ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Tuesday, September 20, 2011
टूटी चीज़
कोई चीज़ टूट जाती है
तो हम उसे फेंक देते हैं ..
उसका इस्तेमाल छोड़ देते हैं .
वैसा ही कुछ हुआ मेरा साथ
जो तुम पर था मेरा विश्वास
तोड़ा गया वो तुम्हारे ही हाथ.
पर,
टूटने के बाद भी
मैं न तो छोड़ पायी तुम्हें
ना ही फेंक पायी विश्वास को
दूर कहीं,बेकार जान के .
मैंने सच्चे दिल से चाहा
कि...
यकीन कायम हो,फिर से .
उसे मरता न देखूं बुझे हुए मन से .
जुड जाए...
जैसे,
टाँके लगा कर भर दिए जाते हैं घाव
कुछ वक्त बाद ....
निशाँ भले ही रह जाए देह पर
पर टाँके जज़्ब हो जाते हैं .
वैसे ही ...
स्नेह के टांकों से जोड़ते हैं यकीन को,
क्यूंकि,मेरी चाहत बस इतनी सी है
कि हमारा रिश्ता ऐसा हो
जिसमें जुड़ने की सदा गुंजाइश हो .
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ओह …………बहुत ही प्यारी सी ख्वाहिश है मगर यही ख्वाहिश तो पूरी होने मे एक उम्र तमाम हो जाती है।
ReplyDeleteहाँ..यह तो सही कहा वंदना .
ReplyDeleteक्या बात
ReplyDeleteआपका शब्द कौशल कमाल का है
बहुत नर्म अहसासों की कविता लिखती है आप निधि जी
आपकी लेखनी और सोच का जवाब नही!
ReplyDeleteसंजय जी..हार्दिक धन्यवाद !!मेरी सोच और लेखनी को सराहने हेतु.
ReplyDeleteबहुत ही मासूम ख्वाहिश, जो मन को छू जाती है..बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत भी खुबसूरत रचना....
ReplyDeleteआपकी चाहत सुन्दर है,सार्थक है.सदा जुडने की गुंजाइश अभूतपूर्व
ReplyDeleteहै.यही जीवन का लक्ष्य होना चाहिये.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है,निधि जी.
भक्त भी तो परमात्मा से जुड़े रहने की ही
चाहत रखता है.
vishwaas kee aisi chahat kam dekhne ko milti hai ...
ReplyDeleteकैलाश जी ...आपका हार्दिक धन्यवाद .
ReplyDeleteसुषमा .....शुक्रिया!!
ReplyDeleteराकेश जी...मैं आज अवश्य आऊँगी...आपको अब दोबारा नहीं कहना पड़ेगा ...पोस्ट को पसंद करने हेतु आभार
ReplyDeleteरश्मिप्रभा जी....विश्वास की यह ताकत न हो तो कोई भी रिश्ता कैसे चलेगा?
ReplyDeleteबढिया है,
ReplyDeleteबहुत सुंदर
स्नेह के टांकों से जोड़ते हैं यकीं को ...वाह क्या बात है बधाई हो
ReplyDeleteमहेंद्र जी...तहे दिल से शुक्रिया!
ReplyDeleteसुनील जी...सदा जोड़ने की कोशिश ही अच्छी है..और इस जुड़ाव हेतु विश्वास से बेहतर क्या होगा
ReplyDeleteमार्मिक रचना .... बधाई.
ReplyDeleteगीत और कविताएँ
नागेश जी...ब्लॉग पर आने,रचना को पढ़ने एवं सराहने हेतु...धन्यवाद
ReplyDeleteखूबसूरत....
ReplyDeleteकुमार..साथ बने रहने के लिए ,आभार.
ReplyDeleteमैंने सच्चे दिल से चाहा, की , यकीं कायम हो फिरसे उसे मरता न देखूं , बुज़े हुवे मनसे......
ReplyDeleteये जरूर हो सकता है , शायद आप को याद होगा सबसे पेहली बात चित हमारे बीच ट्रस्ट पे हुवी थी . किसे ने किसी पर किसी भी बात के लिए हमें एक बार तो विश्वास करना ही पड़ेगा . एक बात जरूर है मन , मोती और शीशा टूट जाने पर , जोड़ ने पर दरार जरूर रेहती है फिर भी जब बहोत मुश्किल हो, वैसे हालत में भी हमें पारदर्शक , साफ़ और सच्चाई के साथ पेश आना है . आप अपनी गलतियाँ को पेहचाने, उनके लिए ज़िम्मेदारी ले और माफ़ी की चाहत रखे , जरूत पड़े माफ़ करने की तैयारी भी रखे . भूतकाल पे नज़र डालें, सच और जूठ का विश्लेषण करे फिर आज की परिस्थितियां को सुन्दरता से सुलझाये . जो आप को चाहिए वो आपके कदमों में होगा .The Only relationship in this world that have been worthwhile and enduring have been those in which one person could trust another and try to treat people that way...if they know you Trust or care, it brings out the best in them
... खूबसूरत ख्याल और बयान है निधि ...
ReplyDeleteइसमें उनकी क्या खता कि ऊब गए इस दिल से
कोई कब तलक खेले भला एक ही खिलौने से
नयंक जी..एक बार पुनः आपके इस सुन्दर कमेन्ट के लिए धन्यवाद !!
ReplyDeleteबिलकुल दुरुस्त कहा,आपने टूट कर जुड़ने पे दरार अवश्य रहती है ..पर उस दरार को भी भरा जा सकता है...किसी भी रिश्ते का मूल आधार ...विश्वास ही होता है ...सभी का यही प्रयास होना चाहिए कि उसे टूटने न दें..यदि कभी गलती से टूट जाए तो माफ़ी मांगने और माफ करने में कभी भी न हिचकिचाएं .
अमित..मैं नहीं सहमत कि प्यार करने वाले दिल को खिलौना समझते हैं ...और यदि समझते है कि प्यार एक खेल है..तो उन्होंने अभी तक जाना ही नहीं कि प्यार क्या है
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत नज़्म निधि जी !
ReplyDeleteसरोज जी...आपका आभार,पसंद करने के लिए
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