और कुछ नहीं ये इश्क़ की खुमारी है
कल क्या होगा इसका भरोसा नहीं
न जाने क्यूँ उम्र भर की तैयारी है
खुश ना होना तुम उसको गिरता देख
आज उसकी तो कल तुम्हारी बारी है
ज़िंदगी है हर तरह के जायके वाली
मीठी कभी कड़वी कभी खारी है
शक़ की निगाहों को खुद से दूर रखना
वाकिफ हो यह लाइलाज बीमारी है
तेरा प्यार हो या कि तेरी नाराजगी
मुझे तेरी हर अदा जां से प्यारी है
तुम अपना हाथ मेरे हाथ में दे दो
ज़िंदगी की हरेक शै फिर हमारी है
खुश ना होना तुम उसको गिरता देख
ReplyDeleteआज उसकी तो कल तुम्हारी बारी है
ज़िंदगी है हर तरह के जायके वाली
मीठी कभी कड़वी कभी खारी है
जिंदगी की सच्चाई को दर्पण दिखा दिया आपने -सभी शेर लाजवाब है !
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थैंक्स!
Deleteआप की रचना ने वाकया कायल कर दिया ...
ReplyDeleteशुक्रिया!
Deleteबहुत आभारी हूँ...
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