ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Thursday, September 1, 2011
तुमसे मेरा क्या नाता है...
तुमसे मेरा क्या नाता है या तुम मेरे क्या लगते हो
जब,किसी दिन कोई मुझसे ये प्रश्न कर लेता है
तब.............
उसके बाद के मेरे कई दिन
इसी सोच में बीत जाते हैं की आखिर तुम कौन हो मेरे?
तुम कौन हो?
इसको तो मैं स्वयं भी परिभाषित नहीं कर पाती हूँ
तुम्हारे लिए ,
अपने इन भावों को खुद व्याख्यायित नहीं कर पाती हूँ.
मुझे बचाते हो जब खतरों से ..
उस पल संरक्षक से लगते हो,तुम
बताते हो जब आगे बढ़ने का सही मार्ग मुझे ..
तब एक सहृदय शिक्षक से लगते हो ,तुम .
जी नहीं पाती तुम पास नहीं होते हो,जब...
तब अपने जीवन से लगते हो ,तुम .
तुम्हें रूठा जान जब दिल डूबता है मेरा ..
उस क्षण दिल की धड़कन से लगते हो ,तुम .
तुम्हारी सौम्य छवि को देखती हूँ जब ...
तो,एक संपूर्ण दर्शन से लगते हो,तुम .
साथ मेरे बांटते हो मेरी खुशियाँ और ग़म
उस समय सच्चे सखा से लगते हो,तुम .
तारीफ़ करते हो जब भी कभी मेरी ..
उस वक़्त काबिल कद्रदां से लगते हो,तुम.
मुझे ,तुम कभी संरक्षक,कभी सहचर कभी सजन से लगते हो
कभी रक्षक,कभी हमसफ़र,अपने जीवन से लगते हो,तुम ..
हरेक परिस्थिति में कुछ नए से लगते हो
हर बार एक नयी तरह से परिचय देते हो
और मैं दुविधा में फंस जाती हूँ
कि
इन सब में से तुम्हें क्या संबोधन दूं
तुम्हारा मेरा रिश्ता क्या है ??
तेरे मेरे बीच कौन सा नाता है
इसके लिए बस यही उत्तर दिमाग में आता है
कि तुम मेरे लिए,मेरे इस जीवन के लिए .........
...सब कुछ हो.
मेरे केंद्र बिंदु,मेरी परिधि हो तुम .
तुमसे शुरू हो कर ज़िंदगी जहां खत्म
होती है वो मेरी एक आरज़ू हो तुम
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भावप्रवण रचना
ReplyDeleteवाह बेहतरीन भाव्।
ReplyDeleteis khoobsurati ko naam nahin diya ja sakta ...
ReplyDeleteशायद....कुछ रिश्ते इतने खूबसूरत होते हैं की उन्हें नाम के बंधन में नहीं बाँधा जा सकता....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..
ReplyDeleteवन्दना ....आपका आभार.
ReplyDeleteसंगीता जी...बहुत बहुत शुक्रिया,यूँ साथ बने रहने के लिए .
ReplyDeleteकैलाश जी....धन्यवाद रचना को पढने और पसंद करने के लिए .
ReplyDeleteदिल को छू जाने वाले भाव..
ReplyDelete------
कसौटी पर अल्पना वर्मा..
इसी बहाने बन गया- एक और मील का पत्थर।
रश्मि प्रभा जी...कुछ रिश्ते इतने खूबसूरत होते हैं की वाकई उन्हें परिधि में बाँधना संभव ही नहीं होता है .
ReplyDeleteकुमार...रिश्तों के लिए...नाम ज़रूरी नहीं होता है..समाज भले हर रिश्ते पे एक नाम की मोहर चाहता है..पर कुछ ख़ास एहसास...रिश्ते...बेनाम होते हुए भी सबसे खूबसूरत होते हैं .
ReplyDeleteकितने सुन्दर शब्दों में ढाल दिया है भावनाओं को......
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