Tuesday, September 6, 2011

मैं यह नहीं जानती.....


मैं यह नहीं जानती.....
तुम्हें,कैसा लगता है,मुझसे मिलकर
पर,मैं जब भी तुमसे मिलती हूँ
पास बैठ के बतियाती हूँ
ये वक़्त.....
बादल बन के जैसे उड़ने लगता है
....पानी की तरह बहता जाता है
पारे की बूंदों की तरह फिसलता जाता है .
लाख कोशिशों के बाद भी पकड़ में नहीं आता है .
और आते ही ...न जाने कब
तुम्हारे जाने का वक़्त हो आता है .

33 comments:

  1. अच्छी भाव पूर्ण प्रस्तुति 'मिलन में वक़्त के सहज गुजर जाने का
    अहसास कराती हुई'.

    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

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  2. आदरणीय निधि जी
    नमस्कार !
    बहुत प्यारा सा ख़याल और निराला सा अंदाज़ ! बहुत सुन्दर !

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  3. बहुत सुन्दर ख्याल्।

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  4. yahi to milan aur virah ka apna alag alg andaj hai ......bahut khubsurti se bayana kiya hai aapne miln ki bhavna ko .badhai

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  5. बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति।

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  6. kash !! ye waqt yun hi thahar jata.....

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  7. राकेश जी..आपका बहुत-बहुत आभार !!

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  8. प्रियंका....शुक्रिया कि तुमने वक़्त निकाल कर पढ़ा और अपनी प्रतिक्रया दी

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  9. संगीता जी...थैंक्स!

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  10. संजय जी...आजकल मसरूफ हैं,आप ...ऐसा लगता है..वक़्त निकालने के लिए ...धन्यवाद !

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  11. वन्दना...शुक्रिया ख्याल को पसंद करने के लिए

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  12. अमरेन्द्र ...आपकी बधाई स्वीकार करते हुए आप को धन्यवाद देना चाहूंगी रचना को पसंद करने के लिए

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  13. रश्मिप्रभा जी ...इंतज़ार की घड़ियाँ लम्बी..मिलन का समय कम ही लगता है

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  14. कैलाश जी....सराहने के लिए आभार!!

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  15. कुमार...रुकता तो कुछ नहीं है...
    तेरे इंतज़ार का वक़्त गुज़रता तो है

    पर घड़ी -घड़ी ठहर सा क्यूँ जाता है .
    प्रतीक्षा के क्षण लम्बे होते हैं ...मिलन हमेशा कम ही लगता है

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  16. बहुत ही खुबसूरत अभिवयक्ति....

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  17. सुषमा...आपकी नवाजिश है!!

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  18. बेहद खूबसूरत....
    पहली बार हूं आपके ब्लॉग पर...अच्छा लगा..

    अपने ब्लाग् को जोड़े यहां से 1 ब्लॉग सबका

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  19. सोनू...शुक्रिया!!ज़रूर जुडूगी ...शीघ्र ही

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  20. आपके ब्लॉग तक आने में कुछ समय लगा, खैर अच्छा संसार सजाया है आपने कविताओं का. हृदयस्पर्शी कविताये लिखी है आपने यात्रा जारी रहे शुभकामनाये

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  21. भावपूर्ण रचना और सुन्दर शब्द चयन |
    आशा

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  22. कुरुवंश जी....शुक्रिया!!ब्लॉग पर आने ,रचनाओं को पसंद करने के लिए .

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  23. आशा जी..हार्दिक धन्यवाद!!

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  24. Nidhi :
    Very real expression through lovely words , I am sure that most of us would have surely passed through this experiance but hardly have the ability to express those feelings in such a beautiful way. Thanks

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  25. सच..कैसा लगता होगा ना..वक़्त को ना रोक पाने का मलाल..!!!और साथ होने का एहसास..!!!

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  26. ब्रजेश...आपका आभार की आपको लगा कि मैंने खूबसूरती से भावों को कागज़ पे उतारा है.

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  27. प्रियंका...बहुत खलता है क्यूंकि जिसे आप चाहें उसके साथ अगर सीमित समय मिले तो वक्त पंख लगा कर उड़ जाता है .

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  28. .. बहुत ही असरदार पंक्तियाँ है ... 'निधि' हमेशा की तरह.... अपनी गज़ल के कुछ अशआर याद आ गए...

    आके ख्यालो में जब वो मुस्कुराने लगे
    जाने क्या क्या फिर हम बतियाने लगे

    वक़्त-ए-रुखसत बहुत कठिन था 'अमित' पर
    हम बैठे थे कल और वह जाने लगे

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  29. शुक्रिया ,आपकी दाद का ,अमित!!आपने भी खूबसूरत शेरो से रंग जमा दिया .

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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