Monday, July 25, 2011

दस वर्ष ...

....

दस वर्षों का एक लंबा अंतराल
उसके बाद
तुमसे यूँ मिल पाना .
आज लगा कि ....
वो दस साल
जो बीत गए...वो गुज़रे नहीं
वह ठहर गए थे हमारे बीच .
बह गए....
तुम्हारी एक छुअन से.
ढह गयी...
अहं की सारी दीवारें .
पिघल गए....
चुप्पी के दर्द जो जम गए थे .
मैं और तुम से हम दोनों
फिर .....
एक बार हो गए है "हम".

32 comments:

  1. निधि जी, बहुत-बहुत बधाई आपको, अपनी इस रचना में यादों को शब्दों के धागों में पिरो कर जो माला तैयार की आपने उसको जवाब नहीं...

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  2. चलिए...देर आये दुरुस्त आये...बहुत आभार...विनय जी ,रचना को पसंद करने के लिए और साथ ही साथ उसे इतने सुन्दर शब्दों में व्यक्त करने के लिए .

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  3. Yeh HUMM kaa Tassauver bhii....kyaaa khoob haiiii mere hamdam
    Jabb..Jabbb CHOOTAA haiii Mannn ko.....ABIMAAN Saa hotaa haiiii
    bahut khoob.....Nidhi

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  4. बहुत ही खुबसूरत यादो को रचना में बिखेरा है आपने....

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  5. अंकुर....हम के तस्सवुर से ही तो ये दुनिया कायम है.....वरना तो हर कोई अकेला आया है और उसे अकेला ही जाना है ...आभार!

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  6. सुषमा जी ...आपका बहुत शुक्रिया !

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  7. रश्मिप्रभा जी...जब कोई अपना सालों के बाद मिलता है...तो,सच वक्त रुक सा जाता है ....धन्यवाद !

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  8. आदरणीय निधि जी जी
    नमस्कार !
    इतने सारे खूबसूरत एहसास एक साथ
    आप बहुत सुंदर लिखती हैं. भाव मन से उपजे मगर ये खूबसूरत बिम्ब सिर्फ आपके खजाने में ही हैं
    ...बेमिसाल प्रस्‍तुति......!

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  9. संजय जी...बहुत आभार!!मैं आपकी प्रतिक्रया की प्रतीक्षा कर दी...हर बार से अबकी बार आपका कमेन्ट आने में ज़रा देर जो हो गयी थी..

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  10. निधि जी नमस्कार,
    इसे में रचना कहने की हिम्मत नहीं कर पाऊंगा...
    यह तो ख़ूबसूरत दिल ए ज़ज्बात हैं...जिन्हें आपने और भी खूबसूरती से बयां किया है....

    आदर सहित

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  11. सबसे पहले तो आपको नमस्कार,
    आपने दिल के भावों को,कुछ नायाब यादों को बेहतरीन तरीके से, हम लोगो से रूबरू कराया इसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया.....

    बहुत ही नायाब पोस्ट...

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  12. गहरी बात कही है ... अक्सर ऐसा होता है इंसान बहुत कुछ कहना चाहता है लंबे अंतराल के बहुत से दुःख होते हैं पर बस एक लम्हे में खत्म हो जाए हैं ... ये प्यार है ...

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  13. वाह बेहद खूबसूरत अहसासो से लबरेज़ कविता

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  14. संगीता जी ...शुक्रिया!!

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  15. आर्यन ...नमस्ते!!आपको दिल के ये जज़्बात ,एहसास अच्छे लगे ...धन्यवाद .

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  16. कुमार जी...नमस्कार!!आपको मेरी यादों ,भावनाओं का शब्दी जामा पसंद आया...आभार!

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  17. दिगंबर जी...हाँ ,आपसे मैं पूर्णतयाः सहमत हूँ...!

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  18. वंदना जी....आपका हार्दिक धनयवाद ...रचना को पसंद करने के लिए .

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  19. जिन्दगी को खुद में समेटे हुए
    जीने की तमन्ना ....
    किसी से एकाकार
    होना.......
    बहुत ही खूब सूरत एहसासों की कविता .......आभार

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  20. १० बरस के लम्बे अंतराल बाद मिलने की सुखद अनुभूति का बहुत बढ़िया चित्रण किया है आपने!
    बहुत अच्छी प्रस्तुति ..
    हार्दिक शुभकामनायें

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  21. बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर!

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  22. निधि .. आप ने फिर एक उत्कृष्ट रचना से मोह लिया सबको ... बहुत अल्फाजो में दस बरस की दास्ताँ और दर्द को उजागर कर दिया आपने ... बिछड़ने के बाद मिलन की खुशी का अहसास भी शब्दों में झलकता है ... ... आपने सच कहा कई बार वक्त थम जाता है... ... अपनी गज़ल का एक शे'र याद आ रहा है...

    घडी की सुइयां सरकने में सदिया लग जाए
    पर कैलेंडर बदलने में वक्त नहीं लगता

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  23. नई पोस्ट पर आपका स्वागत है......निधि जी

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  24. अनु..शुक्रिया,पसंद करने के लिए ...सच ही है कि सालों बाद कोई अपना मिले ..तो उससे एकाकार की कल्पना भी इतना आनंद देती है तो सच में तो.....

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  25. कविताजी....आभार कि आप ब्लॉग पर आई...आपको ब्लॉग अच्छा लगा .पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रया हेतु धन्यवाद !कई सालों के बाद के मिलन की सुखद अनूभूति वही समझ सकते हैं जिन्होंने इसे जिया हो....सालों बाद की एक छुंअन भी सिहरन पैदा कर देती है ...

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  26. अमित,आपने अपनी मसरूफ जिंदगी में से.. मेरे ब्लॉग पर आने और कमेन्ट करने के लिए वक्त निकला मैं तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ .मुझे बात करने का कोई खास सलीका नहीं आता...लफ़्ज़ों को चाशनी में डुबोना नहीं आता...सच को सच ही कहना आता है..झूठ को सच में बदलना नहीं आता... जो मन में आता है तुरंत लिख देती हूँ ...हो सकता है इसी कारण आपको रचनाएँ पसंद आती हों .

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  27. बहुत सुन्दर कविता ,अच्छी लगी .

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  28. अमृता...शुक्रिया !!

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  29. महेंद्र जी....पढ़ने और सराहने के लिए ,शुक्रिया!!

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