तुम देखना ,
ध्यान से ज़रा,
आगे एक चौराहा आएगा
उस चौराहे से जो रस्ते जाते हैं न चार
वहाँ है पैसा ,खूबसूरती,तरक्की ,व्यापार.
उनपे न जाना .
थोड़ा पीछे चलना
उससे ज़रा पहले ही
एक गली है संकरी सी
कोई नाम पता कहीं नहीं
बस प्रेम की सुगंध है
यादों की ईटों से बनी
दर्द के कोलतार से ढकी
महकती रहती है.
उस के पास पहुँच भर जाओ
तो खुद ब खुद खिंचे चले आओगे
एक बार आकर ,रास्ता भूलना हो
तो उसी गली में भूलना...प्लीज़

