ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Wednesday, December 4, 2013
कहाँ तक तुम्हें
देखो कहाँ तक तुम्हें लेकर ये झूठ जायेंगे
कभी न कभी तो पाप के ये घड़े फूट जायेंगे
पता लग जायेगी अभी इन लोगों की हक़ीक़त
जैसे ही अन्दर शराबों के चंद घूँट जायेंगे
वाकिफ़ हूँ इससे कि मैं झूठ बोल नहीं सकता
और जो मैंने सच बोला तो अपने रूठ जायेंगे
वो जो बैठे हैं इस महफ़िल में नज़रें झुकाए
देखना है कि वो मेरा क्या क्या लूट जायेंगे
नहीं जानता था तुम्हारे मायने ज़िंदगी में
जाना अब जब लगा कि सहारे ये छूट जायेंगे
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वाकिफ हूँ इससे कि मैं झूठ बोल नहीं सकता
ReplyDeleteऔर जो मैंने सच बोला तो अपने रूठ जायेंगे
वो जो बैठे हैं इस महफ़िल में नज़रें झुकाए
देखना है कि वो मेरा क्या-क्या लूट जायेंगे
बहुत सुन्दर ! सभी शे'र अर्थ पूर्ण हैं !
नई पोस्ट वो दूल्हा....
लेटेस्ट हाइगा नॉ. २
सराहने के लिए,आभार
Deleteनहीं जानता था तुम्हारे मायने ज़िंदगी में
ReplyDeleteजाना अब जब लगा कि सहारे ये छूट जायेंगे
bahut sundar satya kahati rachna ....hridaysparshi ....!!
शुक्रिया!
Deleteबहुत ही अर्थपूर्ण शेर ... लाजवाब ...
ReplyDeleteतारीफ़ के लिए,शुक्रिया!!
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