Wednesday, December 4, 2013

कहाँ तक तुम्हें



देखो कहाँ तक तुम्हें लेकर ये झूठ जायेंगे
कभी न कभी तो पाप के ये घड़े फूट जायेंगे

पता लग जायेगी अभी इन लोगों की हक़ीक़त
जैसे ही अन्दर शराबों के चंद घूँट जायेंगे

वाकिफ़ हूँ इससे कि मैं झूठ बोल नहीं सकता
और जो मैंने सच बोला तो अपने रूठ जायेंगे

वो जो बैठे हैं इस महफ़िल में नज़रें झुकाए
देखना है कि वो मेरा क्या क्या लूट जायेंगे

नहीं जानता था तुम्हारे मायने ज़िंदगी में
जाना अब जब लगा कि सहारे ये छूट जायेंगे

6 comments:

  1. वाकिफ हूँ इससे कि मैं झूठ बोल नहीं सकता
    और जो मैंने सच बोला तो अपने रूठ जायेंगे

    वो जो बैठे हैं इस महफ़िल में नज़रें झुकाए
    देखना है कि वो मेरा क्या-क्या लूट जायेंगे
    बहुत सुन्दर ! सभी शे'र अर्थ पूर्ण हैं !
    नई पोस्ट वो दूल्हा....
    लेटेस्ट हाइगा नॉ. २

    ReplyDelete
    Replies
    1. सराहने के लिए,आभार

      Delete
  2. नहीं जानता था तुम्हारे मायने ज़िंदगी में
    जाना अब जब लगा कि सहारे ये छूट जायेंगे
    bahut sundar satya kahati rachna ....hridaysparshi ....!!

    ReplyDelete
  3. बहुत ही अर्थपूर्ण शेर ... लाजवाब ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. तारीफ़ के लिए,शुक्रिया!!

      Delete

टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

Followers