि जी.... बहुत लाजवाब
संजय जी...आपका तहे दिल से शुक्रिया !!
ReplyDeleteदी..
ReplyDeleteगुस्ताखी के लिये माफ़ी चाहूंगी..'ताबीज' वो लोग पहनते हैं जिन्हें खुद पर यकीन नहीं होता..!!! खुदा के बंदे खुदा को रूह में पहनते हैं, बाजू में ताबीज़ नहीं..!!!
प्रियंका...अच्छा लगा पढ़ कर कि अपनी असहमति तुमने कह कर जताई ...यहाँ मैं यह कहना चाह रही हूँ कि प्यार स्वयं में एक तावीज़ सा ही है ...प्यार भी वही करता है जो एक तावीज़ करता है..हमें अनिष्ट से बचाता है...और प्यार ही खुदा ..खुदा ,प्यार है ...मेरे लिए.
ReplyDeleteये प्रेम का तावीज़ है ... जरूर असर करेगा ... भावपूर्ण रचना है ...
ReplyDeleteआपकी बात सच हो...इसी आशा के साथ...दिगंबर जी आपको...शुक्रिया !!
ReplyDeleteप्रेम है तो सारी समस्यायों को हल करने का हौसला है!
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति!
bahut khoobsurat abhivyakti....nidhi ji....aabhar
ReplyDeleteप्रियंका...बहुत-बहुत शुक्रिया...रचना को पसंद करने एवं सराहने हेतु.
ReplyDeleteअनुपमा ...सच कहा आपने..प्रेम हो जीवन में ...तो हरेक परिस्थिति से लड़ने की ताकत स्वयं आ जाती है
ReplyDeleteकभी-कभी हम कैसा महसुस कर रहे है ये जताना शब्दों की सीमा से परे हो जाता है, ऐसी दशा में आ गया हूँ | ना जाने कितनों का अव्यक्त, अनकही और अबोल दशा समाहित है इन पंक्तियों में | काश के ये तावीज़ सभी हालात को स्वीकार्य होती |
ReplyDeleteब्रजेश...शुक्रिया !!यह दशा जब आपके पास शब्द न हो ..व्यक्त करने के लिए ...बड़ी मुश्किल से आती है...क्यूंकि जब आप किसी भी भाव के चरम पे जाते हैं तब यह स्थिति आती है...अच्छा है...!!काश.....!!
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