Wednesday, September 28, 2011

मन करता है



बहुत बार मन करता है
कि
सबके बीच रहते हुए भी
मैं,निपट अकेले हो जाऊं .
वक्त से अपने लिए
कुछ क्षण चुरा लाऊँ .
उन पलों में न कोई और बोले
न हाथ धरे,न छुए
पूछे नहीं चुप्पी का कारण कोई
न सवाल जवाब हो कोई .
बस ....
अकेले लेटे हुए मैं
तुम्हारी यादों में
डूबती तरती जाऊं
सब कुछ भूल के
पार उतरती जाऊं

24 comments:

  1. अकेले लेटे हुए मैं
    तुम्हारी यादों में
    डूबती तरती जाऊं
    सब कुछ भूल के
    पार उतरती जाऊं....सुन्दर अभिवयक्ति....

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  2. सुन्दर अभिव्यक्ति .. अपने से अपनी बातें करने का मन ..

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  3. sab kuch bhool kar paar utar jaun... bahut khoob...aabhar

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति……………
    माता रानी आपकी सभी मनोकामनाये पूर्ण करें और अपनी भक्ति और शक्ति से आपके ह्रदय मे अपनी ज्योति जगायें…………सबके लिये नवरात्रि शुभ हों

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  5. ये पल भी कितना सुहाना होगा .. मैं और उनकी यादें .. लाजवाब लिखा है ..

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  6. भीड़ में भी सबसे अलग चलना .... सबसे मन की मुलाकात ही नहीं हो सकती

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  7. सुषमा....अभिव्यक्ति की सुंदरता को सराहने हेतु,आभार .

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  8. संगीता जी..कभी कभार...अपने से अपनी बात करना बहुत आवश्यक होता है...नितांत अपने पल..

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  9. प्रियंका....तहे दिल से शुक्रिया .

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  10. वंदना....धन्यवाद आपकी शुभकामनाओं हेतु.आपको भी नवरात्रि के पर्व पर ढेरों मंगल कामनाएं

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  11. मुकेश जी ..आजकल के समय में किसी चीज़ के लिए मन करना भी बड़ी बात है

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  12. आभार,दिगंबर जी.यकीनन सुहाना होता है .

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  13. रश्मिप्रभा जी...आपने बिलकुल ठीक कहा है.

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  14. मेम !
    नमस्ते !
    कविता पढ़ एक गीत याद आ गया '' मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बाते करते ...'' वाकई इन्सान इतनी भाग दौड़ भरी जिंदगी में स्वयं के लिए कुछ पल निकालना कहता है . बधाई
    सादर

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  15. NIDHI Ji,
    Paar utarna kya, ye panktiyan yadi yatharth ho jayein to manushya Vaitarni paar kar jaye!!
    Bahut achha likha hai..

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  16. नमस्ते....सुनील जी.बहुत बहुत आभार..रचना को पढ़ने एवं प्रतिक्रिया देने हेतु

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  17. अनुपम....सच्ची बात है ...मनुष्य खुद को खोज ले तो वैतरणी पार कर जाए .शुक्रिया,आपको रचना पसंद आई और आपने टिप्पणी करी .

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  18. नयंक पटेलSeptember 30, 2011 at 7:59 AM

    किसी भी तरह पार तो उतरना ही है, इस संसार महा सागर के भंवरें और मौजों के बीच , कुछ डूबता कुछ तैरते ...चाहे किसी को भूल के या किसी की यादों के सहारे .....!!!

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  19. नयंक जी...सच है...मुख्य ध्येय तो पार उतरना ही है

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  20. bhaut hi bhaavpurn abhivaykti.....

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  21. सागर.......शुक्रिया !

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  22. आपकी कविता में भावों की गहनता व प्रवाह के साथ भाषा का सौन्दर्य भी उपस्थित है , अद्भुत लेखन


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    1. शुक्रिया,सराहने के लिए.

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